India Lockdown: काल ने भी बदली अपनी चाल तो श्मशान घाटों पर कम हुआ कोलाहल, जानिए
लॉकडाउन के बाद से तेलीपाड़ा श्मशान घाट पर सबसे कम शव पहुंचे। यहां एक मार्च से सात अप्रैल तक 13 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। लॉकडाउन के दरम्यान यहां नौ शव लाए गए।
धनबाद [आशीष सिंह ]। इसे लॉकडाउन का असर कहें, सड़क पर कम होती दुर्घटनाएं या फिर बीमारी से मरने वालों की संख्या में गिरावट, शवों के अंतिम संस्कार में कमी आयी है। धनबाद में पांच प्रमुख श्मशान घाट हैं, जहां सबसे अधिक दाह संस्कार होता है। तेलीपाड़ा और मटकुरिया श्मशान घाट शहर के बीचोंबीच है। इसी तरह झरिया के बस्ताकोला व मोहलबनी और कतरास के लिलौरी स्थान पर भी शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। इधर 15 दिन के आंकड़ों पर नजर डालें तो सभी श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार कम हुए हैं।
लॉकडाउन के बाद से तेलीपाड़ा श्मशान घाट पर सबसे कम शव पहुंचे। यहां एक मार्च से सात अप्रैल तक 13 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। लॉकडाउन के दरम्यान यहां नौ शव लाए गए। मटकुरिया श्मशान घाट पर 21 मार्च से सात अप्रैल के बीच 17 दिन में 18 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इसमें चार लावारिश लाशें थीं। लॉकडाउन के बाद यहां 12 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। तेलीपाड़ा श्मशान घाट में फरवरी माह में लगभग 24 और मटकुरिया श्मशान घाट में 25 शवों का अंतिम संस्कार हुआ था। मोहलबनी श्मशान घाट सुदामडीह झरिया में एक मार्च से सात अप्रैल तक 110 शव पहुंचे। यहां सबसे अधिक अंतिम संस्कार किया जाता है। इसका कारण यह है कि गांव-देहात के अलावा शहर से भी लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। लॉकडाउन में इस घाट पर
- किस श्मशान में कब और कितने शव पहुंचे
- श्मशान घाट फरवरी लॉकडाउन से सात अप्रैल तक
- तेलीपाड़ा 22 9
- मटकुरिया 25 12
- बस्ताकोला झरिया 23 9
- मोहलबनी झरिया 130 42
- लिलौरी स्थान कतरास 18 9
- खुदिया नदी गोविंदपुर 16 7
यह संधी मौसम है (जाड़े से गर्मी में जाना), इस समय हर साल डेड बॉडी में काफी वृद्धि होती है, लेकिन पता नहीं क्यों भारी कमी है। एक दो लोग जो यहां अंतिम संस्कार करने आए थे वो आपस में बोल रहे थे कि अस्पतालों में मरीज कम पहुंच रहे हैं। इमरजेंसी में भी भीड़ नहीं है। सड़कों पर गाडिय़ां भी नहीं चल रही हैं, इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही हैं।
- जमुना डोम, तेलीपाड़ा श्मशान घाट
लॉकडाउन की वजह से शव कम पहुंच रहे हैं। इसका चाहे जो भी कारण हो, लेकिन अन्य महीनों की जुलना में शवों का अंतिम संस्कार कम हुआ है। जबकि इस सीजन में मौतों का आंकड़ा अधिक होता है।
- बीरू डोम, मटकुरिया श्मशान घाट
70 फीसद मौतें आरटीए (रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट) की वजह से होती हैं। लॉकडाउन की वजह से गाडिय़ां चल नहीं रही हैं। लॉकडाउन की स्थिति में सड़क पर सन्नाटा है। इस वजह से सड़क दुर्घटनाएं शून्य हो गई हैं। दूसरी ओर गृह क्लेश और पारिवारिक कारण से होने वाले सुसाइडल टेंडेंसीज भी कम हुआ है। इस कारण पीएमसीएच में पॉइजनिंग, हैंगिंग केस में काफी कमी आयी है। इससे लगभग फीसद लोगों की मौत होती है। हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। कह सकते हैं कि यह लॉकडाउन का असर है।
- डॉ.डीपी भूषण, विभागाध्यक्ष हड्डी रोग विभाग, पीएमसीएच