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नीतियां नहीं बदलीं तो गांवों में रह जाएंगे सिर्फ बूढ़े-बीमार: विजय कौशल

वृंदावन वासी प्रसिद्ध श्रीराम कथा वाचक संत विजय कौशल का मानना है कि सरकार की नीतियां नहीं बदलीं तो गांव उजड़ जाएंगे।

By Edited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 10:34 AM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 04:06 PM (IST)
नीतियां नहीं बदलीं तो गांवों में रह जाएंगे सिर्फ बूढ़े-बीमार: विजय कौशल
नीतियां नहीं बदलीं तो गांवों में रह जाएंगे सिर्फ बूढ़े-बीमार: विजय कौशल
जागरण संवाददाता, गोविंदपुर: वृंदावन वासी प्रसिद्ध श्रीराम कथा वाचक संत विजय कौशल का मानना है कि सरकार की नीतियां नहीं बदलीं तो गांव उजड़ जाएंगे। गांवों में सिर्फ बूढ़े, बीमार और लाचार लोग ही रह जाएंगे। स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील की तर्ज पर गांवों में पंचायत की तरफ से बूढ़े मिल चलाने पड़ेंगे। विजय कौशल ने रविवार को गोविंदपुर के सहराज स्थित हरदेवराम स्मृति आवासीय परिसर में सृजन शोध संस्थान का उद्घाटन करते हुए गांवों की हालत पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, भारत गांवों का देश है। इसके बावजूद गांव उजड़ रहे हैं। गांव में कोई रहना नहीं चाहता। मजबूर व्यक्ति ही गावों में बच गए हैं। देश के लिए यह सबसे बड़ी चिंता की बात है। गांवों को लक्ष्य कर सरकार को नीतियां बदलनी होंगी। उन्होंने गांवों को सशक्त बनाने के उपाय भी बताए। कहा, अगर गांव के बच्चों को एक ही स्थान पर शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और स्वावलंबन की सुविधा मिल जाए तो उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। इस दिशा में सहराज में हरदेवराम स्मृति आवासीय परिसर में स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वरोजगार एवं पर्यावरण की दिशा में कार्यो की सराहना की। कार्यो को देश के सामने एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार सेवा का कार्य नहीं करती। सेवा का कार्य समाजसेवी संस्थान या समाज द्वारा होता है। जहां रोशनी, विकास और चेतना नही पहुंची हो उन्हीं स्थानों पर समाजसेवा होनी चाहिए। संत ने सेवा के चार सूत्र बताए। पहला: सेवा ममता के साथ मातृत्व भाव से होना चाहिए। जैसे माता अपने बालक की सेवा निस्वार्थ भाव से करती है उसी प्रकार सेवा होनी चाहिए। दूसरा: समता के साथ सेवा। बराबरी के भाव से सेवा करनी चाहिए। उसमें किसी प्रकार का भेदभाव न हो। तीसरा: क्षमता के अनुरूप सेवा। कार्य में जिसकी जिस तरह की सेवा की क्षमता हो उसी अनुरूप करना चाहिए। रुपया-पैसा से मदद नहीं कर सकते तो श्रमदान ही कीजिए। चौथा: विनम्रता के साथ सेवा किया जाना चाहिए। भारत विकास संगम के प्रमुख राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि साधना आवश्यक है। साधन स्वयं जुट जाता है। राज सत्ता में समाज आगे व सत्ता पीछे होना चाहिए तभी स्वस्थ समाज का विकास होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज बाजारवाद के हमले झेल रहा है। यूरोप और अमेरिका तो धराशाई हो चुके हैं। भारत में बाजारवाद को लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं, क्योंकि हमारे यहां सामाजिक पूंजी व सांस्कृतिक परंपरा