आइआइएम-आइआइटी में फेल छात्रों की संख्या में आई कमी, 7.5 फीसद ने वर्ष 2015-16 में छोड़ी पढ़ाई या हुए थे फेल Dhanbad News
आइआइटी आइआइएम जैसे प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के फेल होने या पढ़ाई बीच में छोड़ने जैसे मामलों में कमी आई है। पिछले पांच वर्षो में यह कमी 50 फीसद से ज्यादा की है।
नई दिल्ली/धनबाद, जेएनएन। आइआइटी, आइआइएम जैसे देश के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के फेल होने या पढ़ाई बीच में छोड़ने जैसे मामलों में भारी कमी आई है। पिछले पांच वर्षो में यह कमी पचास फीसद से ज्यादा की है। इसके पीछे सरकार की वह पहल सफल हुई है, जिसमें खराब शैक्षणिक प्रदर्शन को सुधारने के लिए उठाए गए सुधारात्मक कदम शामिल हैं। ऐसे पहल में संस्थानों में छात्रों की देखरेख के लिए सलाहकार की नियुक्ति भी शामिल है।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय की रिपोर्ट के मुताबिक, इन संस्थानों में फेल होने वाले या पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे छात्रों की होती है, जो पहले सेमेस्टर में होते हैं। इसके पीछे छात्रों के परिवेश को बड़ी वजह माना गया था। कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली प्रवेश परीक्षा देकर आने के बाद भी वह पढ़ाई में पिछड़ जाते थे। भाषाई समस्या भी एक वजह थी। इसके चलते इन छात्रों और परिजनों को जहां गहरी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता था। वहीं इससे देश के इन प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों की छवि भी बिगड़ रही थी। मंत्रालय के मुताबिक, इसे लेकर कई अहम कदम उठाए गए थे जिसका परिणाम दिखने लगा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में जहां आइआइटी में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 2.25 फीसद थी, वहीं 2019-20 में 0.68 फीसद है। इसी तरह आइआइएम में 2015-16 में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 1.04 फीसद थी, जो 2019-20 में सिर्फ 0.78 फीसद है। इसी तरह देश के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में भी फेल होने वाले या पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों की संख्या 2015-16 में जहां औसत 7.49 फीसद थी। वहीं 2019-20 में यह सिर्फ 2.82 फीसद है।
इसके साथ ही मंत्रालय ने आइआइटी में फेल होने वाले छात्रों को बेहतर विकल्प भी देना शुरू कर दिया है। इसके तहत उन्हें बीएससी (बैचलर आफ साइंस) जैसे कोर्सो में दाखिला दिया जा रहा है। मंत्रालय के मुताबिक, इन छात्रों को संस्थान सम्मानजनक ढंग से विदा करना चाहते हैं ताकि वह संस्थान से निकलकर भी अपना जीवन बेहतर तरीके से जी सकें।