Move to Jagran APP

यूरोपियन तकनीक से चलेंगी सेमी हाई स्पीड ट्रेनें, चालक से गलती हुई तो लगेगा ऑटोमेटिक ब्रेक Dhanbad News

हावड़ा से नई दिल्ली के बीच 160 किमी प्रति घंटा ट्रेन चलाने के लिए यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल- 2 को स्वीकृति दी गई है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 08:04 AM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 08:04 AM (IST)
यूरोपियन तकनीक से चलेंगी सेमी हाई स्पीड ट्रेनें, चालक से गलती हुई तो लगेगा ऑटोमेटिक ब्रेक Dhanbad News
यूरोपियन तकनीक से चलेंगी सेमी हाई स्पीड ट्रेनें, चालक से गलती हुई तो लगेगा ऑटोमेटिक ब्रेक Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। सेमी हाई स्पीड ट्रेनों को सुरक्षित चलाना भी रेलवे के लिए बड़ी चुनौती होगी। तेज रफ्तार से चले वाली ट्रेनें अगर आपस में टकरा गईं तो जान-माल की बड़ी क्षति होगी। इसके मद्देनजर रेलवे ने यूरोपियन तकनीक अपनाने का निर्णय लिया है।

loksabha election banner

हावड़ा से नई दिल्ली के बीच 160 किमी प्रति घंटा ट्रेन चलाने के लिए यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल- 2 को स्वीकृति दी गई है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। इस तकनीक से ट्रेनों को केंद्रीय रूप से नियंत्रित किया जा सकेगा। ट्रेन के चालक के केबिन में सिग्नल की अद्यतन स्थिति दिखाई पड़ेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह सिस्टम स्वचालित ट्रेन सुरक्षा से लैस है। किसी कारणवश अगर ड्राइवर ट्रेन को रोकने में असफल हो गया तो ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। इससे ट्रेनों के आमने-सामने होनेवाली टक्कर जैसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

कैसे काम करेगा यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टमः इस सिस्टम के तहत ट्रेन के इंजन में मॉनीटर लगाया जाएगा। इंजन में लगे मॉनीटर को रेडियो तरंगों से मैसेज मिलते रहेंगे। रेल लाइन के आसपास भी उपकरण लगे होंगे जो सिग्नल के बारे में मॉनिटर तक मैसेज भेजेंगे। इससे रेल चालक को लाल और हरे सिग्नल की जानकारी आसानी से मिलती रहेगी।

घने कोहरे में भी सुरक्षित दौड़ेगी रेलगाड़ीः यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लेवल- 2 की मदद से घने कोहरे के दौरान ट्रेन परिचालन में चालक को आने वाली सिगनल संबंधी बाधाएं दूर हो जाएंगी। कोहरे के दौरान भी रेलगाडिय़ां बेफिक्र और सुरक्षित दौडेंग़ी। कोहरे के सीजन में अक्सर ट्रेन हादसे होते हैं क्योंकि ड्राइवर को सिग्नल की सही जानकारी नहीं मिल पाती और वह सिग्नल को पार कर जाता है। सिग्नल की सटीक जानकारी मिलने से इसकी संभावना नहीं रहेगी।

'नए इंस्टॉलेशन के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे कम मैन पावर में सुरक्षित परिचालन मुमकिन होगा। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग माइक्रोप्रोसेसर आधारित है और केंद्रीकृत यातायात नियंत्रण के लिए अनुकूल भी है। इससे भविष्य में रेलवे यार्डों में होने वाले परिवर्तन के दौरान भी मदद मिलेगी।'

-राजेश कुमार, सीपीआरओ , पूर्व मध्य रेल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.