नमामि गंगे परियोजना का DMC को भी मिलेगा लाभ, 381 करोड़ रुपये से बनेंगे पांच सीवेज प्लांट Dhanbad News
सीवेज निर्माण के लिए डीपीआर बनाया जा रहा एक वर्ष के अंदर एसटीपी बनाने की योजना है। स्थल भी लगभग चिह्नित कर लिया गया है। एसटीपी के साथ छ आइएसपीएस भी बनाए जाएंगे।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद शहर में ड्रेनेज सिस्टम की समस्या है। गंदा पानी कभी सड़कों पर तो कभी नालों के जरिए बहता रहता है। इससे पार पाने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत धनबाद नगर निगम (DMC) क्षेत्र में पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया जाएगा। इस पर 381 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पांचों एसटीपी में प्रतिदिन 234 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी स्टोर करने की क्षमता होगी। यहां से पानी ट्रीट करने के बाद अलग पाइपलाइन से लोगों के घरों तक पहुंचाया जाएगा। इस पानी को सिंचाई और दूसरे कार्यों में भी लगाया जाएगा।
सीवेज निर्माण के लिए डीपीआर बनाया जा रहा, एक वर्ष के अंदर एसटीपी बनाने की योजना है। स्थल भी लगभग चिह्नित कर लिया गया है। एसटीपी के साथ छ: आइएसपीएस (इंटीग्रेटेड सीवेज पंपिंग स्टेशन) भी बनाए जाएंगे। जहां से पानी खींचना संभव नहीं होगा, वहां से ये आइएसपीएस पानी खींचेंगे और एसटीपी तक पहुंचाएंगे। इस योजना पर राज्य सरकार, वल्र्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक या डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) से राशि खर्च की जाएगी। यहां बता दें कि शहर से प्रतिदिन 260 एमएलडी से अधिक गंदा पानी निकलता है।
- यहां बनेंगे एसटीपी
स्थल स्टोरेज क्षमता (एमएलडी)
- कोयला नगर 45.16
- शांति कालोनी पथराकुल्ही 38.01
- एफसीआइएल बड़ा तालाब डोमगढ़ सिंदरी 50.82
- सुदामडीह नदी के किनारे सिंदरी 6.43
- डुंगरी बस्ती जामाडोबा झरिया 93.8
- यहां बनेंगे आइएसपीएस (एमएलडी)
- श्मशान रोड लॉ कॉलेज के पास हीरापुर : 3.05
- चिरोगोड़ा रेलवे कॉलोनी : 2.91
- पांडरपाला रेलवे लाइन के समीप : 4.77
- पॉलीटेक्निक रोड विष्णुपुर : 5.28
- मटकुरिया चेकपोस्ट पेट्रोल पंप के सामने : 18.72
- एफसीआइएल क्वार्टर रोहड़ाबांध सिंदरी : 6.6
- क्या है एसटीपी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गंदे पानी और घर में प्रयोग किए गए जल के दूषित अवयवों को विशेष विधि से साफ किया जाता है। इसको साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से दूषित पानी को दोबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जाता है और इससे निकलने वाली गंदगी का इस प्रकार शोधन किया जाता है कि उसका उपयोग वातावरण के सहायक के रूप में किया जा सके।
- फैक्ट फाइल
- नगर निगम क्षेत्र में 100 से अधिक बड़े नाले हैं, कोई भी व्यवस्थित नहीं।
- नालों पर दबाव बढ़ा हुआ है, बहुत जगह तो नाले अतिक्रमण के शिकार।
- प्रतिदिन 260 एमएलडी से अधिक गंदा पानी शहर से निकलता है।
- नगर क्षेत्र में प्रतिदिन 16 लाख लोगों की प्यास बुझाने के लिए 245 मिलियन लीटर पानी की जरूरत।
- कोलियरी क्षेत्रों में बीसीसीएल 3 लाख 40 हजार 120 गैलेन पानी प्रतिदिन बहा रही।
- शहर में सिर्फ मैथन से प्रतिदिन 77 एमएलडी (मिलियंस ऑफ लीटर पर डे) जलापूर्ति।
- साढ़े तीन से चार लाख आबादी को मिलता है पानी।
- वर्तमान में जामाडोबा वाटर प्लांट से प्रतिदिन 43 एमएलडी जलापूर्ति। इससे डिगवाडीह से कतरास तक लगभग दस लाख आबादी की बुझती है प्यास।
- जामाडोबा में बने एलएंडटी के 143 एमएलडी क्षमता वाले वाटर प्लांट से शीघ्र जलापूर्ति। इससे जामाडोबा से सबलपुर-दामोदरपुर तक लगभग 12 लाख आबादी को मिलेगा पानी।
एसटीपी एवं आइएसपीएस बनाने के लिए डीपीआर बनाया जा रहा है। जगह भी लगभग चिह्नित है। एक-दो जगह एसटीपी के लिए जगह थोड़ी कम पड़ रही है, इसकी तलाश की जा रही है। जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। इसके बनने से ड्रेनेज की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। पानी दोबारा प्रयोग में लाया जा सकेगा। इससे शहर का ड्रेन बाहर निकलेगा।
- चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर