लंबित कांडों की फेहरिस्त में उलझे पुलिस पदाधिकारी अब नए कांडों से बच रहे
यह सुनकर आश्चर्य होगा कि जब लोग एक दूसरे से मिलने जुलने से परहेज कर रहे थे। पूरा देश लॉकडाउन था। उस वक्त भी शहर के थानों में एफआईआर का ग्राफ महीने में 20 से 25 तक दर्ज हो रहा था।
धनबाद, जेएनएन: यह सुनकर आश्चर्य होगा कि जब लोग एक दूसरे से मिलने जुलने से परहेज कर रहे थे। पूरा देश लॉकडाउन था। उस वक्त भी शहर के थानों में एफआईआर का ग्राफ महीने में 20 से 25 तक दर्ज हो रहा था। जबकि कोरोना संक्रमण का असर कम होने और अनलॉक की के बाद स्थिति में काफी बदलाव हुआ है।
इन दिनों शहर के कुछ थानों में एफआइआर का आंकड़ा पहले से काफी कम हो गया है। पूरे महीने में जहां तकरीबन दो दर्जन एफ आई आर हो रहे थे वहां अब 6,7 तक सिमट कर रह गया है। ऐसा नहीं कि थाना में शिकायत नहीं पहुंच रहा है।
पर पुलिस इन दिनों एफआईआर दर्ज करने के मूड में कम रह रही है, कारण पहले से भी धनबाद के विभिन्न थानों में कांड लंबित है। झारखंड के नए डीजीपी नीरज सिन्हा के निर्देश के बाद एसएसपी असीम विक्रांत मिंज ने जिले के सभी थानेदारों पर निलंबित केस के निष्पादन को लेकर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। 10 साल पुराने मामले की भी खोज खबर शुरू कर दी गई है।
पुराने मामलों की अलग-अलग सूची बनाई जा रही है खासकर 10 साल 5 साल और 3 साल से लंबित केस के जिम्मेवार पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई के लिए सूची तैयार की जा रही है ऐसे हालात में जिले के सभी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर नए केस में उलझना नहीं चाह रहे हैं यही वजह है कि थाना में पंचायती शुरू हो गई है। जो भी मामला थाना पहुंच रहे हैं उसे पुलिस पंचायती कर निष्पादित करने की कोशिश में जुट जाती है।