Pmch: पैथोलॉजिस्ट बचे ही नहीं है और केमिकल रहता नहीं, बस चल रहा विभाग भगवान भरोसे
एसएनएमएमसीएच (पुराना नाम पीएमसीएच) का पैथोलॉजी विभाग नाम का रह गया है। विभाग में न पैथोलॉजिस्ट बचे हैं ना ही नियमित केमिकल रह रहा है। इस वजह से कई महत्वपूर्ण जांच नहीं हो पा रही है। लिहाजा यहां आने वाले गरीब मरीजों को मजबूरन पीपीपी मोड पर
जागरण संवाददाता, धनबाद
एसएनएमएमसीएच (पुराना नाम पीएमसीएच) का पैथोलॉजी विभाग नाम का रह गया है। विभाग में न पैथोलॉजिस्ट बचे हैं, ना ही नियमित केमिकल रह रहा है। इस वजह से कई महत्वपूर्ण जांच नहीं हो पा रही है। लिहाजा यहां आने वाले गरीब मरीजों को मजबूरन पीपीपी मोड पर संचालित एसआरएल जांच घर में सैंपल देना पड़ रहा है। इसके एवज में गरीब मरीजों को पैसे चुकाने पड़ रहे हैं।
एमसीआई के निर्देश पर बनाया गया था सेंट्रलाइज पैथोलॉजी
अस्पताल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के निर्देश पर सेंट्रलाइज पैथोलॉजी बनाया गया था। एमबीबीएस की 100 सीटें करने और पीजी की पढ़ाई शुरू करने के शर्त में एमसीआई ने सेंट्रलाइज पैथोलॉजी बनाने को कहा था। वर्ष 2017 में प्रबंधन ने आनन-फानन में सेंट्रलाइज पैथोलॉजी बनाया। शुरुआती में पैथोलॉजी ठीक-ठाक चला। एक जगह पर पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी , हेमेटोलॉजी सहित अन्य जांच एक ही जगह पर शुरू की गई। यहां के पैथोलॉजिस्ट को दूसरी जगह स्थानांतरण कर दिया गया। अब एक साल से बिना पैथोलॉजिस्ट के विभाग चल रहा है। हालांकि इसकी जगह पर एक प्रशिक्षित चिकित्सक को लगाया गया है।
पीपीपी मोड पर लगते हैं चार्ज
अस्पताल में ही बगल पर पीपीपी मोड पर एसआरएल जांच केंद्र है। यहां पर लगभग एक हजार प्रकार की जांच की जा रही है। लेकिन इसके लिए मरीजों को पैसे देने पड़ते हैं। सामान्य मरीजों को शुगर, रक्त वर्गीकरण, लिपिड प्रोफाइल, थायराइड सहित अन्य जांच के लिए एसआरएल जाना पड़ रहा है। कई मरीज बाहर निजी जांच घर में जा रहे हैं। जहां आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वर्जन
पैथोलॉजी में चिकित्सकों की कमी है। इस वजह से कहीं-कहीं सेवा प्रभावित होती है। हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था करके सेवा ली जा रही है। जो कमियां है उसे पूरी की जा रही है।
डॉ. अरुण कुमार चौधरी, अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच