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रैयतों को नहीं मिला मुआवजा, प्रबंधन बेपरवाह

जमीन देकर भी मुआवजा से वंचित हैं रैयत, प्रबंधन गंभीर नहीं

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:54 PM (IST)
रैयतों को नहीं मिला मुआवजा, प्रबंधन बेपरवाह
रैयतों को नहीं मिला मुआवजा, प्रबंधन बेपरवाह

तिसरा : बस्ताकोला क्षेत्र के कुइयां कोलियरी में पैकेज डील के तहत 1975-76 में 84 एकड़ जमीन कोल कंपनी ने किसानों से ली थी। पैकेज डील के बाद पूर्व सांसद स्व.विनोद बिहारी महतो, बीसीकेयू के महामंत्री एसके बख्शी के बीच किसानों की जमीन के सवाल पर प्रबंधन के साथ समझौता हुआ था। तत्कालीन जीएम रवींद्र ¨सह, स्टेट के अधिकारी एसके लाल व ग्रामीण प्रतिनिधि प्रहलाद महतो, गुहीराम मांजी व किसान प्रतिनिधियों के साथ वार्ता हुई थी। प्रबंधन ने कुइयां, चांद कुइयां, भागारामपुर, अलकडीहा मौजा की 84 एकड़ जमीन ली थी। समझौते के अनुसार नौकरी और मुआवजा की बातें कही गईं थीं। लेकिन मात्र 36 किसानों को ही नौकरी मिली। मुआवजा आज तक नहीं मिला। कई बार किसानों की ओर से प्रबंधन को मांग पत्र दिया गया। किसान अपनी दी गई जमीन के बदले रजिस्ट्री कराकर मुआवजा पैसा लेने को तैयार हुए। लेकिन प्रबंधन ने इस पर कोई पहल नहीं की। किसानों की जमीन पर कहीं डिपो कहीं घर तो कहीं परियोजना बना दी गई है। इस संबंध में किसान के प्रतिनिधि सह बीसीकेयू के नेता कुइयां के प्रहलाद महतो ने बताया कि वर्ष 2013-14 में किसानों ने अपनी जमीन के सारे कागजात, रसीद प्रबंधन को मालिकाना हक जो वर्तमान में है। उसका लिस्ट सम्मिट किया। झरिया के सीओ से भी अनुशंसा करा बस्ताकोला क्षेत्रीय कार्यालय में कागजात को जमा कराया गया। लेकिन प्रबंधन ने आज मुआवजा के लिए पहल नहीं की। प्रबंधन का कहना था कि जिस समय जमीन ली गई है। उस समय के रेट से किसान मुआवजा लें। इस पर रैयत किसान राजी नहीं हैं। किसान जब जमीन की रजिस्ट्री होगी। उसी सरकारी दर से मुआवजा राशि मांग रहे हैं। मामला अटका हुआ है। मामले को निरसा के विधायक अरूप चटर्जी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि मामले को पूर्व में भी उठाए थे। आगे भी विधानसभा से लेकर बीसीसीएल के उच्च अधिकारी तक उठाएंगे। ताकि रैयत किसानों को उनका हक मिल सके। अभी जो किसान मौजूद हैं। उनमें कुइयां बस्ती के प्रहलाद महतो, गुहीराम मांजी, दिलीप महतो, नाथू महतो, मनोज महतो, अदालत प्रमाणिक, बैजनाथ प्रमाणिक, चांद कुइयां बस्ती के विवेक महतो, दशरथ महतो, भागारामपुर के जगेश्वर महतो, किस्टो महतो शामिल हैं। रैयत व किसान आज भी आस लगाकर बैठे हैं। शायद प्रबंधन व सरकार किसानों की फरियाद सुनें और उनका हक दें। बस्ताकोला क्षेत्रीय प्रबंधन का कहना है कि मामला काफी पुराना है। पूर्व में ही उच्च अधिकारी के पास मामले को कोयला भवन भेजा गया है। वरीय अधिकारी ही कुछ करेंगे।

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