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फोन-पे करते हैं इस्तेमाल तो हो जाए सावधान, एक करोड़ के फर्जीवाड़ा मामले में शामिल शातिर समेत 7 हुए गिरफ्तार

साइबर अपराध को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लोगों से आग्रह है कि वे किसी के झांसे में आकर अपना ओटीपी या बैंक का डिटेल्स न दें।

By Sagar SinghEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 02:23 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 02:26 AM (IST)
फोन-पे करते हैं इस्तेमाल तो हो जाए सावधान, एक करोड़ के फर्जीवाड़ा मामले में शामिल शातिर समेत 7 हुए गिरफ्तार
फोन-पे करते हैं इस्तेमाल तो हो जाए सावधान, एक करोड़ के फर्जीवाड़ा मामले में शामिल शातिर समेत 7 हुए गिरफ्तार

धनबाद, जेएनएन। देवघर जिले के पुलिस ने सारठ थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में मंगलवार को छापेमारी कर सात साइबर आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। बुधवार को इसकी जानकारी देवघर एसपी पीयूष पांडेय ने दी। इस संबंध में एसपी ने कहा कि पकड़े गए आरोपित फोन-पे के कस्टमर केयर प्रतिनिधि बनकर लोगों को फोन करते थे और कैशबैक का झांसा देकर उनसे उनके बैंक खाता की जानकारी हासिल कर साइबर अपराध को अंजाम दे रहे थे।

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एसपी ने बताया कि इसकी भनक पुलिस को लगी और छापेमारी कर सात आरोपितों को पकड़ लिया गया। ये सभी पूरी तैयारी के साथ ठगी का धंधा संचालित कर रहे थे। इनमें से एक आरोपित सारठ थाना क्षेत्र के नयाखरना निरंजन दास पिछले दिनों आइसीआइसीआइ बैंक में हुए करीब एक करोड़ के फर्जीवाड़ा मामले में भी शामिल रहा था।

इन आरोपितों की हुई गिरफ्तारी : चंदन कुमार दास (अलुवारा), उमेश महरा (दुधवाजोरी), निरंजन दास (नयाखरना), रितेश कुमार दास (अलुवारा), कुलदीप कुमार दास (बस्की), विकास कुमार दास (चरकमारा), प्रदीप दास (बस्की) का रहने वाला है।

45 हजार नकद व अन्य सामान जब्त : पकड़े गए आरोपितों के पास से 45,500 नकद, 27 मोबाइल, 26 एटीएम, आठ सिम कार्ड, 15 पासबुक, दो बायोमेट्रीक मशीन, एक एटीएम क्लो¨नग मशीन, 33 ब्लैंक एटीएम कार्ड, एक लैप टॉप, एक स्कूटी, एक डोंगल, एक बाइक शामिल है।

साइबर अपराधियों के खिलाफ जारी रहेगा अभियान : एसपी पीयूष पांडेय ने कहा कि साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। अपराध नियंत्रण के दो पहलू हैं अपराध का अनुसंधान, अपराधियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी व लोगों में जागरूकता। पुलिस लगातार गुप्त सूचनाओं व कॉल लोकेशन के आधार पर साइबर अपराध से जुड़े लोगों को पकड़ रही है और उम्मीद है कि इससे अनुसंधान में मदद मिलेगी। इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लोगों से आग्रह है कि वे किसी के झांसे में आकर अपना ओटीपी या बैंक का डिटेल्स न दें। जागरूकता से साइबर अपराध पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।


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