झारखंड में भी हाथरस जैसी घटनाएं, हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद एसआइटी गठित कर जांच शुरू Giridih News
दो दिन पहले झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड पुलिस को फटकार लगाई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि हाथरस जैसी घटनाएं सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं झारखंड में भी हो रही है। कोर्ट ने डीजीपी को एसआइटी का गठन कर इस मामले की जांच का निर्देश दिया है।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक बेटी की क्रूरता से हत्या के मामले पर पूरा देश सुलग रहा है। वहीं झारखंड में भी हाथरस जैसी घटनाएं आए दिन हो रही हैैं, लेकिन इस पर पुलिस की कार्रवाई लगभग शून्य है। गिरिडीह के परसन में एक किशोरी को दुष्कर्म के बाद जला कर मार डालने के आरोपितों की छह महीने बाद भी गिरफ्तारी नहीं होने के मामले पर दो दिन पहले झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड पुलिस को फटकार लगाई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि हाथरस जैसी घटनाएं सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, झारखंड में भी हो रही है। कोर्ट ने डीजीपी को एसआइटी का गठन कर इस मामले की जांच का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा था कि यह मामला बहुत ही गंभीर है, लेकिन पुलिस की जांच से पता चल रहा है कि पुलिस इस मामले को हल्के में ले रही है। अदालत की इस टिप्पणी और निर्देश के बाद संभव है कि परसन की किशोरी के हत्यारे जल्द कानून की गिरफ्त आ जाएं, लेकिन नक्सल प्रभावित गिरिडीह जिले की आधा दर्जन बेटियों की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में भी पुलिस सुस्त है।
इन बेटियों के कातिलों की गिरफ्तारी तो दूर पुलिस कई साल बाद यह भी पता नहीं लगा सकी है कि किसने इस हैवानियत को अंजाम दिया। इनमें एक मामले की तो फाइल पुलिस ने बंद कर दिया। पांच मामले अनुसंधान के नाम पर लंबित हैैं। इंसाफ के लिए परिजनों ने हर दरवाजे पर दस्तक दी। पीडि़त परिवार के लोग कहते हैं कि काश, हमारी बेटियों के दुष्कर्मियों व हत्यारों का पता लगाने के लिए भी एसआइटी गठित होती।
केस-एक
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के करीबी रहे एक नेता की 20 वर्षीय पुत्री की पांच नवंबर 2014 को सामूहिक दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई। स्नातक की यह छात्रा शौच के लिए गई थी। बिरनी थाना में पहले अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। मृतक के पिता ने बाद में कुछ युवकों की संलिप्तता की जानकारी दी। फारेंसिक जांच के लिए उन युवकों का ब्लड सैंपल भेजा गया। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। पिता ने हैवानों की गिरफ्तारी के लिए बिरनी थाने से लेकर डीजीपी और मुख्यमंत्री तक फरियाद की। डीआइजी ने भी इस मामले की जांच की, लेकिन पुलिस दुष्कर्मी व हत्यारे का पता नहीं लगा सकी।
केस-दो
19 जून 2013 को भेलवाघाटी थाना क्षेत्र में एक स्कूल की छठी कक्षा की 12 वर्षीय आदिवासी छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। सुबह वह स्कूल जाने के लिए घर से निकली थी। इसकी गुत्थी डीएनए जांच के बाद भी नहीं सुलझी है। पुलिस यह नहीं पता लगा सकी है कि किसने इस वारदात को अंजाम दिया। इस मामले में एक आरोपित था या उससे अधिक, यह भी पता नहीं चल सका।
केस-तीन
ताराटांड़ थाना क्षेत्र के एक गांव में 20 मई 2019 को एक 14 वर्षीय छात्रा की गला दबाकर हत्या कर दी गई। वह आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। अभी तक पुलिस यही पता लगा रही है कि छात्रा की हत्या के पूर्व उसके साथ कहीं सामूहिक दुष्कर्म तो नहीं हुआ। दुष्कर्म की आशंका के मद्देनजर एफएसएल जांच के लिए रांची भेजा गया। 16 महीने बाद भी एफएसएल रिपोर्ट नहीं आई है।
केस-चार
गिरिडीह के पचंबा थाना क्षेत्र में वर्ष 2010 में एक दस साल की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। वह एक चालक की बेटी थी। घर के पीछे झाड़ी में उसका शव मिला था। अज्ञात के खिलाफ दुष्कर्म व हत्या की प्राथमिकी दर्ज हुई थी। आज तक यह पता नहीं चल सका कि किसने दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की है। हार कर मृतक के पिता ने अदालत में लिखकर दे दिया कि उसे अब आगे यह मुकदमा नहीं लडऩा है। पुलिस ने भी फाइल क्लोज कर दिया है। यह मामला रहस्य बनकर रह गया।
एसआइटी नए सिरे से करेगी परसन कांड की जांच
परसन ओपी क्षेत्र में किशोरी को जलाने के मामले का अनुसंधान गिरिडीह पुलिस ने लगभग पूरा कर लिया था। पुलिस अनुसंधान की दिशा आनर किलिंग की ओर है। हाई कोर्ट की टिप्पणी और निर्देश के बाद खोरीमहुआ अनुमंडल पुलिस अब आगे अनुसंधान नहीं कर रही है। डीजीपी जांच के लिए एसआइटी का गठन करेंगे। एसआइटी नए सिरे से इस मामले की जांच करेगी। एसडीपीओ ने नवीन कुमार सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर एसआइटी के निर्देश पर आगे की कार्रवाई करेगी।
हाथरस के लिए हाय-तौबा मचाने वाले यहां की बेटियों पर खामोश
हाथरस कांड को लेकर गिरिडीह जिले में झामुमो, कांग्रेस, भाकपा माले, भीम सेना समेत कई राजनीतिक संगठन आवाज बुलंद कर रहे हैं। वहीं, गिरिडीह की इन बेटियों के दुष्कर्मियों व हत्यारों की तलाश कर सजा दिलाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठा रहा है। भेलवा घाटी और बिरनी के मामले को लेकर विरोध जरूर हुआ था लेकिन बाद में सब शांत हो गए थे। उस वक्त हेमंत सोरेन ( अब मुख्यमंत्री) एवं बाबूलाल मरांडी (भाजपा विधायक दल के नेता) भी पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया था। दोनों दिग्गज नेता इंसाफ नहीं दिला सके।