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शहर के छोरे की प्रवक्ता पॉलिटिक्स और स्थापित नेताओं की चिढ़ Dhanbad News

धनबाद भाजपा के छोटे-बड़े नेताओं को खुश होना चाहिए। लेकिन हो रहा है उल्टा। भाईजी के साथ जितने भी कैंप हैं सब कुपित है।पार्टी की वकालत करने वालों को पानी पी पीकर कोसते रहते हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 09:44 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 11:29 AM (IST)
शहर के छोरे की प्रवक्ता पॉलिटिक्स और स्थापित नेताओं की चिढ़ Dhanbad News
शहर के छोरे की प्रवक्ता पॉलिटिक्स और स्थापित नेताओं की चिढ़ Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। नेशनल खबरिया चैनलों पर पार्टी की वकालत करने वालों की राजनीतिक सफलता की लंबी श्रृंखला है। हर पार्टी वकालत करने वालों को टिकट वगैरह देकर उपकृत करती है। धनबाद का एक युवा चेहरा इन दिनों अंग्रेजी और हिंदी के एक चर्चित चैनल पर वाद-विवाद में छाया रहता है। वह भाजपा का पक्ष रखते हुए जमकर विपक्ष पर हमला करता है। इस हमले से धनबाद भाजपा के छोटे-बड़े नेताओं को खुश होना चाहिए। लेकिन हो रहा है उल्टा। भाई जी के साथ-साथ जितने भी कैंप हैं, सब कुपित है।

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पार्टी की वकालत करने वालों को पानी पी पीकर कोसते रहते हैं। भाव नहीं दे रहे हैं। जबकि उसने किसान मोर्चा की केंद्रीय कमेटी में भी जगह बना ली है। चिढ़ने की वजह राजनीतिक है। स्थापित नेताओं को डर सता रहा है कि कहीं अपने शहर का छोरा पार्टी की नजर में ना चढ़ जाए। ऐसा हुआ तो पार्टी छोरे को उपकृत कर सकती है। छोरा उपकृत हुआ तो किसी न किसी का विकेट गिरेगा ही। पार्टी की वकालत करने वाले की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी जगजाहिर हैं। वह चुनाव लडऩा चाहता है। इसी कारण छोटे बड़े सब डरे हुए हैं।

विधायकजी और पुत्रमोहः विधायकजी इन दिनों खासे परेशान हैं। परेशानी की वजह पुत्र मोह है। उम्र की अधिकता के कारण वह डेंजर जोन में चले गए हैं। ऐसे लोगों को पार्टी ने संकेत दिया है कि टिकट नहीं मिलेगा। नए और नौजवान को मौका मिलेगा। विधायकजी मैदान छोडऩे को तैयार हैं। वह अपने बेटे को अपनी सीट पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं। यहीं पर पेंच फंस रहा है। पार्टी वंशवाद की राजनीति पर लगातार हमले करती रही है। इस मुद्दे को लेकर विधायकजी पर पार्टी के अंदर के प्रतिद्वंदी हमलावर हैं। उन्हें लग रहा है कि विधायकजी का टिकट कटा तो उनकी लॉटरी निकल सकती है। इसलिए वंशवाद की राजनीति को हवा दे रहे हैं। जब भी मौका मिलता है विधायकजी के सामने ही हमला कर देते हैं-पार्टी में वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। विधायकजी और उनके बेटे का चेहरा देखने लायक होता है।

और अंत में... एक साहब की मेमसाहब दूसरे साहब की मेमसाहब के आमंत्रण पर उनके बंगले पर गईं। मेमसाहब नई हैं। वह पहली बार बंगले पर गई थीं। इसलिए उन्हें पूरे बंगले को घुमाया गया। बंगले की खासियत बताई गई। तालाब देख मेमसाहब बहुत प्रसन्न हुईं। पूछने पर दूसरे मेम साहब ने बताया कि साहब ने खुदवाया है। इस तालाब से जिंदा मछली निकलती है। हम सब इस तालाब की जिंदा और ताजा मछली खाते हैं। अपने बंगले पर लौटने के बाद मेमसाहब ने तालाब की खासियत की बखान की। साथ ही साहब के सामने अपने बंगले में भी उसी तरह डोभानुमा तालाब खुदवाने की इच्छा व्यक्त की। मेम साहब की इच्छा की बात थी सो साहब ने हामी भर दी। इंतजार कीजिए। तलाब खुदेगा तो बताएंगे।

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