आपके बच्चे को भी लग गई मोबाइल की लत...परेशान न हो, एक्पर्ट की इन 7 बातों का रखें ख्याल
हीरापुर के रहने वाले कक्षा नौवीं के छात्र शिवम (बदला हुआ नाम) के स्वभाव में अचानक परिवर्तन आ गया है। शिवम कुछ महीनों से हर बात पर चिड़चिड़ा हो जा रहा है। पापा ने नए स्मार्टफोन देने की बात कही थी।
मोहन गोप, धनबाद: हीरापुर के रहने वाले कक्षा नौवीं के छात्र शिवम (बदला हुआ नाम) के स्वभाव में अचानक परिवर्तन आ गया है। शिवम कुछ महीनों से हर बात पर चिड़चिड़ा हो जा रहा है। पापा ने नए स्मार्टफोन देने की बात कही थी, लेकिन स्मार्टफोन फोन नहीं मिलने पर शिवम गुस्से में जान देने तक की बात कर रहा है। माता-पिता भी काफी परेशान हो गए हैं। इसके बाद एसएनएमएमसीएच के मनोचिकित्सक विभाग ले जाया गया। यहां मनोचिकित्सक ने बताया कि शिवम मोबाइल एडिक्शन का शिकार हो गया है। ऑनलाइन क्लास के कारण शिवम गेम खेलने का आदि हो गया है। अब नए मोबाइल लेने की बात कर रही है।
क्योंकि उसके दोस्तों के पास अच्छा मोबाइल है। दरअसल, यह मामला केवल शिवम का नहीं बल्कि कोयलांचल में रहने वाले दूसरों बच्चों में देखने को मिल रहा है। ओपीडी में कोविड से पहले जहां दो से तीन बच्चे आते थे। अब ऐसे बच्चों की संख्या 10-12 हो गई है। कोयलांचल में लगभग 35 प्रतिशत बच्चे मोबाइल एडिक्शन के शिकार हो गए हैं। बच्चे सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर के हो रहे शिकार मनोचिकित्सक डाॅक्टर शिल्पी कुमारी बताती हैं कि मोबाइल एडिक्शन के कारण बच्चे में सेल्फ हार्मिंग बिहेवियर अर्थात खुद से अपने आप को नुकसान पहुंचाने का लग लग रहा है।
दरअसल, लाकडाउन में आनलाइन पढ़ाई से बच्चे आनलाइन गेम के शिकार हो रहे हैं। महानगरों की बीमारी अब गांव तक फैली डॉ शिल्पी बताती हैं कि पहले ऐसी बीमारी महानगरों तक सीमित रहती थी। लेकिन अब यह तेजी से गांवों तक फैल रही है। इसका कारण स्मार्ट फोन है। भारत में करीब 38 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन उपभोक्ता हैं। जिन घरों में बड़े लोग ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, वहां बच्चों में भी आदत पड़ जाती है। बच्चे की निर्भरता परिवार के सदस्यों की जगह मोबाइल पर ज्यादा हो गई है।
सदर अस्पताल में युवा मैत्री केंद्र वरदान
मानसिक व शारीरिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहे किशोर-किशोरियों के लिए सदर अस्पताल में युवा मैत्री केंद्र हैं। हर दिन किशोर-किशोरियों में होने वाली मानसिक समस्या पर यहां परामर्श दिया जाता है। काउंसलर रानी प्रसाद बताती हैं कि समय पर परामर्श से बच्चों के तनाव, अवसाद से दूर किया जा सकता है। केंद्र का यही उद्देश्य है। स्कूली बच्चों के लिए अलग से परामर्श कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
मोबाइल लत के लक्षण
भूख कम लगना
चिड़चिड़पान अधिक होना
नींद का कम आना
झगड़ालू होना
किसी चीज में मन न लगना
गुस्सा आना
जानलेवा हरकत करना
इन बातों का रखें ख्याल
- केवल पढ़ाई तक ही फोन दें, इसके बाद इसमें लाक लगा दें
- बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं
- बच्चे के मनमुताबिक खाना बनाएं
- शारीरिक कार्य वाले गेम पर ध्यान दें
- बच्चे को डांटने की बजाए प्यार से समझाएं
- बच्चे की गतिविधियों पर ध्यान रखें
- बच्चे के दोस्तों से मिले व उनके गतिविधि के बारे में पता लगाए