समुद्र की अनंत गहराइयों में खनिज संपदा का होगा खनन, IIT-ISM के पूर्ववर्ती छात्र ने ईजाद की तकनीक; जानिए
समुद्र की अतल गहराइयों और अथाह जलराशि के भीतर खनन कर जमीन के गर्भ से खनिज निकालना कितना दुष्कर है यह बताने की जरूरत नहीं। अजीत सिंह चौधरी और उनकी टीम ने तकनीक ईजाद की है।
धनबाद [आशीष सिंह]। समुद्र से सीप, शंख, मूंगा, मोती और अन्य रत्न निकाले जाने की बात तो हम सभी ने सुनी है, लेकिन अथाह जलभंडार के नीचे खनन कर अगर लोहा, कोयला जैसे खनिज निकाले जाने लगें तो इसे आप क्या कहेंगे। हो सकता है पहली बार आपको इस बात पर भरोसा न हो, लेकिन धनबाद के आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के पूर्व छात्र अजीत सिंह चौधरी और उनकी टीम ने इस परिकल्पना को साकार करने का फामूर्ला पेश कर दिया है।
समुद्र की अतल गहराइयों और अथाह जलराशि के भीतर खनन कर जमीन के गर्भ से खनिज निकालना कितना दुष्कर है यह बताने की जरूरत नहीं। चौधरी और उनकी टीम ने ऐसी तकनीक ईजाद की है जो समुद्र के अंदर पानी का दबाव कम करेगी। इस तकनीक की सहायता से समुद्र के अंदर की परतों में खनन हो सकेगा। समुद्र के भीतर का यह माइिनंग प्लांट भविष्य में खनन की नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है।
खास तरीके से खनिज खनन का पहला स्टार्टअपः बकौल अजीत तकनीक विकसित करने वाला उनका स्टार्टअप 'एलिटेक' पहली कंपनी है, जो समुद्र से खनिज निकालने की दिशा में तकनीक विकसित कर चुकी है। एलिटेक कोयले के साथ लौह अयस्क के खनन में तकनीकी सपोर्ट देने वाला देश का इकलौता स्टार्टअप है। जल्द ही समुद्र के अंदर खनिजों के खनन का प्लांट लगेगा। इसके लिए दुनिया की नामचीन कंपनियों से बात हो रही है। नई तकनीक पानी के भीतर से 100 फीसद शुद्ध खनिज बाहर ले आएगी।
स्टार्टअप को मिली केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से मान्यताः अजीत ने आइआइटी आइएसएम धनबाद से 2005 में मिनरल इंजीनियरिंग में बीटेक किया था। 12 साल तक कई कंपनियों में काम किया। इस दौरान टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, प्रोडक्शन और मार्केटिंग की गूढ़ बातों की जानकारी ली। 2017 में अपनी पत्नी रुचिका के साथ मिलकर स्टार्टअप एलिटेक शुरू किया। इसे केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से मान्यता मिल गई है। स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के तहत एलिटेक रजिस्टर्ड है। इसमें जर्मनी और कनाडा के विशेषज्ञ भी तकनीकी साझीदार हैं।
ऐसे काम करेगी तकनीकः अजीत ने बताया कि समुद्र में लहरों का अत्यधिक दबाव रहता है। इसलिए वहां खनन करना मुश्किल है। हमारी तकनीक दबाव को इतना कम करेगी कि खनन आसान हो जाएगा। इस तकनीक से सुसज्जित माइनिंग प्लांट समुद्र से खनिज को आराम से निकाल सकेगा।
अडाणी समेत मोजांबिक की कंपनियों के लिए विकसित कर रहे मिनरल प्रोसेसिंग तकनीकः अजीत बताते हैं कि वह असम और गुजरात सरकार के अलावा देश में सैनिक और अडाणी ग्र्रुप व मोजांबिक की बड़ी कंपनियों के लिए शुद्ध खनिज प्राप्त करने की मिनरल प्रोसेसिंग तकनीक विकसित कर रहे हैं। सैनिक ग्रुप के लिए 40 मिलियन टन की स्टील कंपनी और अडाणी समूह के 10 मिलियन टन के प्रस्तावित प्लांट के लिए डीपीआर तैयार हो रहा है। हम लौह अयस्क के खनन के लिए जियोलॉजिकल सर्वे से लेकर खनिज प्रोसेसिंग पर काम कर रहे हैं।