कवि सम्मेलन : किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए, सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए... Dhanbad News
किसी की याद की खुशबू में भीगे केश लाई हूं दिलों को जोड़ने वाले अमीर उपदेश लाई हूं होठों पर सजी रहती थी गोकुल मैं ब्रज की बांसुरी हूं प्रेम का संदेश लाई हूं...
धनबाद, जेएनएन। ये किसी शख्स को दोबारा न मिलने पाए, प्यार के रोग को आधार से जोड़ा जाए.., किसी खंजर से न तलवार से जोड़ा जाए, सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए। यूपी के कानपुर से आए कवि विकास भौकाल की हास्य में लिपटी इस कविता पर सोमवार की रात श्रोता लोटपोट हो गए।
मौका था झरिया-धनबाद गोशाला में गोपाष्टमी मेला पर हुए विराट कवि सम्मेलन का। इसमें विभिन्न राज्यों से आए कवियों ने काव्य की ऐसी रसधारा बहाई कि देर रात तक साहित्य प्रेमी उसमें डूबते उतराते रहे। कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य, देशभक्ति, वीर रस, संयोग और वियोग श्रृंगार की में डूबी रचनाओं ने सभी का मन मोहा।
इंदौर से आए कवि चेतन चर्चित ने जन्म-जन्म का तुझसे मेरा है नाता, सुख-वैभव समृद्धि स्वास्थ्य के दाता, रोम-रोम में सभी देवता वास करें, तू गीता गायत्री गंगा गोमाता.., रचना पेश की। दिल्ली के कवि शंभू शिखर ने सरकार संपत्ति का मांगती है ब्योरा, लेकिन विपत्तियों की कोई सुधि नहीं लेता.., रचना पेश कर तालियां बटोरीं।
मैं ब्रज की बांसुरी हूं प्रेम का संदेश लाई हूं...
मथुरा से आई पूनम वर्मा ने किसी की याद की खुशबू में भीगे केश लाई हूं, दिलों को जोड़ने वाले अमीर उपदेश लाई हूं, होठों पर सजी रहती थी गोकुल, मैं ब्रज की बांसुरी हूं प्रेम का संदेश लाई हूं... जैसी रचना के साथ श्रोताओं को साहित्य की रसधार में गोते लगवाए।