Pakur Food poisoning incident: झारखंड के पाकुड़िया में विषाक्त भोजन से तीन बच्चों की माैत, माता-पिता गंभीर
Three died of food poisoning in Pakur गंभीर रूप से बीमार बबलू व उनकी पत्नी का स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है। चिकित्सक ने बताया कि विषाक्त भोजन खाने के कारण यह घटना हुई है। इधर घटना के बाद गांव में मातम पसर गया।
पाकुड़, जेएनएन। Food poisoning incident in Pakur पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड के रामघाटी गांव के चितांग टोला में विषाक्त भोजन खाने से एक ही परिवार के सात वर्षीय उज्जवल हेम्ब्रम, 11 वर्षीय अजित हेम्ब्रम तथा 14 वर्षीय संजय हेम्ब्रम की मौत सोमवार की देर रात हो गई। जबकि मां 31 वर्षीय सुहागिनी सोरेन व पिता 36 वर्षीय बबलू हेम्ब्रम बीमार हैं। दोनों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। बासी भात, आलू, कुंदरी व पुराना इमली की चटनी खाने से यह घटना हुई।
स्वजनाें ने बताया कि सोमवार की रात बबलू, उनकी पत्नी तथा तीनों बच्चों ने बासी भात, आलू व कुंदरी की सब्जी तथा पुराना इमली की चटनी खाया था। इसके तुरंत बाद तीनों बच्चे लगातार उल्टी करने लगे। बार-बार बेहोश होने लगे। हालत बिगड़ती चली गई। कुछ देर बाद ही तीनों बच्चे की मौत हो गई। बबलू व उनकी पत्नी भी गंभीर रूप से बीमार हो गए। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीनों बच्चों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया।
सिविल सर्जन डा. रामदेव पासवान चिकित्सकों की टीम के साथ पीड़ित के घर पहुंच जांच के लिए भोजन का नमूना लिया। सीएस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाजरत का भी हालचाल जाना। इलाज के बाद दोनों की स्थिति में सुधार है। प्रखंड विकास पदाधिकारी मिथिलेश कुमार चौधरी, थाना प्रभारी मदन कुमार घटना स्थल पर पहुंच मामले की जांच की। डा. गंगा शंकर साह ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। इमली की चटनी भी कारण हो सकता है। इमली की चटनी देखने से काला लग रहा था। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह अस्पताल उपाधीक्षक डा. संजय कुमार ने बताया कि मेडिकल बोर्ड बच्चों का पोस्टमार्टम करेगी। पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा कि बच्चों की मौत किस वजह से हुई है।
तीन बच्चों की मौत हुई है। जब्त खाद्य पदार्थों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजने की तैयारी चल रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-डा. रामदेव पासवान, सिविल सर्जन