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आजादी के बाद धनबाद सीट पर था झरिया का दबदबा

झरिया एक समय दुनिया के लोग धनबाद को नहीं बल्कि ऐतिहासिक शहर झरिया को ही जानते थे। 1947 में भारत आजाद हुआ। मानभूम जिला से कुछ हिस्सा काटकर 1956 में धनबाद जिला बना। धनबाद विधानसभा सीट में झरिया को भी समाहित किया गया। धनबाद लोकसभा सीट से झरिया के रहने वाले कांग्रेस नेता पीसी बोस पहले सांसद बने।

By Edited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 02:21 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 02:28 AM (IST)
आजादी के बाद धनबाद सीट पर था झरिया का दबदबा
आजादी के बाद धनबाद सीट पर था झरिया का दबदबा

झरिया, जेएनएन। एक समय दुनिया के लोग धनबाद को नहीं बल्कि ऐतिहासिक शहर झरिया को ही जानते थे। 1947 में भारत आजाद हुआ। मानभूम जिला से कुछ हिस्सा काटकर 1956 में धनबाद जिला बना। धनबाद विधानसभा सीट में झरिया को भी समाहित किया गया। धनबाद लोकसभा सीट से झरिया के रहने वाले कांग्रेस नेता पीसी बोस पहले सांसद बने। झरिया के ही मजदूर नेता व कांग्रेस प्रत्याशी पुरुषोत्तम चौहान 1952 में पहली बार धनबाद-झरिया के विधायक बने। बाद में भी इस सीट पर झरिया में रहने वाले नेताओं ने ही दबदबा कायम रखा।

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झरिया के पुरुषोत्तम ने जनसंघ के प्रत्याशी रमेश चंद्र भट्टाचार्य को हराया था। 1957 को हुए विधानसभा चुनाव में पुरुषोत्तम ने दोबारा धनबाद विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। इस सीट पर खड़े झरिया राज परिवार के तारा प्रसाद सिंह को उन्होंने हराया। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के मजदूर नेता शिव चंद्रिका प्रसाद विधानसभा चुनाव जीते।

1967 में अस्तित्व में आई थी झरिया विधानसभा सीट : 1967 में झरिया विधानसभा का गठन हुआ। कांग्रेस के प्रत्याशी शिवराज प्रसाद ने मजदूर नेता बीकेडी प्रत्याशी एसके राय को विधानसभा चुनाव में हराया। 1969 में झरिया में उपचुनाव हुआ। बीकेडी-सीपीआइ प्रत्याशी मजदूर नेता एसके राय ने शिवराज प्रसाद को हराया। 1972 में झरिया सीट के चुनाव में बीकेडी-सीपीआइ प्रत्याशी एसके राय ने जनसंघ के प्रत्याशी रामदेव ¨सह को हराकर दोबारा चुनाव में जीत हासिल की। वर्ष 1977 में पहली बार बलिया से आए मजदूर नेता सूर्यदेव ¨सह झरिया से जीत हासिल की। सूर्यदेव सिंह लगातार चार बार झरिया विधानसभा सीट से जीते। 1991 में सूर्यदेव ¨सह का निधन हो गया। उसी बीच जामाडोबा के मजदूर नेता राजू यादव की मुगलसराय में हत्या हो गई। सूर्यदेव के निधन के बाद झरिया में 1991 में उपचुनाव हुआ। स्व. राजू यादव की पत्नी आबो देवी ने तब झरिया से जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की। सूर्यदेव के अनुज बच्चा ¨सह को हराया। 1995 में वे फिर बच्चा सिंह को चुनाव में हराकर विधायक बनीं। आबो देवी बिहार सरकार में ग्रामीण विभाग की मंत्री बनी। वर्ष 2000 के चुनाव में सूर्यदेव के अनुज मजदूर नेता बच्चा सिंह ने आबो देवी को चुनाव में हराया। बच्चा सिंह झारखंड की बाबूलाल मरांडी सरकार में नगर विकास मंत्री बने। वर्ष 2005 व 2009 में स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्‍‌नी कुंती देवी ने कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश सिंह को हराकर जीत हासिल की। वर्ष 2014 में स्व. सूर्यदेव ¨सह व कुंती देवी के पुत्र संजीव सिंह ने अपने चचेरे भाई नीरज सिंह को चुनाव में हराकर जीत हासिल की। एक बार फिर झरिया में महासमर शुरू हो चुका है।

1952 से 2014 तक झरिया विधानसभा सीट के विधायक : 1. 1952 पुरुषोत्तम चौहान कांग्रेस धनबाद-झरिया संयुक्त 2. 1957 पुरुषोत्तम चौहान कांग्रेस धनबाद - झरिया संयुक्त 3. 1962 शिव चंद्रिका प्रसाद कांग्रेस धनबाद -झरिया संयुक्त 4. 1967 शिवराज प्रसाद कांग्रेस झरिया विधानसभा 5. 1969 एसके राय बीकेडी-सीपीआइ झरिया विधानसभा उपचुनाव 6. 1972 एसके राय बीकेडी-सीपीआइ झरिया विधानसभा 7. 1977 सूर्यदेव ¨सह जनता पार्टी झरिया विधानसभा 8. 1982 सूयदेव ¨सह जनता पार्टी झरिया विधानसभा 9. 1987 सूर्यदेव ¨सह जनता पार्टी झरिया विधानसभा 10. 1990 सूर्यदेव ¨सह जनता दल झरिया विधानसभा 11. 1991 आबो देवी जनता दल झरिया विधानसभा उपचुनाव 12. 1995 आबो देवी राष्ट्रीय जनता दल झरिया विधानसभा 13. 2000 बच्चा ¨सह समता पार्टी झरिया विधानसभा 14. 2005 कुंती देवी भाजपा झरिया विधानसभा 15. 2009 कुंती देवी भाजपा झरिया विधानसभा 16. 2014 संजीव ¨सह भाजपा झरिया विधानसभा


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