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दीवारों पर पेंटिंग से बारिश की प्रार्थना, आदिम जनजाति भील समुदाय के प्राकृत प्रेम से रूबरू हो रही दुनिया Dhanbad News

भील समुदाय की प्रकृति प्रार्थना से दुनिया रूबरू हो रही है। डॉट पेंटिंग पर धनबाद के एनिमेटर श्याम सुंदर की बनाई फिल्म को 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में अवार्ड मिल चुका है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 08:34 PM (IST)
दीवारों पर पेंटिंग से बारिश की प्रार्थना, आदिम जनजाति भील समुदाय के प्राकृत प्रेम से रूबरू हो रही दुनिया Dhanbad News
दीवारों पर पेंटिंग से बारिश की प्रार्थना, आदिम जनजाति भील समुदाय के प्राकृत प्रेम से रूबरू हो रही दुनिया Dhanbad News

धनबाद (आशीष सिंह)। मध्य प्रदेश का झाबुआ जिला। यहां का भील समुदाय डॉट (बिंदु) पेंटिंग के जरिए बारिश के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। घरों की दीवारों पर चित्रकारी की जाती है। इस पेंटिंग को प्रार्थना के लिए क्यों प्रयोग किया जाता है, इसे केंद्र में रख इस कला को एनिमेटेड फिल्म के जरिए धनबाद के श्याम सुंदर चटर्जी विश्व पटल पर ले जा रहे हैं। दस मिनट की इस फिल्म, 'वी मेक्स इमेजेस' को 64 वें नेशनल फिल्म अवार्ड की नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में बेस्ट एनिमेटेड मूवी का अवार्ड मिल चुका है।

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फिल्म में दिखाया है कि कैसे डॉट पेंटिंग की शुरुआत हुई। भील इसे क्यों पवित्र मानते हैं। फिल्म के मुख्य कलाकार शेर सिंह और उनकी मां भूरि हैं। कथानक है कि प्राचीन काल में झाबुआ में सूखा पड़ा। एक तालाब में कुछ पानी बचा है। उसे दूर-दूर से भील समुदाय के लोग लेने आते हैं। कुछ दिन में तालाब सूख जाता है तो लोग आपस में लड़ते हैं। तभी बुजुर्ग भूरि बाई आकर पुरोहित से सलाह लेने का सुझाव देती हैं। कुछ दूर एक पुरोहित मिलता है।

पुरोहित कहता है कि प्राकृतिक रंगों से प्रकृति के रूपों की अपने घरों की दीवारों पर मोरपंख या किसी पवित्र लकड़ी से डॉट (बिंदु) के जरिए चित्रकारी करो। सभी लोग घरों की दीवारों पर प्रकृति (नदी, जल, वायु, पहाड़, फल, फूल) व अपने पूर्वजों के क्रियाकलापों मसलन खानपान, रहन सहन का चित्रण करते हैं। तब बारिश हो जाती है। बस भील समुदाय डॉट पेंटिंग को पवित्र मानकर घरों की दीवारों पर चित्रकारी करने लगते हैं। श्याम कहते हैं कि डॉट पेंटिंग तो हमारे पूर्वजों की धरोहर है।

दुनिया में पहुंच रही डॉट पेंटिंग की शोहरत : श्याम की फिल्म ने देश दुनिया के कई हिस्सों तक अपनी धमक दिखाई है। कई समारोहों में भी इसका प्रसारण किया गया। 

  • 64 वें नेशनल फिल्म अवार्ड समारोह।
  • ग्रैंड प्राइज लाइट ऑफ एशिया, सियोल कोरिया।
  • जूरी स्पेशल मेंशन, साइन फेस्टिवल केरला।
  • बेस्ट शॉर्ट फिल्म प्रोफेशनल कैटेगरी, हेरीटेज फिल्म फेस्टिवल अहमदाबाद।
  • डेज ऑफ इथेनोग्रॉफिक फिल्म, स्लोवेनिया।
  • सिने क्लब माल डि ओजो, इक्वाडोर।
  • फोर्थ फेस्टिवल इंटरनेशनल सिनेमा लिब्रे, हैंबर्ग जर्मनी।

जर्मनी में श्याम हुए सम्मानित

श्याम ने बैचलर कोर्स इन कम्युनिकेशन डिजाइन को सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन पुणे से पूरा किया। इनकी पहली एनिमेटेड फिल्म रूप को 2009 में एनिमेशन सोसाइटी ऑफ कोलकाता में बेस्ट स्टोरी का पुरस्कार मिला। 2015 में शॉर्ट एनिमेटेड फिल्म वातुल - द वर्ल विंड को जर्मनी में हुए 13 वें इंडीशेस फिल्म फेस्टिवल 2016 में बेस्ट शॉर्ट फिल्म एवं ऑडियंस  अवार्ड से नवाजा गया।

स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण कर की जाती है यह पेंटिंग

श्याम सुंदर चटर्जी ने कहा, "फिल्म बनाते हुए भील समुदाय के रहन-सहन और डॉट पेंटिंग को जानने का मौका मिला। गोंड और मधुबनी पेंटिंग से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन डॉट पेंटिंग के बारे में कम लोग ही जानते होंगे। अहम बात है कि स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करने के बाद भी यह पेंटिंग कर सकते हैं। कला को फिल्म के जरिए दुनिया तक ले जा रहे हैं।"


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