अपराधियों का चक्रव्यूह भेदने में चूक रही पुलिस, घटना दर घटना खुलासा नहीं होने से उठ रहे सवाल Dhanbad News
जिले में दो झामुमो नेता की हत्या का मामला वर्षो से लंबित है। झामुमो नेता अक्ष्यलाल चौहान तथा निमाई महतो हत्याकांड की गुत्थी नहीं सुलझी और पुलिस ने दोनों कांड की फाइल क्लोज कर दी है
धनबाद, जेएनएन। पिछले दस माह के अंतराल में धनबाद में घटित कई बड़ी आपराधिक घटनाओं पुलिस खुलासा करने में पुलिस विफल रही है। चाहे वह सरायढेला में जमीन कारोबारी समीर मंडल की हत्या का मामला हो या फिर सरायढेला में बैंक ऑफ इंडिया में हुई डकैती की घटना। धनबाद की कई बड़ी आपराधिक घटनाएं अनुसंधान के नाम पर काफी दिनों से लंबित पड़ी हैं। कई कांडों में अपराधियों को पकडऩा तो दूर पुलिस घटना का कारण भी नहीं जान पाई है। हालांकि कुछ मामले में पुलिस ने एक दो संदिग्धों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है, लेकिन उन घटनाओं का स्पष्ट रूप से खुलासा अब तक नहीं हो पाया है।
इन प्रमुख आपराधिक कांडों का नहीं हो पाया खुलासा
व्यापारी आलोक जैन के घर डकैती : तकरीबन पांच माह पूर्व लुबी सकुर्लर रोड स्थित मोहल्ले में आलोक जैन के घर डकैती की घटना में पुलिस का अनुसंधान जस का तस है। अनुसंधान के नाम पर पुलिस सिर्फ अपराधियों का सीसीटीवी फुटेज ही निकाल पाई है। फुटेज भी स्पष्ट है पर अपराधियों को ढूढ़ पाना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। पिछले छह माह से यह मामला अनुसंधान के नाम पर लंबित है। पुलिस ने अपराधियों की पहचान कराने के लिए पचास हजार इनाम देने की भी घोषणा कर रखी है।
सरायढेला बैंक ऑफ इंडिया में डकैती : तकरीबन सात माह पूर्व सरायढेला बिग बाजार के समीप बैंक ऑफ इंडिया में 11 लाख की डकैती का भी पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है। यह मामला भी अनुसंधान के नाम पर लंबित है। हालांकि इस मामले में पुलिस ने देवघर से साबिर नामक एक संदिग्ध को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। वहीं हत्याकांड में गिरिडीह जेल में बंद शहादत अंसारी नामक एक अपराधी को रिमांड पर लेने के लिए गिरिडीह न्यायालय में आवेदन दिया है। पुलिस का दावा है कि शहादत अंसारी बैंक डकैती कांड में शामिल रहा है। उसकी पहचान बैंक के सुरक्षागार्ड ने की है।
समीर मंडल हत्याकांड : कार्मिक नगर निवासी जमीन कारोबारी समीर मंडल हत्याकांड का पुलिस अब तक खुलासा नहीं कर पाई है। इस कांड में पुलिस पिछले चार महीने से अंधेरे में लाठी पीट रही है। समीर के करीबी तथा जमीन कारोबार से जुड़े दर्जनों लोगों से पुलिस पूछताछ कर चुकी है। लेकिन कहीं से कोई सुराग पुलिस को नहीं मिला। इस कांड में हत्यारे को पकडऩा तो दूर पुलिस हत्या का कारण भी ढूढऩे में विफल रही है। जबकि इस कांड की गुत्थी सुलझाने के लिए सीनियर पदाधिकारी की मॉनिटरिंग में एसआइटी का गठन भी किया गया है।
दिनेश साधु की हत्या : तीन माह पूर्व निरसा निवासी दिनेश साधु की हत्या की गुत्थी भी पुलिस अब तक नहीं सुलझा पाई है। यह कांड भी अनुसंधान के नाम पर लंबित है। मुर्गा व्यवसायी दिनेश साधु जब अपनी बेटी के घर पंचेत के बांदा गांव जा रहे थे तभी उनकी हत्या हुई थी। दिनेश साधु का शव कालूबथान ओपी क्षेत्र में स्थित एक कुंआ से बरामद हुआ था जबकि उनकी बाइक कुंआ से थोड़ी दूर पर लावारिस हालत में पुलिस ने बरामद की थी।
भौंरा में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला अनसुलझा : दुर्गापूजा की सप्तमी के दिन भौंरा इलाके में एक आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में भी पुलिस दुष्कर्मी को अब तक नहीं ढूढ़ पाई है। जबकि नाबालिग की मेडिकल जांच भी पुलिस दुष्कर्म की पुष्टि हो चुकी है। यह मामला भी अनुसंधान के नाम पर लंबित है।
महिला की हत्या में सुरागविहिन पुलिस : गत दिनों झरिया के बनियाहीर में एक महिला की हत्या कर शव फेंके जाने के मामले में भी पुलिस अब तक हत्यारे को नहीं ढूढ़ पाई है। यह कांड भी अनुसंधान के नाम पर लंबित है।
बैंकमोड़ एचडीएफसी बैंक से 25 लाख चोरी मामले का नहीं हुआ खुलासा : गत दिनों बैंकमोड़ श्रीराम प्लाजा मार्केट में स्थित एचडीएफसी बैंक से 25 लाख चोरी मामले का भी पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है। कोयलांचल को-ऑपरेटिव प्राइवेट लिमिटेड के कलेक्शन एजेंट अरुण कुमार बैंक में 25 लाख रुपये जमा कराने गए थे तभी अपराधी रुपये भरे बैग लेकर बैंक से फरार हो गए। सीसीटीवी फुटेज में अपराधियों की तस्वीर कैद हो गई। बावजूद पुलिस अपराधियों की तलाश में विफल है।
झामुमो नेता की हत्या में साजिशकर्ताओं को नहीं ढूढ़ पाई पुलिसः जिले में दो झामुमो नेता की हत्या का मामला वर्षो से लंबित है। झामुमो नेता अक्ष्यलाल चौहान तथा निमाई महतो हत्याकांड की गुत्थी नहीं सुलझी और पुलिस ने दोनों कांड की फाइल क्लोज कर दी है। झामुमो नेता अक्ष्य लाल चौहान की हत्या 28 नंवबर 2012 को हुई वहीं निमाई महतो की हत्या 14 सितंबर 2015 को हुई थी। दोनों मामले में पुलिस हत्या का कारण तथा साजिशकर्ता का पता लगाए बगैर ही फाइल को क्लोज कर दिया है। महत्वपूर्ण बात है कि भुक्तभोगी के पक्ष में एक जनप्रतिनिधि ने निमाई महतो की हत्या को विधानसभा में भी उठाने का भरोसा दिलाया था परंतु मामला कभी विधान सभा में नहीं उठा। निमाई महतो की हत्या में एक डीएसपी ने बंद फाइल को दोबारा री-ओपेन किया था परंतु फाइल खुलने के कुछ दिन बाद डीएसपी का जिला से तबादला हो गया।