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Prakhand Parikrama Baliapur: हौसले के पहाड़ से कोरोना को रोक रहे कोनारटांड के ग्रामीण, इनसे सीखें समय का सदुपयोग

Prakhand Parikrama Baliapur जैसे ही बारिश शुरू हुई कोनारटांड़ निवासी मनोज महतो मुख्य मार्ग की पुलिया पर बारिश में जाल डालकर बैठ गए। बोले बारिश के पानी से कुछ मछलियां मिलेंगी।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 10:38 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 07:44 AM (IST)
Prakhand Parikrama Baliapur: हौसले के पहाड़ से कोरोना को रोक रहे कोनारटांड के ग्रामीण, इनसे सीखें समय का सदुपयोग
Prakhand Parikrama Baliapur: हौसले के पहाड़ से कोरोना को रोक रहे कोनारटांड के ग्रामीण, इनसे सीखें समय का सदुपयोग

धनबाद [ राजीव शुक्ला ]। Prakhand Parikrama-Baliapur मानसून का समय। आसमान में काली घटाएं सुबह से ही छाई हैं। रह रहकर बादलों की गर्जना के साथ बारिश हो रही है। सूर्य देवता के दर्शन नहीं। कोरोना काल है सो अलग। इन सबके बीच धनबाद के ग्रामीण इलाके बलियापुर प्रखंड के गांवों में जिंदगी अपनी रफ्तार से दौड़ रही है। शाम के तीन बज गए हैं। बलियापुर के कोनारटांड़ गांव में नुक्कड़ की मुक्तेश्वर महतो की दुकान पर कुछ गांव वाले बैठे हैं। कई ने मास्क पहना है। चर्चा के केंद्र में हैं खेतीबाड़ी की बातें। जागरण संवाददाता के पहुंचते ही जिन्होंने मास्क नहीं लगाया वे भी लगा लेते हैं।

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बातचीत का क्रम बदल जाता है।  कोरोना संक्रमण पर बात आ जाती है। मछली पालन व कृषि करने वाले युधिष्ठिर महतो व मुक्तेश्वर कहते हैं कि चीन देश से बीमारी आई है। क्या कर लेगी। कान में फुसफुसा कर बात करने वालों से दूरी बनाआ, मास्क लगाओ, हाथ धोते रहो, शारीरिक दूरी का पालन करो। बस रो देगा काेरोना। हम ग्रामीण तो सफाई के प्रति हमेशा सचेत हैं। पूर्वजों के काल से बाहर से आने पर हाथ और पांव धोने की परंपरा है। उसे आज भी जीवन में उतारे हैं। इसलिए कोरोना दूर से ही नमस्कार कर लौट जाएगा। हां गांव का अर्थतंत्र जरूर लॉकडाउन में गड़बड़ हो गया। अमूमन इस गांव से करीब आठ सौ किलो सब्जी झरिया व आसपास की मंडी में जाती है। लाॅकडाउन में 60 रुपये किलो की भिंडी दस रुपये में बेचनी पड़ी। अब  गाड़ी पटरी पर आ रही है। जो बाहर से वापस लौटे थे, काम पर जाने लगे हैं। जो नहीं जा रहे वे  खेती में ध्यान दे रहे हैं। ताकि आय बढ़े।

गांव में  मुख्य काम खेती और मछली पालन है। मकई कट गई है। बरसाती सब्जियों टमाटर, मिर्च से आय हो रही है। धान लग गया है। मेहनत पर भरोसा है। उसके दम पर हमने कोरोना की दम निकाल दी है। इस बीच किसान गोपाल महतो, आइटीआइ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ  खेती में जुटे सूरज कुमार, गौरीनाथ महतो व मो. स्टार बोले- कोरोना से बच्चों की पढ़ाई जरूर प्रभावित हुई। लाख रोको पर घर से बाहर निकल जाते हैं। खेलते हैं और मास्क भी नहीं लगाते। उन पर नहीं चलती, जबकि घर के बुजुर्गाें को जो 70 वर्ष से अधिक हैं, उन्हें कोराेना से बचाने के लिए बाहर नहीं निकलने देते।

कोनारटांड़ में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं

कोरोना संक्रमण भले शहरों में तेजी से पांव पसार रहा हो पर गांव की संतुलित जीवनशैली ने इसे दूर रखा है। यहां शहरों की तुलना में  कम रोगी मिल रहे हैं। कोनारटांड़ में एक भी कोरोना मरीज नहीं है। जागरूकता का आलम ये कि अधिकतर ने अपनी जांच करा ली है। लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश से गांव लौटे लक्ष्मण महतो को गांव के स्कूल में 14 दिन क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद घर में प्रवेश मिला। मधुबनी से साइकिल से लौटकर आए मिथुन ने भी होम क्वारंटाइन का पालन किया।

कोरोना से व्यापार प्रभावित,जल्द हालात सुधरने का विश्वास

अलकडीहा पंचायत के राशन दुकानदार मिंटू साव, केंदुआटांड़ गांव के अलमारी कारखाने के मालिक संजीत कहते हैं कि कोरोना ने जीवनशैली बदल दी। धंधे में नुकसान भी किया। पर, उतार चढ़ाव आते हैं , विषम परिस्थितयों पर विजय जरूर मिलेगी।

समय का सदुपयोग इनसे सीखें

शाम को बलियापुर में जैसे ही झमाझम बारिश शुरू हुई, कोनारटांड़ निवासी मनोज महतो मुख्य मार्ग की पुलिया पर बारिश में जाल डालकर बैठ गए। बोले, बारिश के पानी से कुछ मछलियां मिलेंगी, उनसे कुछ आय होगी। यूं भी घर पर बैठा था, समय का सदुपयोग हो जाएगा।

  • बलियापुर प्रखंड
  • आबादी - 140908
  • महिला - 67630
  • पुरुष - 73278
  • कृष‍ि योग्‍य भूम‍ि - 13306.06 एकड
  • गांव - 69
  • पंचायत -  23

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