Positive India: जहां लगते थे लाल सलाम के नारे वहां गूंज रहे पुलिस के जयकारे, लॉकडाउन ने बदल दी खाकी की छवि
एक ग्रामीण ने बताया कि संकट की इस घड़ी में ग्रामीणों की मदद को न तो माओवादी कमांडर आ रहा न नेता। इसलिए पुलिस का इंतजार क्यों न करें।
गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। पारसनाथ पहाड़ की तलहटी पर बसा डुमरी प्रखंड का टेसाफुली गांव। नक्सल प्रभावित। मंगलवार की दोपहर के 12 बजे हैं। टेसाफुली और आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग बैठे हैं। पुलिस का इंतजार है। तभी गाडिय़ों की आवाज आई। बाइक से गिरिडीह एसपी सुरेंद्र कुमार झा एवं एएसपी (अभियान) दीपक कुमार मालवाहक गाड़ी से खाद्यान्न व भोजन लेकर पहुंचते है। गांववालों को लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न और भोजन उपलब्ध हो जाता है।
यह वही इलाका है जहां 2016 में गिरिडीह के तत्कालीन डीसी उमाशंकर सिंह और एसपी अखिलेश बी वारियर पूरी कोशिश के बाद भी ग्रामीणों के बीच माओवादी खौफ के कारण सरकार आपके द्वार कार्यक्रम नहीं कर सके थे। जिस पुलिस को देख गांववाले भागते थे, आज उसे अपना हमदर्द मान रहे हैं। एक ग्रामीण की टिप्पणी सुनिए, साहब हमारे घर का चूल्हा माओवादी नहीं, ये पुलिस ही लॉकडाउन में जलवा रही है। ये तो हमारी दोस्त है।
यहां पुलिस ने 1500 ग्रामीणों को भोजन कराकर राशन दिया। डॉक्टर से जांच कराने के बाद दवा दी। मास्क और सैनिटाइजर दिया। कोरोना से बचने को शारीरिक दूरी रखने की नसीहत दी। टेसाफुली के हेमलाल ने बताया कि लॉकडाउन में ग्रामीणों की हालत खराब थी। तब पुलिस देवदूत बन गई। राशन, भोजन लेकर आ रही है। ऐसे दृश्य आपको पीरटांड़ समेत नक्सल क्षेत्र के अन्य गांवों में भी दिख जाएंगे जो पुलिस की बदलती छवि का अहसास कराएंगे। आज आलम ये है कि जिन ग्रामीण इलाकों में पहले पुलिस की गाड़ी एवं खाकी वर्दी देख ग्रामीण घर छोड़कर भागते थे, वहां अब पुलिस का इंतजार करते हैं।
एक ग्रामीण ने बताया कि संकट की इस घड़ी में ग्रामीणों की मदद को न तो माओवादी कमांडर आ रहा, न नेता। इसलिए पुलिस का इंतजार क्यों न करें। ये वो पुलिस नहीं है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों को माओवादी मानकर कहर बरपाती थी। यह तो ग्रामीणों को सुरक्षा देने के साथ घरों में चूल्हा जलवा रही है। टेसाफुली के ही सिकंदर ने बताया कि पुलिस की नई भूमिका देखकर खुशी हुई। श्यामलाल बोले- अब पुलिस और ग्रामीण करीब आए हैं। अधिकांश थानों में सामुदायिक किचन से गरीबों को खाना मिल रहा है। अरे साहब, अब तो थाना के पास से गुजरते हैं तो जवान पूछेंगे- आप भोजन करेंगे क्या।
ग्रामीणों की मदद को पुलिस हमेशा तत्पर है। हम उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं। पुलिस ही ग्रामीणों की सच्ची हमदर्द है। गांववाले माओवादियों के बहकावे में न आएं।
-सुरेंद्र कुमार झा, एसपी, गिरिडीह