Sri Sri Hanumant Katha: साधु-संत नेक रास्ते पर चलने की देते सलाह, परिस्थितिवश मनुष्यों का बदलता रहता चेहरा
सचिव वैद व गुरु को गलत कभी नही बोलना चाहिए। तीनों के आदेश के अनुसार कार्य करना चाहिए। सचिव वैद व गुरु गलत बोलें तो हानि होती है।
पंचेत, जेएनएन। मंगल मूर्ति धाम जूनकुंदर में चल रहे श्री श्री हनुमंत कथा के चौथे दिन कथा वाचक प्रदीप भैया ने कहा कि साधू और संत चौकीदार की तरह हैं। दोनों धर्म के प्रति जागरूक करते हैं। साधु-संत लोगों को नेक रास्ते पर चलने की सलाह देते है। लेकिन मनुष्य परिस्थितिवश चेहरा बदलता रहता है। मनुष्य को ज्ञानेंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सचिव, वैद व गुरु को गलत कभी नही बोलना चाहिए। तीनों के आदेश के अनुसार कार्य करना चाहिए। सचिव, वैद व गुरु गलत बोलें तो हानि होती है। सचिव के गलत बोलने से समाज में नाश, वैद मे गलत बोलने से शरीर और गुरु गलत बोले तो धर्म का नाश होता है। कथा में जय प्रकाश देवरालिया, अशोक मंडल, हरि प्रकाश लाटा, उपेन्द्रनाथ पाठक, कृष्णलाल रूंगटा, जयप्रकाश सिंह, शफीर खान, रामवतार अग्रवाल, विनय सिंह, माणिक गोराई, रिंटू पाठक, चंद्रदेव यादव, विरेंद्र यादव अटल, राजू चाैहान, संजय चाैहान, भोला चाैहान, गुड्डू सिंह आदि उपस्थित थे।