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मां के निधन के बाद रवि का बदला जीवन का मकसद, फल-फूल से माओवाद प्रभावित इलाके को महकाया Dhanbad News

बकौल रवि आत्मसंतोष है क्योंकि हम लोगों को शुद्ध सब्जियां और फल खिला सेहतमंद कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण हो रहा है 30 आदिवासी महिलाओं को काम दिया है। पलायन बंद।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 08:35 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:35 AM (IST)
मां के निधन के बाद रवि का बदला जीवन का मकसद, फल-फूल से माओवाद प्रभावित इलाके को महकाया Dhanbad News
मां के निधन के बाद रवि का बदला जीवन का मकसद, फल-फूल से माओवाद प्रभावित इलाके को महकाया Dhanbad News

धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। माओवाद प्रभावित टुंडी में इंजीनियर रवि निषाद को हर गांव वाला जानता है। दिल्ली की एक कंपनी की नौकरी छोड़ रवि धनबाद आ गए। मकसद नौकरी करेंगे नहीं, देंगे। डेढ़ वर्ष पहले टुंडी के सोनदाहा गांव में 20 एकड़ जमीन ली। पांच एकड़ की साइट पर फल, फूल और सब्जी की जैविक खेती शुरू की। पहले ही साल करीब सात लाख का लाभ। अब बीस एकड़ में खेती कर रहे हैं। इस अनुपात में 28 लाख रुपये से अधिक आय की उम्मीद है।

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बकौल रवि आत्मसंतोष है, क्योंकि हम लोगों को शुद्ध सब्जियां और फल खिला सेहतमंद कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण हो रहा है, 30 आदिवासी महिलाओं को काम दिया है। पलायन बंद।

भूली निवासी रवि ने बताया कि मां पार्वती व पिता शिवशंकर की इच्छा थी कि इंजीनियर बनूं। दिल्ली में एनआइआइटी से बीएससी आइटी की डिग्री 2010 में ली। दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी की। पर, मन कुछ अलग करने का था, जिससे आय के साथ सेवा हो सके। 2014 में मां का निधन फेफड़े की बीमारी से हुआ। मन कचोटता था कि प्रदूषण ने मां की जान ली। तब अपने शहर के माओवाद प्रभावित किसी गांव में जैविक खेती का प्रण लिया। वापस धनबाद आ गए। 

टुंडी ने दी सपनों को उड़ान

दोस्त अजीत यादव, प्रेम कुमार व रंजीत का साथ मिला तो आरपीएन फॉर्मिंग एंड ट्रेनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। टुंडी के समीर हेंब्रम व उनके भाई सुधीर ने अपनी 60 एकड़ जमीन में जैविक खेती की इच्छा जताई। उनके साथ पांच एकड़ की साइट तैयार की। घेराबंदी व पानी के लिए पंप लगाने में तीन लाख रुपये सबने मिलकर लगाए। मूली, फूल गोभी व गेंदा के पौधे की पहली फसल में लागत निकालकर साढ़े तीन लाख व दूसरी में इतना मुनाफा हो गया। अब चार साइट पर काम शुरू हो गया है। 28 लाख से अधिक की आय होना तय है। इस वर्ष जून तक 12 साइट (60 एकड़) में काम शुरू हो जाएगा। 

नकदी फसल का मिल रहा तुरंत दाम

रवि ने चार साइट पर पपीता, गोभी, अनार, अमरूद, मटर, गेंदा फूल, गाजर, केला लगाया है। एक वर्ष में तीन फसल की तैयारी है। मुनाफा भी उसी अनुरूप बढ़ेगा। शहर के फुटकर दुकानदारों को जैविक उत्पाद देते हैं। नकदी फसल का तुरंत दाम भी मिलता है। खुद भी सब्जी बेचते हैं, अपने काम में शर्म कैसी। खेती के लिए मित्र कृषि विज्ञानी अमित मिश्रा से सलाह लेते हैं। खुद गोबर, नीम की खली से खाद तैयार करते हैं। 

सुधर गया परिवार का अर्थतंत्र

सोनदाहा गांव की धनिया देवी, उपासी देवी, विमला व रेखा कहती हैं कि रवि की साइट पर फूल तोडऩे व सब्जी निकालने का काम करते हैं। हर दिन 260 रुपये मिलते हैं। पहले तो सौ रुपये के लिए धनबाद तक आते थे। अब गांव में काम मिल गया, परिवार का अर्थतंत्र सुधर गया। 


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