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महासमर :: 71 वर्षो से एक अदद सड़क की दरकार

गांव की कहानी फोटो - बरसात में मुसीबत बनता है कच्चा रास्ता बलवंत कुमार धनबाद

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 09:13 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 09:13 PM (IST)
महासमर :: 71 वर्षो से एक अदद सड़क की दरकार
महासमर :: 71 वर्षो से एक अदद सड़क की दरकार

गांव की कहानी फोटो ::

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- बरसात में मुसीबत बनता है कच्चा रास्ता बलवंत कुमार, धनबाद :

फोर लेन से सिक्स लेन बनती जीटी रोड। इस जीटी रोड के साहुबहियार से तांतरी को जाती ग्रामीण सड़क और इसी ग्रामीण सड़क से महज 300 मीटर दूर बसा है धनबाद के तोपचांची प्रखंड का राजस्व गांव कालाझर। यह गांव मदैयडीह पंचायत के तहत आता है और इस पंचायत की आबादी करीब पांच हजार के आसपास है। कालाझार गांव की पहचान स्वतंत्रता सेनानी स्व. गणेशचंद्र दुबे के नाम से भी है, लेकिन आजादी मिलने के 71 सालों के बाद भी महज 300 मीटर पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका। दुर्दशा का आलम है कि लोग कीचड़ भरे रास्तों से होकर आना जाना करते हैं।

कालाझर गांव की आबादी करीब चार सौ के आसपास है। गांव के पास से तांतरी सड़क गुजरती है, लेकिन इस सड़क से गांव को जोड़ने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं। सबसे बुरी स्थिति बारिश के दिनों में होती है। कीचड़ से भरे इसके रास्तों पर लोग अपनी धोती, लुंगी, पैंट और महिलाएं साड़ी उठाकर चलने को मजबूर हैं। दो पहिया वाहन अथवा साइकिल के लिए तो यह किसी काल से कम नहीं। सावधानी हटी की दुर्घटना घटी। चार पहिया अथवा तीन पहिया वाहन इस गांव में जाने से कतराते हैं। कहीं गाड़ी का पहिया कीचड़ में धंस गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी। गांव के युवक विष्णु कुमार दुबे कहते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है गांव को 300 मीटर पक्के रास्ते के लिए तरसते देखा है। प्रखंड से लेकर जिला तक दर्जनों बार ग्रामीणों का संयुक्त हस्ताक्षर युक्त आवेदन दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।

गावं के सुदर्शन प्रसाद दुबे बताते हैं कि कालाझर गांव में जन्म लिए, खेले कूदे, बड़े हुए, लेकिन पक्की सड़क का सपना पूरा नहीं हो सका है। उन लोगों ने भी गांव आने वाले नेताओं, विधायक, सांसद, प्रखंड विकास पदाधिकारी तक पक्की सड़क बनाने की मांग की, लेकिन कभी कुछ नहीं हुआ। अब एक बार फिर से सड़क बनाने को लेकर मुख्यमंत्री तक पत्राचार किया जा रहा है। चुनाव आ चुका है। वादों का दौर एक बार फिर शुरू होगा, लेकिन गांव वाले अब अपने फैसले पर अडिग हैं, वोट करेंगे, लेकिन चोट के साथ।

स्थिति : गांव का यह रास्ता रैयती जमीन होकर जाता है। वर्ष 2009 में तत्कालीन अंचलाधिकारी ने जमीन अधिग्रहण कर पक्का रास्ता बनाने का प्रस्ताव दिया था। इस पर सहमति भी बन गई थी, लेकिन उनके तबादले के बाद आए बीडीओ ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया, तब से लेकर आज तक ग्रामीण रास्ते के पक्कीकरण के लिए दर-दर भटक रहे हैं।


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