पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने पहली बार किया रावण दहन, छह दशक से निभाई जा रही परंपरा Dhanbad News
देश विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए चानन लाल लांबा व लीला राम सेठी ने सिंदरी में 1956 से रावण दहन की शुरुआत की थी। तबसे हर साल सिंदरी में रावण दहन महोत्सव का आयोजन हो रहा है।
झरिया [ गोविंद नाथ शर्मा ]। झरिया व इसके आसपास क्षेत्रों में विजयदशमी को रावण दहन की पंरपरा छह दशक से भी पुरानी है। दशहरा के दिन असत्य पर सत्य के विजय के प्रतीक के रूप में देश में जब रावण दहन के परंपरा की शुरुआत हो रही थी, तब इस परंपरा का निर्वहन करनेवाला सिंदरी भी उन चुनिंदा शहरों में एक था।
चानन लाल व लीला राम ने किया शुभारंभः देश विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए शरणार्थी चानन लाल लांबा व लीला राम सेठी ने सिंदरी में 1956 से रावण दहन की शुरुआत की थी। तबसे सिंदरी में लगातार 63 वर्षों से रावण दहन महोत्सव का आयोजन हो रहा है। अपवाद स्वरूप झरिया के विधायक सूर्यदेव सिंह के निधन के वर्ष 1991 और शिव मंदिर समिति के अध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह के निधन के साल 2017 में रावण दहन नहीं किया गया था। सिंदरी में रावण दहन महोत्सव के भव्य आयोजन का इतिहास रहा है। यहां रावण दहन महोत्सव के दौरान परंपरागत हथियारों के साथ राम, लक्ष्मण और हनुमान की झांकी और शोभा यात्रा निकाली जाती थी। प्रभु राम के साथ दर्जनों हाथियों पर सवार होकर सेना भी चलती थी। नगाड़ों व ढ़ोलक की थाप पर राम व रावण के स्वांग युद्ध घोष के दौरान हाथियों की चिहाड़ से लोगों का कलेजा कांप उठता था। अब यह सब नहीं होता है। हां, रंग-बिरंगी आतिशबाजी रावण दहन के आकर्षण का केंद्र जरुर होते हैं। मंहगाई की मार ने रावण महोत्सव को थोड़ा फीका कर दिया है।
इस साल भी बन रहा राणव का 65 फीट ऊंचा पुतलाः शिव मंदिर समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रणधीर सिंह व विदेशी सिंह ने बताया कि इस साल भी 65 फीट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण हो रहा है। सिंदरी के कलाकार राजन तिवारी रावण के पुतले का निर्माण कर रहे हैं। विजयादशमी के अवसर पर आठ अक्टूबर को शिव मंदिर शहरपुरा परिसर में रावण दहन महोत्सव होगा। रावण दहन को देखने सिंदरी, झरिया, बलियापुर, धनबाद आदि क्षेत्रों से लोग पहुंचते हैं।
कांड्रा में भी जलता रावणः सिंदरी के अलावा पिछले दो दशक से कांड्रा में भी रावण दहन महोत्सव होता आ रहा है। महोत्सव की शुरुआत उत्तमलाल विश्वकर्मा, भगलू सिंह, एके गिरी आदि ने की थी। यहां के दुर्गा मंदिर में 1949 से पूजा हो रही है। अब कांड्रा मजदूर हाई स्कूल परिसर में रावण दहन होता है। इस दौरान आकर्षक आतिशबाजी भी होती है। पाथरडीह मोहन बाजार दुर्गा मंदिर में 1979 में मां दुर्गा की पूजा शुरु की गई। मुरारी अग्रवाल, अंबिका सिंह, शंकर विश्वकर्मा, सुभाष पाल, प्रभाष अग्रवाल आदि ने 1982 में यहां भव्य रावण दहन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। वहीं भौंरा गौरखुटी दुर्गा मंदिर के पास भी वर्षों से रावण दहन कार्यक्रम हो रहा है। यह पार्षद चंदन महतो व अन्य के सहयोग से होता है।
झरिया से सटे बलियापुर दुर्गा मंदिर प्रांगण में दशहरा के अवसर पर श्री सार्वजनिक दुर्गापूजा समिति बलियापुर की ओर से रावण दहन कार्यक्रम 36 साल से किया जा रहा है। यहां हजारों लोग जुटते हैं। हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। 40 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जाता है। वहीं प्रधानखंता दुर्गा मंदिर प्रांगण में भी तीन साल से रावण दहन हो रहा है। पूर्व मुखिया कन्हाई बनर्जी की देखरेख में मेला भी लगता है। यहां 25-30 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जाता है। बाघमारा गांव दुर्गा मंदिर प्रांगण में दो साल से रावण दहन हो रहा है। यहां 15-20 फीट ऊंचा रावण का पुतला दहन किया जाता है।