IIT ने ढूंढ़ी ऐसी तकनीक, जो खुद करेगी खेतों की सिंचाई... जब जितनी जरूरत होगी, अपने आप ऑन हो जाएगी मशीन
आइआइटी आइएसएम धनबाद की टीम ने एक ऐसी तकनीक ढूंढ़ी है जो ना सिर्फ खेतों की सिंचाई में मददगार होगी बल्कि बिजली और पानी भी बचाएगी। इसके लिए संस्थान की टीम ने स्मार्ट ऑटो-इरिगेशन एंड स्वायल मॉनीटरिंग सिस्टम का अपग्रेड मॉडल विकसित किया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: आइआइटी आइएसएम धनबाद की टीम ने एक ऐसी तकनीक ढूंढ़ी है, जो ना सिर्फ खेतों की सिंचाई में मददगार होगी, बल्कि बिजली और पानी भी बचाएगी। इसके लिए संस्थान की टीम ने स्मार्ट ऑटो-इरिगेशन एंड स्वायल मॉनीटरिंग सिस्टम का अपग्रेड मॉडल विकसित किया है। यह मुख्य रूप से कोविड-19 से प्रभावित किसानों और उनके स्वजन को कृषि के लिए प्रेरित करने, नई प्रणाली के रूप में आशाजनक नई प्रणाली से संचालित करने और आय के स्थायी स्रोत के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है।
फिलहाल प्रयोग के तौर पर यह सिस्टम कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर में स्थापित किया गया है। संस्थान के प्रोफेसर राजीव कुमार रंजन (प्रोजेक्ट लीड) और डॉ धीरज कुमार की अगुवाई में टीम ने इस तकनीक पर काम किया। इस टीम को संस्थान ने 4995 डॉलर का एक शोध कोष प्रदान किया है, जिसमें से काफी कम लागत में इस सिस्टम को तैयार किया गया। टीम में पुष्कर श्रीवास्तव, सनल रॉय, ओम कुमार, सचिन कुमार और शुभम कुमार कुर्रे भी शामिल हैं।
पानी की किल्लत झेल रहे किसानों को होगा फायदा
इस सिस्टम को विकसित करने वाली टीम बताती है कि पुरानी सिंचाई तकनीकों से पानी की काफी बर्बादी होती है। वहीं धनबाद जैसे जगह में, जहां लंबे समय से किसान पानी की कमी का सामना कर रहे हैं, उन्हें इसका काफी लाभ मिलेगा। बताया कि यह सिस्टम किसानों या प्रवासियों की मदद करेगी, जो सिंचाई के अधिक कुशल तरीके के साथ खेती में कम कुशल हैं।
ऐसे काम करती है तकनीक
स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम कृषि भूमि में अनावश्यक जल प्रवाह को दूर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें लगे सेंसर का उपयोग करके तापमान, हवा की गति, सूर्य के प्रकाश की तीव्रता, मिट्टी की नमी, हवा की आर्द्रता और पीएच की रीडिंग की निरंतर निगरानी की जाती है, जिसके आधार पर खेत की सिंचाई के लिए जलापूर्ति शुरू होगी। सिस्टम में ही बिजली की आपूर्ति के लिए सौर पैनलों का उपयोग किया गया है। इससे बिजली की भी बचत होगी।
टीम ने बताया कि यह सेटअप बहुत बड़ा नहीं है। सिर्फ एक छोटी सी मशीन है और उसके साथ ही पाइप कनेक्ट किया गया है। काफी कम खर्च में यह इंस्टॉल भी हो जाएगा। इसे इंस्टॉल करने के लिए आइआइटी आइएसएम धनबाद से संपर्क किया जा सकता है। इस तकनीक का लाभ यह है कि किसान अगर मशीन चलता छोड़ भी देंगे तो यह काम करेगा और पानी भरने के बाद मशीन बंद हो जाएगी। बताया कि इसके बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए आइआइटी आइएसएम की टीम ही किसानों के यहां जाकर मशीन को इंस्टॉल करेगी और उन्हें प्रशिक्षित भी करेगी
एप से होगी सिस्टम की निगरानी
इस पूरे सिस्टम की निगरानी एक एप के जरिए हो सकेगी। यह एप सेंसर से जुड़ा रहेगा। खेत में पानी भर जाने पर एप के जरिए ही सिस्टम बंद हो जाएगा। एग्रोप्रो 2.0 नाम का यह एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। टीम के सदस्यों ने बताया कि इसमें एक आसान इंटरफेस है, जहां अधिकांश कार्य स्वचालित हैं। इनमें मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। नई प्रणाली की लागत भी कम है और किसान आसानी से वहन कर सकते हैं। रखरखाव की लागत भी बहुत कम है। यह प्रणाली बहुत सारी विशेषताओं के साथ आती है। बहुभाषा एंड्रॉइड एप के माध्यम से नियंत्रण, किसान-सिंचाई समर्थन, 24 घंटे निगरानी की सुविधा उपलब्ध है।