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प्राकृतिक गैस पर चलेगा सिदरी का हर्ल उर्वरक संयंत्र

सिदरी सिदरी का हिदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) का उर्वरक संयंत्र ईको फ्रेंडली होगा। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी गैस का उत्सर्जन सिदरी उर्वरक संयंत्र से नहीं होगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 02:12 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 02:12 AM (IST)
प्राकृतिक गैस पर चलेगा सिदरी का हर्ल उर्वरक संयंत्र
प्राकृतिक गैस पर चलेगा सिदरी का हर्ल उर्वरक संयंत्र

सिदरी : सिदरी का हिदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) का उर्वरक संयंत्र ईको फ्रेंडली होगा। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी गैस का उत्सर्जन सिदरी उर्वरक संयंत्र से नहीं होगा।

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प्राकृतिक गैस पर आधारित हर्ल उर्वरक संयंत्र में प्राकृतिक गैस से नाइट्रोजन और हाइड्रोजन गैस बनाए जाएंगे। इसी नाइट्रोजन और हाइड्रोजन गैस से अमोनिया का उत्पादन होगा। हर्ल उर्वरक संयंत्र सिदरी में प्रतिदिन 2250 मीट्रिक टन अमोनिया का उत्पादन होगा। हर्ल के जीएम सुनील कुमार सिंहा ने बताया कि सामान्यत: उर्वरक संयंत्र से किसी भी हानिकारक गैस का उत्सर्जन नहीं होगा। विपरीत परिस्थितियों में अमोनिया गैस का रिसाव हो सकता है अन्यथा अमोनिया सहित अन्य सभी गैसें चिमनी के ज्वलनशील फ्लेयर से निकल जाएगी। 132 एकड़ जमीन पर होगी हरित पट्टी :

हर्ल उर्वरक संयंत्र सिदरी में पर्यावरण संरक्षण के लिए उर्वरक संयंत्र के चारों ओर 132 एकड़ भूमि पर ग्रीन कॉरिडोर-हरित पट्टी बनाई जा रही है। इस हरित पट्टी में पांच हजार पौधे लगाए जाएंगे। संयंत्र से किसी भी तरह के गैस का उत्सर्जन होने पर हरित पट्टी के पौधे उस गैस को अवशोषित कर लेंगे। विपरीत परिस्थितियों में अमोनिया गैस जैसे हानिकारक गैस का यदि ज्यादा मात्रा में रिसाव हुआ तो ग्रीन कॉरिडोर के पौधे अमोनिया गैस के अधिकांश मात्रा को अवशोषित कर लेंगे। जीएम ने कहा कि सामान्यत: उर्वरक संयंत्र से किसी भी हानिकारक गैस का उत्सर्जन नहीं होगा। संयंत्र के गंदे पानी की होगी रिसाइकिलिग :

हर्ल उर्वरक संयंत्र से निकले पानी नालों से होकर दामोदर नदी में नहीं जाएगा। कारखाना के उपयोग में लाए गए गंदे पानी को रिसाइकिलिग कर साफ किया जाएगा। साफ पानी का उपयोग दोबारा कारखाने के यूरिया उत्पादन में किया जाएगा। जीएम ने कहा कि संयंत्र में उत्पादन शुरु होने पर शुरुआती दौर में 14 सौ क्यूविक मीटर प्रति घंटे पानी का उपयोग किया जाएगा। एक बार यूरिया का उत्पादन शुरु होने पर पानी की खपत कम हो जाएगी। नौ सौ क्यूविक मीटर प्रति घंटा खपत होगी।


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