कानूनी जाल में फंस फड़फड़ा रहे कोयलांचल के दो ताकतवर राजनीतिक घराने
कोयलांचल का राजनीतिक और आर्थिक रूप से सबसे ताकतवार घराना 'सिंह मैंशन' और उसको चुनौती देने वाला 'रघुकुल' अपने ही बुने जाल में फंस गये हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद। कोयलांचल का राजनीतिक और आर्थिक रूप से सबसे ताकतवार घराना 'सिंह मैंशन' और उसको चुनौती देने वाला 'रघुकुल' अपने ही बुने जाल में फंस गये हैं। एक तरफ 'सिंह मैंशन' के युवराज झरिया के विधायक संजीव सिंह पिंजड़े की पंक्षी की तरह धनबाद जेल से निकलने के लिए बेचैन हैं तो रंजय सिंह हत्याकांड में नाम आने के बाद 'रघुकुल' के रणनीतिकार हर्ष सिंह भूमिगत हो गए हैं।
पीएम रहते दही-चूड़ा खाने चंद्रशेखर पहुंचे थे सिंह मैंशन : दंबग राजनीतिक हैसियत के कारण धनबाद के सूरज देव सिंह देश-दुनिया में चर्चित हुए थे। उनके राजनीतिक प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1991 में मकर संक्राति के दिन प्रधानमंत्री रहते हुए चंद्रशेखर नई दिल्ली से दही-चूड़ा खाने सिंह मैंशन पहुंचे थे। सिंह मैंशन सूरजदेव सिंह की हवेली का नाम है। उनके निधन के बाद उनके भाई बच्चा सिंह झरिया से विधायक बने। झारखंड सरकार में मंत्री पद संभाला। सूरजदेव सिंह की पत्नी कुंती सिंह ने भी दो-दो बार झरिया विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। अब उनके पुत्र संजीव सिंह झरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इतना ही नहीं सूरजदेव सिंह के भतीजे नीरज सिंह धनबाद नगर निगम में डिप्टी मेयर रहे। अब नीरज के भाई डिप्टी मेयर हैं। सूरजदेव सिंह के भाई विक्रमा सिंह दोआबा (बलिया, उत्तर प्रदेश) से विधायक रहे, एक भाई रामधीर सिंह बलिया जिला परिषद के चेयरमैन रहे, रामधीर की पत्नी इंदु देवी धनबाद नगर निगम की मेयर भी रहीं। इससे एक परिवार के राजनीतिक रसूख का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। आज यह परिवार कानूनी जाल में फंस फड़फड़ा रहा है।
राजनीतिक महत्वाकांक्षा से परिवार में पड़ी फूट : सिंह मैंशन को कानूनी जाल में फंसाने में परिवार की दूसरी पीढ़ी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा की बड़ी भूमिका रही है। परिवार में फूट पड़ने के बाद सूरजदेव सिंह के भाई राजन सिंह के बेटों ने सिंह मैंशन से ही थोड़ी दूर पर नई हवेली बनाई। रघुकुल नाम रखा। राजन सिंह के बेटे नीरज सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर झरिया विधानसभा क्षेत्र में सूरजदेव सिंह के बेटे भाजपा प्रत्याशी संजीव सिंह को 2014 के विधानसभा चुनाव में चुनौती दी। चुनाव में संजीव की जीत और नीरज की हार हुई। इसके बाद दोनों के बीच विवाद की खाई और गहरी हो गई। तीन साल बाद कांग्रेस नेता पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की 21 मार्च 2017 को स्टील गेट में हत्या कर दी गई। नीरज के साथ उनके तीन समर्थक भी गोलीबारी में मारे गए। इसी मामले में सत्ताधारी भाजपा के विधायक संजीव सिंह डेढ साल से धनबाद जेल में कैद हैं।
रंजय हत्याकांड के खुलासे से रघुकुल का बढ़ा संकट : नीरज सिंह की हत्या के बाद से सिंह मैंशन संकट में था। विधायक संजीव के जेल जाने के बाद कानूनी शिकंजे में पूरी तरह जकड़ गया। इस बीच विधायक संजीव सिंह के खासमखास रंजय सिंह की हत्या में दिवंगत नीरज सिंह के मौसेरे भाई हर्ष सिंह का नाम आने के बाद रघुकुल का संकट बढ़ गया है। हर्ष सिंह भूमिगत हो गए हैं। हत्याकांड में गिरफ्तार नंद कुमार सिंह उर्फ मामा ने पुलिस के समक्ष बयान दिया है उसने हर्ष के कहने पर ही रंजय को गोली मारी। यह भी कहा कि हत्या की साजिश रघुकुल में ही रची गई थी। दूसरा शूटर चंदन शर्मा रघुकुल में ही रहता था। हत्या में इस्तेमाल पिस्टल रघुकुल के ही दरवान हरेंद्र सिंह को सौंप कर शूटर फरार हो गए थे। हर्ष सिंह के फूफा सुशील कुमार सिंह बिहार के औरंगाबाद से भाजपा के सांसद हैं। अपने फूफा के मदद से हर्ष, नीरज हत्याकांड के बाद हत्यारों के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे। अब भूमिगत हो गए हैं। देर-सबेर जेल जाना तय है। इससे रघुकुल राजनीतिक रूप से कमजोर होगा।
रंजय हत्याकांड का बदला नीरज हत्याकांड : पुलिस का कहना था कि रंजय हत्याकांड का बदला था नीरज हत्याकांड। जाहिर है दो हत्याकांडों में कोयलांचल के दो सबसे मजबूत राजनीतिक घराने कानूनी जाल में फंस गए हैं। आने वाले दिनों में दोनों परिवारों की परेशानी बढ़ेगी।