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Dhanbad Naxal Area News: लाल आतंक के गढ़ में इंटरनेट से बदल रही फिजा, घर बैठे ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा

भटके युवाओं को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकार सुरक्षा एजेंसी और पुलिस संवाद समन्वय की रणनीति अपनी रही है। इसमें इंटरनेट मददगार साबित हो रहा है। पुलिस-प्रशासन ने लोगों को जागरूक करने व योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट को माध्यम बनाया है।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 08:52 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 08:52 AM (IST)
Dhanbad Naxal Area News: लाल आतंक के गढ़ में इंटरनेट से बदल रही फिजा, घर बैठे ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा
धनबाद के नक्सल क्षेत्र टुंडी के पलमा फुलबॉल मैदान में ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते छात्र।

धनबाद [ गौतम ओझा ]। झारखंड में नक्सलियों ने गांवों में बंदूक के दम पर समानांतर सत्ता चलानी शुरू कर दी थी। पुलिस और सुरक्षाबलों के अभियान के बाद नक्सली कमजोर हुए तो नक्सल प्रभावित इलाकों में भी विकास की किरणें पहुंचने लगीं। उधर, युवा भी अपने सपनों को उड़ान देने में जुट गए। इंटरनेट इनका सबसे बड़ा साथी बना। झारखंड के जंगली इलाकों में भी गूगल, फेसबुक, यू-ट्यूब, वाट्सएप और स्मार्टफोन ने जगह बना ली। अब स्मार्टफोन और इंटरनेट यहां नक्सलियों से जंग में नया हथियार साबित हो रहा है। सरकार ने भी माओवादियों के दुष्प्रचार से बचाने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। इसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं।

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मोबाइल-इंटरनेट से जानकारी

अब इन क्षेत्रों के युवाओं को 12वीं के बाद करियर के विकल्पों की जानकारी मोबाइल से तुरंत मिल रही है। ऑनलाइन सेवाओं-सुविधाओं का लाभ लेने से लेकर समस्याओं का समाधान कराना ग्रामीण युवा जान चुके हैं। जंगल से सटे इलाकों के युवा जेपीएससी (झारखंड लोकसेवा आयोग), जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं। गिरिडीह जिले के अति नक्सल प्रभावित गांव चिरकी के विशाल हाल ही में जेपीएससी परीक्षा पास कर बतौर प्रशासनिक अधिकारी काम कर रहे हैं। उन्होंने तैयारी ऑनलाइन की थी। इसी तरह दर्जनों नक्सल प्रभावित गांव के बच्चे ऑनलाइन ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर जेएसएससी, एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग), आइबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन), यूजीसी नेट, रेलवे की परीक्षा पास कर चुके हैं। वे बताते हैं कि उनके पास साधनों की कमी थी, लेकिन इंटरनेट से जुड़े रहने के कारण बगैर अतिरिक्त खर्च काफी कुछ ऑनलाइन पढ़ लेते हैं।

सरकार का भी ग्रामीणों से बढ़ा समन्वय

उधर, भटके युवाओं को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकार, सुरक्षा एजेंसी और पुलिस संवाद समन्वय की रणनीति अपनी रही है। इसमें भी इंटरनेट मददगार साबित हो रहा है। पुलिस-प्रशासन ने लोगों को जागरूक करने व योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट को माध्यम बनाया है।

क्या कहते हैं सफल युवा

गिरिडीह जिले के पीरटांड़ ब्लॉक के चिरकी निवासी विशाल प्रशासनिक पदाधिकारी हैैं। उनका कहना है कि जब भी मैैं गांव पहुंचा तो अपनी तैयारी के लिए ऑनलाइन पढ़ाई को ही माध्यम बनाया।  धनबाद के टुंडी के पर्वतपुर निवासी रामकुमार हेंब्रम कोलकाता में रेलवे में जूनियर इंजीनियर हैं। उनका कहना है कि कोचिंग की ऑनलाइन सुविधा ने मेरी राह आसान बनाई। टुंडी की पोखरिया की नीलू मुर्मू हाई स्कूल शिक्षिका हैैं। कहती हैैं- ऑनलाइन कोचिंग ने मेरी समस्या का समाधान कर दिया।

पिछड़े इलाके के बच्चे आज बेहतर कर रहे हैैं। इसके पीछे इंटरनेट का अहम योगदान है। विद्यार्थी ऑनलाइन तैयारी कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो रहे हैं।

-गौरांग भारद्वाज, प्राचार्य, शिबू सोरेन डिग्री कॉलेज, टुंडी, धनबाद

पिछड़े इलाके में रह रहे बच्चों के लिए इंटरनेट सेवा वरदान साबित हो रही है। मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल रहे छात्रों को मेरी ओर से शुभकामनाएं। इन इलाकों को और बेहतर इंटरनेट सेवा मिले, इसके लिए संबंधित विभाग से बातचीत करूंगा।

-असीम विक्रांत मिंज, एसएसपी, धनबाद


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