राजनीति कठिन या सिपाही की नौकरी? चुनाव में चलेगा पता
एक नेताजी प्रोन्नति चाहते हैं। वह एमएलए से एमपी बनना चाहते हैं। हर कोई प्रोन्नति चाहता है। होना चाहिए। ईश्वर करे नेताजी की प्रोन्नति हो।
धनबाद, जेएनएन। राजनीति के मजे खिलाड़ी भाईजी को क्या हो गया है? हल्की बात करने का उनका इतिहास नहीं रहा है। लेकिन, इन दिनों कर रहे हैं। जब बालाकोट पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हर कोई सैनिक और सिपाहियों की वीरता और शौर्य की तारीफ करते नहीं थक रहा था भाईजी हल्की बात कर गए। राजनीति और सिपाही की नौकरी की तुलना कर बैठे। कह दिया-चुनाव कोई सिपाही की नौकरी नहीं है, जो लांग-जंप और हाई जंप से चुना जाए। यह बात सिपाहियों को नागवार गुजरी है। इस पर सोशल मीडिया में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई- लगता है नेताजी को अहम और वहम हो गया है। वे खुद को देश की सेवा में लगे सिपाहियों से ऊपर दिखाना चाहते हैं। उन्हें जान लेना चाहिए राजनीति करने से हजार गुना अधिक कठिन है लांग जंप और हाई जंप। इसी लांग जंप से जब कोई ओलंपिक पदक जीतकर आता है तो सभी देशवासियों का सीना 56 इंच चौड़ा हो जाता है। सिपाही गुस्से में हैं। भाईजी को चुनाव में बताएंगे।
... वो मोहतरमा कौन थीः एक नेताजी प्रोन्नति चाहते हैं। वह एमएलए से एमपी बनना चाहते हैं। हर कोई प्रोन्नति चाहता है। होना चाहिए। ईश्वर करे नेताजी की प्रोन्नति हो। टिकट बंटवारा की कवायद शुरू होते ही नेताओं की नजर में चढऩे के लिए उनके चमचों ने भी जतन शुरू किए। ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए दसों दिशाओं में निकल पड़े। नेताजी भी मनोकामना सिद्धि का वर प्राप्त करने के लिए दक्षिण भारत की यात्रा पर गए। उनकी मनोकामना जगजाहिर है। सो, ईश्वर के दरबार में क्या वर मांगे होंगे बताने की आवश्यकता नहीं। लेकिन, सोशल मीडिया जो न कराए। एक मोहतरमा की तस्वीर दक्षिण भारत के उसी शहर से सोशल मीडिया पर आ गई जिस शहर में नेताजी थे। मोहतरमा क्या मन्नत मांगने गई थी? सब लोग पता लगा रहे हैं।