पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह को शांति पुरस्कार मिलने पर धनबाद का सिख समाज गदगद
तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर ए मसकीन को धार्मिक सहिष्णुता एवं शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें पश्चिम एशिया की अंतरराष्ट्रीय संस्था ह्यूमनटेरियन एंड इंटरनेशनल फोरम की ओर से अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के मौके पर दिया गया।
धनबाद, जेएनएन। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज की जन्मस्थली तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर ए मसकीन को धार्मिक सहिष्णुता एवं शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें पश्चिम एशिया की अंतरराष्ट्रीय संस्था ह्यूमनटेरियन एंड इंटरनेशनल फोरम की ओर से अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के मौके पर दिया गया। संस्था के डॉ शीला अल सैयद एवं डॉ अनवर के अनुसार जत्थेदार रणजीत सिंह गौहर ए मसकीन अपनी कला, साहित्य, संस्कृति एवं धार्मिक माध्यम से मानवीय सहिष्णुता की भावना को मजबूती प्रदान करते रहे हैं। जत्थेदार को यह सम्मान यमन के डॉ अब्दुल गनी अल इबाह ने प्रदान किया। गौहर मसकीन को सम्मान मिलने से धनबाद के सिख समाज में हर्ष का महौल है। बधाई देने वालों में बड़ा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तीरथ सिंह, मनजीत सिंह पाथरडीह, राजिंदर सिंह चहल, दरबारा सिंह, तेजपाल सिंह, दिल दिलजोन सिंह, दविंदर सिंह गिल, गुरजीत सिंह, जगजीत सिंह, सतपाल सिंह ब्रोका, राजिंदर सिंह शामिल हैं।
नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामित हैं डॉ अब्दुल गनी
डॉ अब्दुल गनी अल इब्रह वर्ष 2021 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित हैं। खाड़ी एवं पश्चिम एशिया के आंतरिक एवं ब्रह्मा शांति के लिए पूरे विश्व में पहचाने जाते हैं। जत्थेदार को पुरस्कार मिलने पर बड़ा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसे सिख सिद्धांत के सर्वकालिक प्रभाव का सम्मान बताया है। सिख गुरु एवं गुरु ग्रंथ साहिब मानवीय कल्याण सहिष्णुता एकता पर जोर देता है। इसमें विभेद की रत्ती भर गुंजाइश नहीं है और यह मानव से मानव को सेवा एवं कल्याण के माध्यम से जोड़ता है। जत्थेदार अपनी रचनाओं, कृति एवं वक्तव्य में हमेशा सहिष्णुता को ही जोर देते हैं।
इंटरनेशनल इंटेलेक्चुअल पंजाबी चैंबर ने किया सम्मान
तख्त श्री हरमंदिर साहिब एवं इसका प्रबंधन कर रही कमेटी को दिल्ली की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भी सम्मानित किया है। इंटरनेशनल इंटेलेक्चुअल पंजाबी चैंबर एंड कॉमर्स की ओर से दिए गए सम्मान को कमेटी ने ग्रहण किया। खुशी जाहिर करते हुए बड़ा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कहा कि तकरीबन साढ़े 500 साल पहले श्री गुरु नानक देव जी ने व्यापार शुरू करने के लिए पिताजी से मिले 20 रुपये को लंगर में खर्च कर दिया था। वहीं से लंगर की परंपरा चली आ रही है और सिख धर्म का मूल आधार लंगर एवं संगत दर्शन है। गुरुद्वारा कमेटी एवं सिख समाज भूखे प्यासे लोगों के लिए सामर्थ के अनुसार सेवा कर रही है। बिहार के विभिन्न इलाकों में तख्त श्री पटना साहिब की ओर से भोजन सामग्री वितरण किया गया। यह उसी का सम्मान है।