Shravani Mela 2020 : बैद्यनाथ की नगरी में झूलनोत्सव की बस परंपरा भर निभेगी, 73 सालों में पहली बार नहीं होगी कोई हलचल
Shravani Mela 2020 बैद्यनाथ की नगरी देवघर में अबकी बार झूलनोत्सव का भी रंग नहीं चढ़ेगा। कोरोना के कारण इस बार झूलनोत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा।
धनबाद, जेएनएन। Shravani Mela 2020 बैद्यनाथ की नगरी देवघर में अबकी बार झूलनोत्सव का भी रंग नहीं चढ़ेगा। कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होने के कारण बाबा नगरी में पहले से ही कोई हलचल नहीं है। अब 30 जुलाई से शुरू हो रहे झूलनोत्सव को लेकर भी कोई उत्साह और तैयारी नहीं दिख रही है। देवघर में झूलनोत्सव के मद्देनजर 30 जुलाई से तीन अगस्त तक सिर्फ परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। देवघर के झौंसागढ़ी स्थिति पुरानी ठाकुरबाड़ी में अनोखा समाज की तरफ से झूलनोत्सव का आयोजन 73 साल से काफी धूमधाम से होता रहा है, लेकिन अबकी बार यहां भी झूलनोत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा।
झूलनोत्सव के प्रधान संयोजक पेंटर राजेश कुमार रावत उर्फ भानू मायूसी से कहते हैं कि अबकी बार कोरोना ने सबकुछ लील लिया है। अनोखा समाज के सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया है कि झांकी की प्रदर्शनी नहीं होगी। निर्णय लिया गया है कि झांकी की जगह एकादशी से पूर्णिमा तक कुछ सदस्यों द्वारा श्रीकृष्ण का पूजन और झूलन सादगीपूर्ण तरीके से शारीरिक दूरी के साथ परंपरा का निर्वाह किया जाएगा। आयोजन में अध्यक्ष राजेश कुमार राउत, प्रकाश मिश्र, पीयूष गुप्ता, विष्णु राउत, गुलाब रावत, मोहन शर्मा, आयुष खत्री, छोटे आर्यन, गुड्डू वर्मा, राजेश शर्मा एवं अन्य चिह्नित सदस्य ही पूजा में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। समिति की ओर से यह भी अपील की गई है कि इस वर्ष श्रद्धालु घर में रहकर ही झूलनोत्सव व जन्माष्टमी मनाएं।
गौरतलब है कि कोरोना का प्रभाव विश्व प्रसिद्ध देवघर श्रावणी मेले पर भी पड़ा, जिसके कारण इस वर्ष श्रावणी मेले का आयोजन नहीं हुआ। इसके अलावा राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होनेवाला श्रीजगन्नाथ रथयात्रा भी इस बार नहीं निकाली गई। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने केंद्र सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए पहले ही धार्मिक सभा, समागम आदि पर रोक लगा रखा है। ऐसे में श्रावणी मेला व रथयात्रा के बाद अब झूलनोत्सव व जन्माष्टमी पर भी कोई हलचल नहीं दिखेगी। बता दें कि देवघर के श्रावणी मेले में देश-विदेश से लाखों लोग जुटते हैं। इससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है। मेले के आयोजन नहीं होने से उनके समक्ष रोजगार का संकट भी उत्पन्न हो जाएगा।