Doorstep Delivery: खाद्यान्न की डोर स्टेप डिलीवरी के ठेके में आरक्षण खत्म, अब झारखंड के बाहर के लोगों को भी मिलेगा प्रखंड स्तर का काम
गिरिडीह समेत 13 जिलों के 224 प्रखंडों में डोर स्टेप डिलीवरी के लिए सरकार ने टेंडर निकाला है। इसमें स्थानीयता की कोई अनिवार्यता नहीं है। आवासीय प्रमाणपत्र की मांग भी नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में यह ठेका देश के किसी भी हिस्से का नागरिक हासिल कर सकता है।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। भवन निर्माण विभाग में 25 करोड़ रुपये तक का ठेका स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने वाली हेमंत सरकार ने डोर स्टेप डिलीवरी का दरवाजा झारखंड से बाहर के लोगों के लिए भी खोल दिया है। अब तक इस कार्य में स्थानीय लोगों की ही भागीदारी होती थी। सरकार की इस नीति के कारण प्रखंड स्तर के ठेके में भी अब दूसरे प्रांत के लोगों का कब्जा होगा। बाहरी लोगों के आगे झारखंड के छोटे-छोटे ठेकेदार शायद ही इस प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे। यही कारण है कि सरकार के इस निर्णय का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। सिर्फ विपक्षी पार्टी भाजपा ही नहीं, सत्ताधारी पार्टी झामुमो एवं कांग्रेस ने भी इस पर आपत्ति जताई है। विधायकों ने यह मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया है।
सरकार ने निकाला टेंडर
गिरिडीह जिले के 13 समेत पूरे सूबे के 224 प्रखंडों में डोर स्टेप डिलीवरी के लिए सरकार ने टेंडर निकाला है। इसमें स्थानीयता की कोई अनिवार्यता नहीं है। आवासीय प्रमाणपत्र की मांग भी नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में यह ठेका देश के किसी भी हिस्से का नागरिक हासिल कर सकता है। मुंबई की कंपनी एनईएमएल को यह टेंडर कराने का ठेका दिया गया है। सरकार इसके लिए उस कंपनी को 0.5 फीसद कमीशन देगी। साथ ही टेंडर डालने वाले सभी ठेकेदारों को इस कंपनी का निबंधन दो हजार रुपये देकर करना होगा।
क्या है डोर स्टेप डिलीवरी
कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने एफसीआइ के गोदामों से जन वितरण प्रणाली की दुकानों तक सरकारी राशन पहुंचाने की व्यवस्था की है। इसके तहत ठेकेदार चावल, चीनी, दाल आदि खाद्यान्न गोदाम से सीधे जन वितरण दुकान तक पहुंचाते हैं। इस व्यवस्था से जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को जहां राशन उठाने के लिए एफसीआइ गोदाम एवं आपूर्ति कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है, वहीं गोदाम से होने वाली कालाबाजारी पर भी बहुत हद तक रोक लगी है।
डोर स्टेप डिलीवरी का काम निश्चित रूप से स्थानीय युवकों को मिलना चाहिए। इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएंगे।
-सुदिव्य कुमार, गिरिडीह विधायक, झामुमो
झारखंड सरकार का यह फैसला झारखंडियों के हितों पर हमला है। प्रखंड के बेरोजगार युवक समूह बनाकर डोर स्टेप डिलीवरी का काम करते थे। वैसे लोग फिर से बेरोजगार हो जाएंगे। बाहरी लोगों का इस पर कब्जा हो जाएगा। इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे।
-विनोद सिंह, बगोदर विधायक, भाकपा माले