Move to Jagran APP

सोच लीजिए, कहीं आप पॉलीथिन बैंग में सामान के साथ बीमारी तो नहीं ले रहे मोल

झरिया कोयलांचल में ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का इसका कारोबार हो रहा है। जानकारों की मानें तो कोयलांचल में पॉलीथिन कैरी बैग की यहां आपूर्ति गुजराज व अन्य राज्यों से की जाती है।

By mritunjayEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 06:02 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 06:02 PM (IST)
सोच लीजिए, कहीं आप पॉलीथिन बैंग में सामान के साथ बीमारी तो नहीं ले रहे मोल
सोच लीजिए, कहीं आप पॉलीथिन बैंग में सामान के साथ बीमारी तो नहीं ले रहे मोल
झरिया, सुमित अरोड़ा। प्रतिबंध के बावजूद कोयलांचल में पॉलिथीन कैरी बैग का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। जाने-अनजाने में लोग पॉलिथीन  कैरी बैग से होनेवाली घातक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। पॉलिथीन का बढ़ता हुआ उपयोग भविष्य के लिए भी खतरनाक होता जा रहा है। बता दें कि सरकार ने एक मानक के नीचे की पॉलीथिन की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद तंत्र की कमजोर इच्छाशक्ति का फायदा उठाकर छोटे से लेकर बड़े व्यापारी पॉलीथिन की खरीद-बिक्री में लगे हैं। 
झरिया कोयलांचल में ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का इसका कारोबार हो रहा है। जानकारों की मानें तो कोयलांचल में पॉलीथिन कैरी बैग की यहां आपूर्ति गुजराज व अन्य राज्यों से की जाती है। झरिया के अलावा जिले के कारोबारी ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से इसे मंगवाते हैं। इसके बाद छोटे-छोटे दुकानदारों को आपूॢत करते हैं। 
पॉलीथिन बैग का इस्तेमाज करने के बाद आमजन इसे झाड़यिों व कूड़ेदानों में फेंक देते हैं। यह मवेशियों का निवाला बन रहा है। इन्हें खा कर मवेशियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ रही है। धर्मशाला रोड, चार नंबर आदि जगहों पर पॉलीथिन के खाने से मवेशियों की मौत हो चुकी है। 
पॉलीथिन का विकल्प जूट की थैलीः  झरिया कोयलांचल में खतरनाक पॉलीथिन कैरी बैग के खिलाफ कई बार अभियान चलाया है। निगम की ओर से भी जागरूकता अभियान चलाया गया। जूट की थैली इसका विकल्प बताया गया। लोगों से पॉलीथिन का बहिष्कार करने की अपील की गई। बाजार जाते समय या खरीदारी करते समय जूट या कपड़े के थैलियों का प्रयोग करने की बात कही गई। लेकिन पूरी तरह से पॉलीथिन पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है। इससे आम लोगों की सेहत पर इससे बुरा असर पड़ रहा है।
जारी रहेगा पॉलीथिन के खिलाफ अभियानः  नगर निगम के कार्यक्रम पदाधिकारी रवि कुमार ने बताया कि पांच सितंबर 2017 से झारखंड सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीपी पैङ्क्षकग पेपर पर बैंड नहीं लगा है। झरिया शहर की कई दुकानों में छापेमारी अभियान चलाया गया है। तीन बार की छापामारी में लगभग 50 हजार रुपये से भी अधिक की वसूली की जा चुकी है। प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर जुर्माना वसूला जाएगा। नहीं मानने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मवेशियों के लिए भी पॉलीथिन खतरनाक, दो गायों की हो चुकी मौतः भ्रमणशील पशु चिकित्सक पदाधिकारी पशुपालन विभाग डॉ अरुण कुमार ने बताया कि लोग बचे खानों को प्लास्टिक के कैरी बैग में बांधकर कूड़ेदानों में फेंक देते हैं। कई बार पशु उसे अपना आहार बना लेते हैं। इससे मवेशी के पाचन शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक के खाने से कई बार मवेशी को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। हमेशा मवेशी की जांच यहां होती रहती है। आधुनिक मशीन नहीं होने से यहां ठीक से जांच नहीं हो पाती है। दवा से ही इलाज किया जाता है। इसके बाद भी अगर मवेशी ठीक नहीं होता है तो उसे धनबाद ले जाया जाता है। जब तक पता चलता है तब तक काफी देर हो जाती है। मवेशी के पेट से प्लास्टिक निकालने के लिए एकमात्र ऑपरेशन ही रास्ता है। कुछ माह पूर्व कोयरीबांध में रहनेवाले एक दूध व्यवसायी की गाय ने प्लास्टिक खा ली थी। जब तक पता चला तब तक गाय की मौत हो गई। धर्मशाला रोड़ के समीप भी एक गाय की मौत प्लास्टिक खाने से हुई है।  

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.