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Happy Friendship Day 2019: सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी

सोहराब खान और अजय नारायण लाल ने बताया कि लावारिस शव चाहें हिंदू का हो या मुसलमान का वे उसका अंतिम संस्कार करते हैं। अब तक दोनों दोस्त 103 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 12:33 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 12:33 PM (IST)
Happy Friendship Day 2019: सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी
Happy Friendship Day 2019: सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी

धनबाद [आशीष सिंह ]। एक ऐसी दोस्ती, जो दूसरों को प्रेरित करने के लिए काफी है। एक ऐसी दोस्ती, जिसपर हर कोई नाज करे। एक ऐसी दोस्ती, जो अनाथ-बेसहारों की सद्गति का सारथी है। 2011 की बात है, धनबाद के पुराना बाजार में एक भिखारी था। एक दिन उसकी मौत हो गई। चार घंटे तक उसका शव सड़क पर ही पड़ा रहा। आते-जाते लोग उसे देखते रहे पर शव को उठाने कोई आगे नहीं बढ़ा। उसके सगे संबंधी कौन थे कोई नहीं जानता था। उसी दौरान पुराना बाजार के व्यवसायी सोहराब खान वहां से गुजरे। शव देख उनका कलेजा कलप गया। बस अपने साथी अजय नारायण लाल से बात की। दोनों ने निर्णय लिया कि लावारिस शवों का वे अंतिम संस्कार करेंगे। पूरे विधान से उस शव का उन्होंने अंतिम संस्कार किया। मानवता की मिसाल बने इन दोनों दोस्तों को लोग राम-रहीम की जोड़ी की संज्ञा देते हैं।

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सोहराब खान और अजय नारायण लाल ने बताया कि लावारिस शव चाहें हिंदू का हो या मुसलमान का वे उसका अंतिम संस्कार करते हैं। अब तक दोनों दोस्त 103 शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। हिंदू का वे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करते हैं। यदि शव मुस्लिम का हुआ तो उसे कब्रिस्तान ले जाकर सिपुर्द-ए-खाक करते हैं। इसके लिए किसी से सहयोग नहीं लेते। जो खर्च होता है उसे दोनों मिलकर करते हैं।  कोई यदि स्वेच्छा से मदद करे तो मना भी नहीं करते।

कहते हैं लोग-सद्भाव की मिसाल : स्व. मुस्तफा खान और नूरेशा खातून के पुत्र पुराना बाजार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सोहराब खान एवं उदय नारायण लाल और कमला देवी के पुत्र अजय नारायण लाल को लोग राम-रहीम की जोड़ी कहते हैं। कई ऐसे लावारिस शवों का इन्होंने संस्कार किया जिनमें कीड़े लग गए थे। उन्होंने बताया कि लावारिस शव हिंदू है या मुस्लिम इसकी पहचान करते हैं। यदि हिंदू हुआ तो कफन, फूल अगरबत्ती, गंगाजल व लकड़ी से  मुक्तिधाम में अंतिम-संस्कार करते हैं। यदि वह मुस्लिम हुआ तो कफन, गुसुल (अंतिम स्नान), इत्र की व्यवस्था कर जनाजे की नमाज अदा करवाकर कब्रिस्तान में दफन करते हैं। दोनों का कहना है कि हिंदू और मुसलमान से पहले हमें एक अच्छा इंसान होना चाहिए। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। लोगों का कहना है कि दोनों दोस्त सद्भाव की मिसाल है।

पुलिस भी बुलाती लावारिसों के अंतिम संस्कार को : दोनों ने बताया कि बैंक मोड़ थाना, धनसार थाना, धनबाद थाना व रेल थाना और सरायढेला थाना क्षेत्र में कोई लावारिस लाश मिलती है तो वहां के थाना प्रभारी अंतिम संस्कार करवाने का आग्रह करते हैं। हम तत्काल जाकर शव का अंतिम संस्कार करते हैं।

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