Indian Railway: नीले रंग की पारंपरिक कोच के बजाय रेलवे अब लाल रंग वाली एलएचबी कोच को दे रही तवज्जो
कई महीनों से बंद ट्रेनें धीरे धीरे पटरी पर दौड़ने लगी हैं। ट्रेनों के चलने के साथ ही उनकी सेफ्टी का भी ध्यान रखना जरूरी है। कर्मचारी ट्रेनों का मेंटेनेंस नियमित तौर पर करते ही हैं। पर समय-समय पर उनकी हौसला अफजाई भी जरूरी है।
जागरण संवाददाता, धनबाद : कई महीनों से बंद ट्रेनें धीरे धीरे पटरी पर दौड़ने लगी हैं। ट्रेनों के चलने के साथ ही उनकी सेफ्टी का भी ध्यान रखना जरूरी है। कर्मचारी ट्रेनों का मेंटेनेंस नियमित तौर पर करते ही हैं। पर समय-समय पर उनकी हौसला अफजाई भी जरूरी है। इसी उद्देश्य से बुधवार को पूर्व मध्य रेल के चीफ मैकेनिकल इंजीनियर अशोक कुमार मिश्रा धनबाद कोचिंग डिपो का हाल देखने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सिकलाइन में काम करने वाले कर्मचारियों का लाइव परफॉर्मेंस भी देखा। कर्मचारियों से कई तरह के सवाल भी पूछे। जवाब से संतुष्ट होने पर उनके पीठ भी थपथपाई।
नीले रंग की पारंपरिक कोच के बजाय रेलवे अब लाल रंग वाली एलएचबी कोच को तवज्जो दे रही है। एक एक कर यात्री ट्रेनों को एलएचबी कोच से लैस किया जा रहा है। धनबाद से खुलने वाली अभी सिर्फ गंगा सतलज एक्सप्रेस ही एलएचबी रैक के साथ चलती है। नए कोच उपलब्ध होते ही यहां से खुलने वाली ज्यादातर ट्रेनें एलएचबी युक्त हो जाएंगी। इसके साथ ही उनके मेंटेनेंस की चुनौतियां भी बढ़ेगी। धनबाद में एलएचबी मेंटेनेंस की मौजूदा व्यवस्था को भी मुख्यालय से आए चीफ मैकेनिकल इंजीनियर ने देखा। व्यवस्था से संतुष्ट दिखे पर कई बदलाव के भी निर्देश दिए। उन्होंने कैरेज एंड वैगन विभाग के कर्मचारियों को साफ तौर पर कहा कि यात्री ट्रेनों की रफ्तार लगातार बढ़ाई जा रही है। इसलिए मेंटेनेंस में किसी तरह की कोताही नहीं बरतें। छोटी से छोटी जरूरतों को लेकर भी अपने सुपरवाइजर और जरूरत पड़े तो विभागीय अधिकारी से बात करें। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यालय हमेशा तैयार है। कोचिंग डिपो में खड़े आइसोलेशन वार्ड का भी लिया जायजा
धनबाद कोचिंग डिपो में सात आठ महीनों से 20 यात्री कोच आइसोलेशन वार्ड बनकर खड़े हैं। अब तक एक बार भी उपयोग नहीं हुआ। निरीक्षण के दौरान सीएमई ने आइसोलेशन वार्ड बने कोचों की भी जानकारी ली। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि मुख्यालय स्तर पर आइसोलेशन वार्ड को लेकर अब तक कोई गाइडलाइन नहीं मिला है।