राम मंदिर का फॉर्मूला ठीक नहीं : निश्चलानंद सरस्वती
शंकराचार्य ने कहा कि जहां तक हिंदुओं की एकता का सवाल है तो मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं। फिर कहा कि ऐसा नहीं करता तो मुसलमानों का समर्थन नहीं मिलता। हिंदुओं में दासता पालने व उस पर गौरव करने की बीमारी है।
धनबाद, जेएनएन। मैं अदालत का सम्मान करता हूं, लेकिन अयोध्या में मंदिर का जो फॉर्मूला दिया गया, उसे स्वीकार कर सरकार ने ठीक नहीं किया। यह कहना था पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का। शनिवार को कोयला नगर में विद्वत संगोष्ठी के संबोधन के बाद रविवार को वे लोगों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि अदालत ने कहा है कि अधिकार तो नहीं बनता, लेकिन उपहार स्वरूप मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन मस्जिद के लिए दिया जाए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भले 25 किमी दूर जमीन दी, लेकिन दी तो सही। क्यों दी, किससे पूछकर दी। सरकार को यह नहीं मानना था। वे अदालत का सम्मान करते हैं, पर यह न्याय संगत नहीं है। अगर यही होना था, तो पीवी नर¨सह राव सरकार के समय ही रामालय ट्रस्ट बना था। इसमें मंदिर व मस्जिद दोनों बनाने की बात थी। सभी पक्ष सहमत हो गए थे। केवल मैं सहमत नहीं था और मैंने हस्ताक्षर नहीं किया था। शंकराचार्य ने कहा कि उनका मानना था कि राम जन्मभूमि पर मंदिर का अधिकार है। दूसरे पक्ष को मस्जिद क्यों दी जाएगी। सरकार मोदी-योगी की हो तो क्या? राममंदिर आंदोलन में इन नेताओं का कोई योगदान नहीं। जिन्होंने प्राण गंवाए, जिन्होंने आंदोलन किया, कष्ट सहे उनसे क्यों नहीं पूछा गया। धर्माचार्यों से मशविरा क्यों नहीं किया गया। यही फार्मूला रहा तो काशी व मथुरा में भी मस्जिदें बनाई जाएंगी। वहां कैसी शिक्षा दी जाएगी। तीन पाकिस्तान तो उत्तर प्रदेश में ही बन जाएंगे।
शंकराचार्य ने कहा कि जहां तक ¨हदुओं की एकता का सवाल है तो मुलायम ¨सह यादव ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दीं। फिर कहा कि ऐसा नहीं करता तो मुसलमानों का समर्थन नहीं मिलता। ¨हदुओं में दासता पालने व उस पर गौरव करने की बीमारी है। यह दूर होगी तो एकता स्वत: बन जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक बार उन्हें एक व्यक्ति ने पत्र लिखा। कहा कि लक्ष्मणानंद को मार दिया अब तुम्हें भी मार देंगे। हमने कहा कि हमने अपने शरीर का मोह त्याग दिया है। अपना श्राद्ध स्वयं किया है। बाद में उसे कम्युनिस्ट पार्टी ने निष्कासित कर दिया। कम्युनिस्ट भी आदर करते हैं। उनके पास कोई समग्र आर्थिक सोच नहीं है। वे कोई आर्थिक प्रकल्प नहीं चलाते सिर्फ विरोध की राजनीति करते हैं। यह खराबी है। शंकराचार्य से प्रश्न करने वालों में अतुल ¨सह, आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डा. एके ¨सह, एमपी ¨सह, देवनाथ ¨सह, प्रमोद झा, प्रमोद पाठक, प्रभात रंजन सिन्हा आदि शामिल थे। इस दौरान शंकराचार्य ने कई लोगों को दीक्षा भी दी। वे शाम को पुरी के लिए विदा हो गए।