Ram Mandir Bhumi Pujan: विवादित ढांचे के मलबे में दब गए थे धनबाद के प्रकाश, जानिए उन्हीं की जुबानी अयोध्या कांड की कहानी
Ram Mandir Bhumi Pujan ढांचा के ढहते ही चौधरी उसके मलबे में दब गए। गंभीर रूप से घायल हुए। चौधरी बताते हैं कि उन्हें फिरोजापुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
धनबाद, जेएनएन। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को ध्वस्त करने में धनबाद के कारसेवकों की अहम भूमिका थी। कई कारसेवक ढांचे के गुंबद पर तो कई उसके चारों तरफ जहां मौका मिले उसे ढहाने में जुटे थे। पार्क मार्केट निवासी प्रकाश सिंह चौधरी भी उनमें शामिल थे। ढांचा के ढहते ही चौधरी उसके मलबे में दब गए। गंभीर रूप से घायल हुए। चौधरी बताते हैं कि उन्हें फिरोजापुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वे बेहोश थे। अगले दिन होश आया तो पता चला कि लालकृष्ण आडवाणी मिलने पहुंचे थे।
चाैधरी ने बताया कि आडवाणी के जाने के बाद पुलिस पहुंची और नाम-पता दर्ज किया। पुलिस के जाने के बाद वहां मौजूद तमाम घायलों में संभावित मुकदमे की चर्चा छिड़ गई। ऐसे में जिनके साथ जो कारसेवक था उनके सहयोग से सभी ने हॉस्पिटल छोड़ना शुरू कर दिया। कुछ अन्य जगहों के कारसेवकों की मदद से वे भी निकलने में कामयाब रहे। अगले दिन स्टेशन पर जो ट्रेन मिली उसी में चढ़ गए। पता चला कि ट्रेन से वे दिल्ली पहुंच गए। उसी में आडवाणी भी थे। वहां से दूसरी ट्रेनें पकड़ते हुए कई दिन बाद धनबाद लौटे।
मां को स्टेशन पर छोड़ चले गए थे अयोध्या
प्रकाश सिंह चौधरी बताते हैं कि वे कोलकाता से मां को लेकर धनबाद स्टेशन उतरे तो देखा कि कारसेवकों की टोली अयोध्या जा रही है। इसमें उनके कई साथी थे। उन्होंने मां को वहीं से घर के लिए गाड़ी में बिठाया और अयोध्या चले गए। वादा किया था कि मंदिर बनेगा तो दर्शन के लिए ले जाएंगे। अफसोस कि निर्माण समारोह में लॉकडाउन की वजह से शामिल नहीं हो पा रहा। लॉकडाउन खत्म हुआ तो उन्हें जरूर ले जाउंगा। अब जब अयोध्या में 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहे है तो भगवान राम के प्रति आभार जताया है। उन्होंने कहा कि भगवान राम की कृपा से ही वह छह दिसंबर को बचे थे। इस ऐतिहासिक दिन को देखने के लिए ही शायद भगवान राम की उनपर कृपा बरसी।
धनबाद के विभाग प्रचारक भी रहे कारसेवक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक गोपाल शर्मा भी कारसेवक रहे हैं। वे 1990 में कारसेवा करने अयोध्या गए थे। तब गिरिडीह में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला प्रमुख थे। कानपुर में विहिप के अधिवेशन के बाद वे व्यवस्था टोली के सदस्य के तौर पर अयोध्या पहुंचे थे। तकरीबन 10 दिन तक सरयू किनारे की जा रही कारसेवा की व्यवस्था संभालने में लगे रहे। इसी वर्ष कोठारी बंधुओं को गोली मारी गई थी। उसके बाद जिसको जिधर मौका मिला उधर से निकल भागे।