अब सिर्फ आपके फिंगरप्रिंट या पासवर्ड से स्टार्ट होगी बाइक, पुरानी गाड़ी में भी लगा सकेंगे डिवाइस
बाइक चोरी की घटनाएं सिर्फ धनबाद में नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है। केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान सिंफर के वैज्ञानिकों ने इस पर गौर किया।
तापस बनर्जी, धनबाद: हीरापुर के राहुल ने बाइक खरीदी। कीमत 80 हजार। भीड़भाड़ वाले इलाके से बाइक चोरी हो गई। दो दिन पहले बीमा की अवधि खत्म हो गई थी। थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के तीन माह बाद भी बाइक नहीं मिली तो मायूस हो गया। बैंक से लोन लेकर फिर नई बाइक ली।
बाइक चोरी की घटनाएं सिर्फ धनबाद में नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है। केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान सिंफर के वैज्ञानिकों ने इस पर गौर किया। बाइक चोरी रोकने में तकनीक का किस तरह सदुपयोग हो सकता है। इस पर कई माह तक चिंतन मंथन किया। इसके बाद तकनीक के बूते ऐसा उपकरण डिवाइस तैयार किया जिसे बाइक में लगा दिया जाए तो बाइक अंगुली के निशान या पासवर्ड के बगैर स्टार्ट ही नहीं होगी। हैंडल को जबरन खोलने की कोशिश की गई या बाइक में किक लगाई तो शोर मचने लगेगा। इससे बाइक की चोरी रुकेगी ही बाइक से कोई पेट्रोल निकालने की कोशिश करता है तो भी शोर मचेगा।
डिवाइस की लागत महज 3 हजार रुपये: सिंफर के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार उपकरण महंगा नहीं है। अधिकतम कीमत तीन हजार तक। वैज्ञानिकों के ध्यान में यह बात रही कि बाइक की कीमत 45 हजार से एक लाख रुपये तक है। उपकरण लगाने का खर्च अधिक होगा तो आम लोग इसका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
चोरी रोकने के लिए इस तरह काम करेगी डिवाइस
सिफर वैज्ञानिकों ने उपकरण का नाम दिया है थेफ्ट कंट्रोल डिवाइस। इसे बाइक के मीटर के बायीं ओर लगाया जाएगा। इसमें फिंगर प्रिंट स्कैनर लगा रहेगा। अंगूठे का निशान लगाने के लिए की-पैड भी रहेगा। बाइक मालिक के अंगूठे के निशान का मिलान के बाद ही बाइक स्टार्ट होगी। पासवर्ड से भी बाइक को स्टार्ट करने का विकल्प रहेगा।
हैदराबाद की कंपनी को सिंफर ने दी तकनीक: सिंफर ने हैदराबाद की कंपनी मेसर्स प्रणय इंटरप्राइजेज को यह तकनीक दी है। उसी कंपनी के जरिए इस अनूठी तकनीक का वाणिज्यिक उपयोग हो सकेगा।
'आम आदमी की जरूरत को देख यह तकनीक विकसित की गई है। कीमत भी अधिक नहीं होगी।'
- डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, सिंफर
'इस तकनीक से देश भर में बाइक की चोरी पर काफी हद तक रोक लगेगी। यह डिवाइस मैग्नेटिक सेंसर पर आधारित है।'
- डॉ. एसके चौल्या, शोधकर्ता वैज्ञानिक सिंफर