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हुनर की ताकत से हार गई गुरबत

घर की ड्योढ़ी लाघते ही अब तक अबला रही अमीना सबला बन गई। सोलर लैंप बनाने का प्रशिक्षण लिया। आज हर माह आठ हजार रुपये से अधिक की आमदनी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 03:42 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 03:48 PM (IST)
हुनर की ताकत से हार गई गुरबत
हुनर की ताकत से हार गई गुरबत

रोहित कुमार, पाकुड़: पाकुड़िया प्रखंड के पथरडागा गाव की अमीना बीबी। एक समय था, जब घर में आये दिन फाकाकशी की नौबत आती थी। गरीबी ने परिवार को कई दर्द दिए। पति जाकिर दिहाड़ी मजदूर हैं। कभी काम मिला तो कभी नहीं मिला। दो लड़की और एक लड़के की पढ़ाई की जिम्मेदारी है। ऐसे में अमीना ने बड़ा निर्णय लिया। खुद ही हुनर के दम पर गरीबी को हराने की ठान ली।

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घर की ड्योढ़ी लाघते ही अब तक अबला रही अमीना सबला बन गई। सोलर लैंप बनाने का प्रशिक्षण लिया। आज हर माह आठ हजार रुपये से अधिक की आमदनी कर रही है। बच्चे भी पढ़ रहे हैं। अब उसके घर में खुशहाली की बयार बहती है। सिर्फ अमीना ही नहीं पाकुड़ में पाच सौ से अधिक महिलाएं और लड़किया इस कारोबार में लग गईं हैं।

अमीना ने बताया कि स्कूली बच्चों को सोलर लैंप देने की भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने योजना शुरू की है। इसके तहत सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को अनुदानित दर पर सौ रुपये में सोलर लैंप दिया जा रहा है। पता चला कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए नारीशक्ति की मदद ली जा रही है। उसे प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी पाकुड़ में झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी को दी गई है। बस क्या था, हमने सोसाइटी के लोगों से संपर्क किया। पाच दिनों का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद नवंबर 2017 से सोलर लैंप एसेंबलिंग शुरू कर दी। आज खुशी है कि अपने परिवार व बच्चों के लिए कुछ कर पा रही हूं। आने वाले समय में इसी काम को और बढ़ाएंगे। एक सोलर लैंप केवल 20 से 25 मिनट में तैयार कर देती हूं। बताया कि कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर, महेशपुर व पाकुड़िया प्रखंड के विभिन्न समूहों से जुड़ी करीब दो सौ से अधिक महिलाएं आठ माह से सोलर लैंप एसेंबलिंग कर रही हैं।

सोलर लैंप ने बदला मुकद्दर: पाकुड़िया प्रखंड की नूपुर देवी कभी साधारण गृहिणी थीं। आज वे भी सोलर लैंप बनाकर अच्छी आय कर रहीं हैं। बताया कि प्रतिदिन 20 से 25 सोलर लैंप तैयार कर लेती है। आठ माह से यह कार्य कर रही है। गरीबी से तंग आकर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और मुकद्दर बदल गया। पति ओमप्रकाश गुप्ता दिहाड़ी मजदूर हैं। एक बेटी और दो बेटे हैं। हम दोनों की आय से घर में समृद्धि आ गई। बच्चे भी स्कूल में पढ़ रहे हैं।

प्रति पीस मिलते 12 रुपये, कमीशन अलग से: दोनों ने बताया कि लैंप का एक पीस बनाने पर 12 रुपये मिलते हैं। लैंप वितरण करने पर प्रति पीस 12 रुपया कमीशन भी मिलता है। लैंप बनाने को आवश्यक सामग्री सोसाइटी उपलब्ध कराती है। सोसाइटी के प्रखंड समन्वयक मो. फैज ने बताया कि इस योजना से अनेक महिलाएं अच्छी आय कर रहीं हैं।

''सरकार महिलाओं के कौशल विकास के लिए हर प्रयास कर रही है। ताकि वे स्वावलंबी बनें। सोलर लैंप प्रोजेक्ट इसी का प्रतिफल है। सोलर लैंप निर्माण व वितरण से जुड़ी महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन गईं हैं।''

जगत नारायण प्रसाद, डीडीसी, पाकुड़


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