यहां तेजी से बढ़ रहा याैन हिंसा का ग्राफ, 2013 में 4 मामले, 18 में 146
नाबालिग के साथ दुराचार करने के 43 ममलों मे कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 52 आरोपितों को सजा सुनाई। जिसमें छह दुष्कर्मियों को उम्रकैद की सजा मिली।
धनबाद, कुमार अजय।16 दिसंबर 1912 को दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद बच्चियों और महिलाओं के खिलाफ याैन हिंंसा को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए गए। इसके बावजूद याैन हिंसा के मामले में कमी देखने को नहीं मिल रही है। धनबाद को ही लीजिए तो यहां 2013 में याैन हिंसा के मात्र चार मामले दर्ज हुए थे। जबकि चालू साल यानी 2018 में अब तक 146 मामले दर्ज हुए हैं। यौन हिंसा का यह बढ़ता ग्राफ सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है।
2018 में नाबालिग के साथ यौन शोषण के कुल 146 मामले जिले के विभिन्न थानों में इस वर्ष दर्ज किए गए। कई मामलों में पुलिस फि लवक्त अनुसंधान कर रही है वहीं कई मामलों में पुलिस द्वारा आरोपित के विरुद्ध अदालत में चार्जशीट दायर किया जा चुका है। वर्ष 2013 में धनबाद में पोक्सो के विशेष अदालत बनने के बाद बाल यौन शोषण से संबंधित मामलों की सुनवाई त्वरित गति से होनी शुरू हुई। वर्ष 2013 से लेकर इस वर्ष तक पुलिस की लचर अनुसंधान के कारण नाबालिगों के साथ यौन शोषण करने के विभिन्न आरोपित या तो साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए या उन्हें संदेह का लाभ दिया गया। वहीं अब तक केवल 92 आरोपितों को सजा मिली। वर्ष 2017 में धनबाद के पोक्सो की विशेष अदालत ने 12 आरोपितों को सजा दी जबकि 7 आरोपित रिहा कर दिए गए थे। परंतु इस वर्ष नाबालिग के साथ लौंगिग अपराध कानून में किए गए सख्ती के बाद वर्ष 2018 में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 52 आरोपितों को सजा सुनाई। इनमें से छह आरोपितों को उम्रकैद की सजा मिली वहीं 73 रिहा कर दिए गए।
फिलवक्त धनबाद की अदालत में पोक्सो एक्ट के दो विशेष कोर्ट हैं जिनमे कुल 146 मामले सुनवाई हेतु लंबित हैं। इस वर्ष पिता पर ही अपनी पुत्री के साथ दुष्कर्म का आरोप लगा वहीं गैंगरेप की कई वारदातों ने कोयलांचल को स्तब्ध कर दिया। जाहिर तौर पर नाबालिगों के प्रति बढ़ रहे हैं यौन हिंसा का यह ग्राफ सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है।
याैन हिंसा के दर्ज मामले
वर्ष मामले
2013 4
2014 56
2015 85
2016 125
2017 141
2018 146
दुष्कर्मियों पर चला कोर्ट का डंडाः नाबालिग के साथ दुराचार करने के 43 ममलों मे कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 52 आरोपितों को सजा सुनाई। जिसमें छह दुष्कर्मियों को उम्रकैद की सजा मिली। तेरह वर्षीय पीडि़त के साथ दुष्कर्म कर उसे गर्भवती बना देने के आरोपित 60 वर्षीय रामाधीन वर्मा को उम्रकैद, राजा अंसारी, आफ ताब आलम, राहुल गुप्ता, हीरा बाउरी एवं हेमंत हेंब्रम को कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप मे उम्रकैद एवं जुर्माना से दंडित किया। वहीं निरसा निवासी संजय बाउरी को शादी का प्रलोभन देकर नाबालिग का यौन शोषण करने के आरोप में दस वर्ष कैद व एक लाख जुर्माना की सजा दी। तीन वर्षीय पीडि़त के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित मोटू मल्लिक को दस वर्ष की कैद की सजा मिली। अपनी तेरह वर्षीय पुत्री के साथ दुष्कर्म करने के दो मामलो में कोर्ट ने बहसी पिता को कोर्ट ने दस वर्ष कैद एवं 50 हजार रूपये जुर्माना से दंडित किया। वहीं राम स्नेही यादव को 20 वर्ष कैद व एक लाख जुर्माना की सजा मिली।
पीडितों को मुआवजे का मरहमः दुष्कर्म, हत्या आदि जघन्य अपराधों से पीडि़त व्यक्ति अथवा उनके परिवार को अदालत ने मुआवजे का मरहम लगाकर उन्हें सहारा दिया। इस काम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2018 में दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों से पीडि़त 23 पीडि़ताओं अथवा उनके परिजन के बिच नालसा पीडि़त मुआवजा स्कीम के तहत 64 लाख रूपये वितरित किये गये, जबकी तीन मामले मे जांच चल रही है।
अविनाश कुमार दूबे, अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, धनबाद।