जिंदा है। उन्होंने चेतना महाविद्यालय के संस्थापक शैलेंद्र की सराहना की। भारत स्वाभिमान के वसव राज पाटिल ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा लोगों द्वारा हो रही है। व्यवस्था के लिए हम प्रयासरत हैं। देश के तीन सौ जिले में संरचना तैयार हो चुकी है। उन्होंने दिगंत परिवार की तारीफ करते हुए कहा कि भारत स्वाभिमान संस्थान ने 2018 का राष्ट्रीय पुरस्कार चेतना महाविद्यालय को देने का निर्णय लिया है। इसका संचालन शैलेंद्र करते हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन से देश में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ी है। उद्योग भी प्रभावित हुए हैं। स्वदेशी व स्वावलंबन की ताकत से आगे बढ़ना होगा। स्वदेशी को बढ़ावा मिले तो गांवों में कौशल की कमी नहीं होगी। उन्होंने हरदेवराम स्मृति को मॉडल संस्था के तौर पर विकसित करने को कहा। सांसद पीएन सिंह, धनबाद के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल और पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो ने भी अपने विचार रखे। विषय प्रवेश कराते हुए दिगंत परिवार के शैलेंद्र भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि 30 वर्षो की तपस्या का यह परिणाम है। सबरी को जैसे राम मिले उसी तरह आज यहां महापुरूषों के चरण पड़े हैं। मेरी तपस्या सफल हुई है। स्वागत भाषण हरदेव राम स्मृति आवासीय परिसर के आजीवन अध्यक्ष नंदलाल अग्रवाल ने दिया। संचालन महेंद्र अग्रवाल और धन्यवाद ज्ञापन गोपाल कटेसरिया ने किया। पंचकर्म से होगी चिकित्सा, हुनर में होगा कौशल विकास: हरदेव राम स्मृति आवासीय परिसर में प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र पंचकर्म का संत विजय कौशल ने उद्घाटन किया। यहां इलाज के लिए आने वालों के ठहरने के लिए जीवन शैली नामक छह कुटिया बनाई गई है। इसका निर्माण शेरा सिंह, किशन तुलस्यान, दिलीप तुलस्यान, पुष्कर डोकानिया, सज्जन पोद्दार, रितेश शर्मा व सुरेंद्र पसारी ने कराया है। कुटिया में रहनेवालों के लिए इंद्रमणि रुंगटा अन्नपूर्णा भोजनालय एवं रसोईघर का निर्माण विवेक रूंगटा ने कराया है। इसमें एक सौ लोग बैठकर भोजन कर सकेंगे। परिसर में ग्रामीण युवक-युवतियों को स्वावलंबी होने के लिए कौशल विकास केंद्र हुनर खोला गया है। तीस सिलाई मशीन, तीस कंप्यूटर एवं एक प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया गया है। इसके संयोजक विनय अग्रवाल एवं बिहारी लाल चौधरी परिवार है। आराधना केंद्र की भी स्थापना की गई है। इसके संयोजक ललित केजरीवाल हैं। यहां योग व ध्यान की सारी सुविधाएं हैं। निरंजन अग्रवाल द्वारा प्रेरणा स्थल मानव मंदिर का निर्माण किया गया है। कार्यक्रम में श्री हनुमंत कथा वाचक प्रदीप कौशिक, शंभूनाथ अग्रवाल, राम प्रसाद अग्रवाल, राजू तायल, किरिट चौहान, रमेश रुज, मंजीत सिंह, गुरुचरण सिंह शेरा, बलराम अग्रवाल, प्रसून हेंब्रम, जय प्रकाश देवरालिया, सुशील सिंह, मधु सिंह, चंद्रमोहन मुर्मू, हरि प्रकाश लाटा, सरस्वती देवी, रितेश शर्मा, ललित कटेसरिया, सुभाष चौधरी, प्रकाश चौधरी, दिलीप तुलस्यान, अमित डोकानिया, जवहारु तायल, प्रवीन सरिया, केएन मित्तल, अरुण अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

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