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कोरोना की मुहर पर पसीने का सैनिटाइजर; जांच का सबूत गायब होने से मुहल्ले में नया बखेड़ा Dhanbad News

अचानक गर्मी और उमस बढ़ने से कोरोना की मुहर के लिए पसीना सैनिटाइजर बन जा रहा है। मुहर मिट जा रही है। जांच का सबूत गायब। ऐसे में मुहल्ले में नया बखेड़ा खड़ा हो रहा है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:40 PM (IST)
कोरोना की मुहर पर पसीने का सैनिटाइजर; जांच का सबूत गायब होने से मुहल्ले में नया बखेड़ा Dhanbad News
कोरोना की मुहर पर पसीने का सैनिटाइजर; जांच का सबूत गायब होने से मुहल्ले में नया बखेड़ा Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी बढ़ गई है। कोई स्पेशल ट्रेन से आ रहा है तो कोई किराये की ट्रक-बस से। मजदूर साइकिल के सहारे या पैदल भी अपने घर वापस आ रहे हैं। हजारों किमी की दूरी तय कर ये लोग किसी तरह धनबाद तक तो पहुंच जा रहे हैं। यहां से अपने घर जाना भी किसी चुनौती से कम नहीं। दरअसल, प्रवासी मजदूरों को सरकारी जांच के बाद होम क्वारंटाइन के लिए भेजा जा रहा है। उनके हाथ पर कोरोना जांच की मुहर लगाई जाती है।

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इस मुहर से ही पता चलता है कि दूर देश से आए शख्स ने जांच करा ली है, अब कोई शक शुबहा नहीं। लेकिन, अचानक गर्मी और उमस इस कदर बढ़ने लगी है कि अस्पताल से घर तक पहुंचने तक कोरोना की मुहर के लिए पसीना सैनिटाइजर बन जा रहा है। मुहर मिट जा रही है। जांच का सबूत गायब। इससे मुहल्ले में नया बखेड़ा खड़ा हो जा रहा है। घर में भी संदिग्ध निगाह। हाय रे कोरोना।

इंतहा हो गई इंतजार की : इतने प्रवासी मजदूरों की वापसी हो रही है कि सभी व्यवस्था ध्वस्त हो जा रही है। सरकार ने सभी प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच कराने का आदेश दिया है। उनकी संख्या खत्म हो नहीं रही है और जांच की गति बढऩे को तैयार नहीं। हालत ऐसी है कि किसी की भी जांच की रिपोर्ट मिलने में चार से पांच दिन गुजर जा रहे हैं। कुछ लोगों की जांच रिपोर्ट तो 10 से 12 दिनों के बाद बाद मिल रही है। जांच रिपोर्ट में विलंब होने के कारण उस अवधि में कोरोना से संक्रमित लोग और कई लोगों के साथ मिल चुके होते हैं। गोविंदपुर के दुमदुमी के पॉजिटिव युवक की रिपोर्ट 11 दिन के बाद आयी है। तब तक वह 20 से अधिक लोगों के संपर्क में आ चुका था। कपुरिया के पॉजिटिव की रिपोर्ट भी पांच दिन बाद आई, वह भी हंगामा करने पर।

क्वारंटाइन सेंटर ब्रेक का भी डर : कभी जेल ब्रेक शासन के लिए बड़ी बात होती थी। कोरोना काल में यह खतरा जेल से क्वारंटाइन सेंटर की ओर शिफ्ट होता दिख रहा है। अब क्वारंटाइन सेंटरों से बाहर निकलने को लोग बेकाबू दिख रहे हैं। उन्हें वहां 14 दिनों तक रोक कर रखने के लिए रोजाना नये-नये इंतजाम करने पड़ रहे हैं। दरअसल, क्वारंटाइन सेंटरों के इंतजाम पर रोजाना कहीं न कहीं बवाल हो रहा है। कहीं खाना ठीक नहीं है तो कहीं पानी की दिक्कत। कुव्यवस्था के कारण वहां लोग रहना नहीं चाह रहे हैं।

कोरोना योद्धाओं के सामने अब नयी चुनौती : तोपचांची के क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था से नाराज होकर लोग घर भाग गए। ऐसी घटनाओं के बाद क्वारंटाइन सेंटरों में बाहर से ताला बंद होने लगा है। कई जगह लगातार हंगामे को देखते हुए पुलिस और होमगार्ड जवानों की भी तैनाती हो गयी है। कोरोना के योद्धा अब नयी चुनौती से भी जूझ रहे हैं।


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