'मुन्नी' को वीरान जगह छोड़ गई थी छुक-छुक गाड़ी, 'बजरंगी भाई जान' बन रेलकर्मी ने अपनों से मिलाया Dhanbad News
पटना-हटिया एक्सप्रेस से धनबाद आ रही बच्ची गझंडी-कोडरमा स्टेशन के बीच आइबीएच पर ट्रेन से उतरी और ट्रेन खुल गई। तब खुद को अकेला पाकर बच्ची बुरी तरह से डर गई।
धनबाद, जेएनएन। सलमान खान की बहुचर्चित फिल्म बजरंगी भाई जान का वह सीन आपको याद होगा, जिसमें मुन्नी टेन से उतरती है और टेन खुल जाती है। बाद में बजरंगी भाई जान उसे उसके घर तक छोड़ने जाते हैं। कुछ ऐसा ही सोमवार की सुबह हुआ जब एक बच्ची शौच के लिए ट्रेन से उतरी और ट्रेन उसे छोड़कर चली गई। भोर के तकरीबन चार बजे चारों ओर अंधेरा और सन्नाटा था। खुद को अकेला पाकर बच्ची बुरी तरह टूट चुकी थी। फिर भी हिम्मत जुटाकर पटरी के किनारे आगे बढ़ने लगी। चंद कदमों के बाद उसे एक शख्स ने उसे देख लिया। वह रेलवे का पेट्रोलमैन हितेश था, जो नाइट पेट्रोलिंग कर रहा था।
हितेश ने न सिर्फ बच्ची का ढांढ़स बंधाया, बल्कि उसके साथ घंटों रहे। उन्होंने गांवों में जाकर बच्ची के रिश्तेदारों को ढूंढ़ा। दिनभर मेहनत करने के बाद आखिरकार परिजनों की खबर मिल गई। परिजनों के आने के बाद हितेश सिंह ने बच्ची को उन्हें सौंप दिया।
क्या है मामला : पटना-हटिया एक्सप्रेस की जनरल बोगी में अपने चचेरे भाई सूरज सिंह के साथ धनबाद आ रही थी। ट्रेन में काफी भीड़ होने के कारण शौच के लिए वह गझंडी-कोडरमा स्टेशन के बीच आइबीएच पर ट्रेन रुकने के बाद उतर गई। इसी बीच ट्रेन खुल गई। अंधेरे और सुनसान जगह पर अकेले होने से बच्ची बुरी तरह डर गई थी। पर कुछ ही देर में पेट्रोलमैन हितेश कुमार सिंह की नजर बच्ची पर पड़ी, तो वह बच्ची के पास पहुंचे और उससे पूछताछ की।
ऐसे मिला परिजनों का पता : बच्ची के घर का पता ढूंढ़ना इतना आसान नहीं था। रेलकर्मी ने उससे कई बार पूछा, लेकिन वह मोबाइल नंबर नहीं बता सकी। बाद में उसे तिलैया बस्ती ले गए, जहां लगभग 50 मजदूर बिहार के औरंगाबाद के थे। उनसे संपर्क होने के बाद औरंगाबाद में रहनेवाले विजय कुमार से बात हुई और उन्होंने बच्ची के पिता नवल किशोर सिंह को जानकारी दी। पिता से बात कर रेलकर्मी ने उन्हें कोडरमा बुलाया। कुछ देर बाद चचेरे भाई के पहुंचने पर उसे उसके हवाले कर दिया।