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पैडमैन नहीं, आइआइटी के पैड स्टूडेंट्स कहिए जनाब

महिलाओं के स्वस्थ जीवन के लिए पैड का कितना अहम रोल है। मुहिम के झंडाबरदार बने ये स्टूडेंट्स महिलाओं व युवतियों को एक जगह इक्कठा कर उन्हें स्वच्छता की सीख देते हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 12:37 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 12:37 PM (IST)
पैडमैन नहीं, आइआइटी के पैड स्टूडेंट्स कहिए जनाब
पैडमैन नहीं, आइआइटी के पैड स्टूडेंट्स कहिए जनाब

धनबाद, आशीष सिंह। मासिक धर्म और सेनेटरी पैड पर चर्चा करना आदिकाल से ही खराब माना जाता रहा है। टीवी पर इसका विज्ञापन चलता हो तो चैनल तक बदल दिया जाता है। जबकि इस मुद्दे पर नारी समाज का जागरूक होना बेहद जरूरी है। इस दिशा में बड़ी पहल देश के धनबाद स्थित एकमात्र आइआइटी आइएसएम के छात्र-छात्राओं ने की।  आइआइटियन की पूरी टीम गांव-देहात की किशोरियों, युवतियों और महिलाओं को इस मुद्दे पर जागरूक कर रही है। जो नारी शक्ति को जागरूक करने के साथ निश्शुल्क पैड बांटती है। पहले लड़के झिझकते थे, अब वे भी बढ़कर सेनेटरी पैड ड्रॉपबॉक्स में इन्हें डाल रहे हैं। दो माह पहले शुरू मुहिम अब रंग ला रही है। आइआइटी स्टूडेंट्स के ड्रॉपबॉक्स में सेनेटरी पैड इक्कठे हो रहे हैं। गांवों में जाकर ये विद्यार्थी वहां की महिलाओं को जागरूक कर रहे हैं। गोविंदपुर में 150 और कोरंगा बस्ती व मलिक बस्ती में 250 सेनेटरी पैड बांटे जा चुके हैं। 500 पैड फिर इक्कठे  हो चुके हैं। टीम मुस्लिम बाहुल्य वासेपुर समेत अन्य इलाकों में भी जाएगी।

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संस्थान के शालिनी, दीवा, कुमार सौरभ, वर्णिता, आकांक्षा, रत्नेश, अमृत, सोनल, दीपक, हसन समेत 25 से अधिक स्टूडेंट्स कैंपस में छात्रों और प्राध्यापकों से सेनेटरी पैड एकत्रित करते हैं। जो पैड नहीं देते वे इसके एवज में राशि देना चाहें तो उसे लिया जाता है। इस राशि से पैड खरीद लिए जाते हैं। फिर इन्हें बांटते हैं। साथ ही बताते हैं कि महिलाओं के स्वस्थ जीवन के लिए पैड का कितना अहम रोल है। मुहिम के झंडाबरदार बने ये स्टूडेंट्स महिलाओं व युवतियों को एक जगह इक्कठा कर उन्हें स्वच्छता की सीख देते हैं।

ग्रामीण क्षेत्र को बनाना है पैड डिपेंडेंटः छात्रों की इस मुहिम का नेतृत्व करने वाले आइआइटी आइएसएम के प्रो.डॉ.संजीव आनंद का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को पैड डिपेंडेंट बनना है। इसके लिए व्यापक स्तर पर गांव-देहात में छात्र-छात्राएं जाकर महिलाओं और किशोरियों को जागरूक कर रहे हैं।  

शुरुआत में जब पैड मांगने ये टीम प्रोफेसर के घर जाती थी तो कई बार सवाल होता था कि पढ़ाई लिखाई छोड़कर यह सब क्या कर रहे हैं आप लोग। तब उनकी भी सोच इस टीम ने बदल डाली।  

-शालिनी, पीएचडी स्कॉलर (मैकेनिकल ब्रांच), आइआइटी आइएसएम

क्लीनिक आने वाली मरीजों में 20 प्रतिशत महिलाएं तो बच्चेदानी और मूत्राशय में संक्रमण की परेशानी लेकर आती हैं। प्रमुख कारण माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान नहीं रखना है। इनको स्वच्छता के आधुनिक साधन (पैड) के उपयोग के लिए समझाना जरूरी है। क्योंकि संक्रमण गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है।

- डॉ.सविता राय चौधरी, स्त्री रोग विशेषज्ञ


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