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जागरण के राउंड टबल में झलकी बेबसी: बिजली देने में सरकार फेल, कब पटरी पर आएगी रेल

सरकार जीरो कट बिजली का दावा करती है पर उनके दावे पूरी तरह फेल हो रहे हैं। महीनों से धनबाद की जनता बिजली की कुव्यवस्था का दंश झेल रही है और वर्तमान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 12:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 12:15 PM (IST)
जागरण के राउंड टबल में झलकी बेबसी: बिजली देने में सरकार फेल, कब पटरी पर आएगी रेल
जागरण के राउंड टबल में झलकी बेबसी: बिजली देने में सरकार फेल, कब पटरी पर आएगी रेल

जागरण संवाददाता, धनबाद: सरकार जीरो कट बिजली का दावा करती है पर उनके दावे पूरी तरह फेल हो रहे हैं। महीनों से धनबाद की जनता बिजली की कुव्यवस्था का दंश झेल रही है और वर्तमान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। हर दिन घंटों बिजली कटती है। बिजली बिल भी पहले से दो-तीन गुना महंगी हो चुकी है, बावजूद उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली नसीब नहीं होती है।
यह कुव्यवस्था वर्तमान सरकार की लचर व्यवस्था को दर्शाती है। दैनिक जागरण के 16 साल 16 सवाल कार्यक्रम में परिचर्चा के दौरान यह बातें सामने आईं। दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में शहर के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया, जिसमें धनबाद समेत राज्य भर की बिजली संकट को दूर करने के लिए लोगों ने सुझाव दिए तो कुछ लोगों ने वर्तमान सरकार के क्रियाकलाप पर नाराजगी भी जताई। मौके पर लोगों ने बिजली की खराब स्थिति पर जमकर भड़ास निकाली। सबका कहना था कि सरकार बिजली के मामले पर पूरी तरह फेल है, अब तो चुनाव आने वाला है, अब कब पटरी पर आएगी रेल।

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व्यवस्था पर नाराजगी व सुझाव:

"धनबाद में बिजली व्यवस्था सुधार को लेकर सरकार के पास कोई ठोस प्लानिंग नहीं है। हर दिन नई प्लानिंग के साथ बिजली व्यवस्था को धरातल पर उतारने की लूट मची है। कभी केबल अंडर ग्र्राउंड तो कभी पोल गाडऩे उखाडऩे में विभाग करोड़ रुपये खर्च कर रही लेकिन स्थिति जस की तस है।"
- सैफ अख्तर, निदेशक आइआइएफटी

यह वर्तमान सरकार की विफलता है:
"मैं खुद डीवीसी मैथन के पास रहती हूं। हर दिनों डीवीसी घंटों बिजली काटती है। यह वर्तमान सरकार की विफलता है कि डीवीसी की बिजली से दूसरे राज्य रौशन होते हैं और यहां के लोग महीनों से बिजली संकट झेल रहे हैं। जबकि विभाग हर बार जीरो कट बिजली का दावा करती रही है। स्कूली छात्रों और घरेलू महिलाओं को अधिक परेशानी होती है। कम से कम हमें जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी तो मिलनी ही चाहिए।"
-निधि जायसवाल, मिसेज इंडिया फोटोजेनिक

धरातल पर नतीजा कुछ नहीं दिखता:
धनबाद में बिजली की समस्या कभी दूर होगी या नहीं, इसमें संशय की स्थिति है। सरकार हर बार दावे करती है, परंतु धरातल पर नतीजा कुछ नहीं दिखता है। अब तो स्कूलों में भी बच्चों के लिए जनरेटर की सुविधा देना अनिवार्य हो गया है। जब ठंड में बिजली की हालत इतनी खराब रहती है तो भीषण गर्मी में क्या हाल होगा। बच्चे कैसे स्कूल में बैठकर पढ़ाई कर सकेंगे। बिजली से जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।
- मदन कुमार सिंह, प्राचार्य द्वारिका मेमोरियल फाउंडेशन एकेडमी विशुनपुर

महिलाएं बच्चे सब समस्या का दंश झेल रहे:
महीनों से बिजली पानी के संकट से शहरवाशी त्राहिमाम हैं। महिलाएं बच्चे सभी हर दिन समस्या का दंश झेल रहे हैं। कब बिजली चली जाएगी, इसका डर हमेशा बना रहता है। मीडिया में हर दिन पढ़ती हूं कि आज इस इलाके की बिजली घंटों नहीं रहेगी। कोई ऐसा दिन नहीं है जिस दिन बिजली शहर में घंटों नहीं कटती। ऐसे में बिजली विभाग कैसे दावा करती है कि धनबाद में जीरो कट बिजली की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
- किरण पांडे, प्राचार्य विद्या भारती स्कूल भेलाटांड़

हल्की बूंदाबांदी में भी घंटों बिजली गायब
यह सच है कि बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। गली मुहल्ले में ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं, लेकिन क्या फायदा जब बिजली नहीं रहती है। हल्की बूंदा बांदी में घंटों बिजली कटी रहती है। तीन चार महीना पूर्व डीवीसी लोड शेडिंग के नाम पर बिजली काट रही थी और अब बिजली विभाग मरम्मत के नाम पर बिजली कटौती हो रही है। हर हाल में व्यवस्था जस की तस है।
- जयराम पांडे, निदेशक विद्या भारती स्कूल भेलाटांड़

अब जनता चुप नहीं रहेगी
जब जनता बिजली बिल हर महीने चुकाती है, तो 24 घंटे उन्हें बिजली क्यों नहीं मुहैया कराई जा रही। इसका जबाव अब सरकार को ही देना होगा। जनता चुप नहीं बैठेगी और आनेवाले चुनाव में सरकार को इसका नुकसान भी होगा।
- नम्रता गुप्ता, अध्यक्ष बाबा फरीद मिशन संस्थान

जनप्रतिनिधि को भी कोई दिलचस्पी नहीं
धनबाद में बिजली की समस्या हर रोज की हो चुकी है। जनता भी समझ चुकी है कि व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है। सरकार पूरी तरह फेल है। हर दिन लोग बिजली पानी के लिए तरसते हैं पर यहां तो जनप्रतिनिधि भी समस्या को सुलझाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। कई बार महिलाएं सड़क पर उतरी, व्यवसायी वर्ग आंदोलन कर थक गए, लेकिन व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।
- अंजलि कल्याणी, सदस्य बाबा फरीद मिशन मिशन संस्थान

"जहां बिजली विभाग मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद संभाल रहे हैं उस विभाग की स्थिति इतनी खराब है। इस पर और क्या कहना है कि राज्य में बिजली संकट फेल सरकार की विफलता का परिचायक है। जनता हर महीने बिजली बिल भरती है। हर रोज बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए करोड़ों के टेंडर निकल रहे हैं पर महीनों से कोई व्यवस्था सुधार में कोई फर्क नहीं दिख रहा है। ऐसी विडंवना है कि धनबाद का कोयला से बिजली उत्पादन कर एमपीएल व डीवीसी दूसरे शहर को रौशन कर रही और खुद का घर अंधेरे में है। वर्तमान सरकार को सबसे पहले अपना घर देखना चाहिए फिर दूसरे को देखें।"
- ऋषिकांत यादव, अध्यक्ष छात्र युवा संघ मोर्चा

"पिछले छह माह से बिजली को सेंट्रल ग्र्रिड से जोडऩे की प्लानिंग सरकार कर रही है, परंतु अभी तक मामला लंबित है। गांव-गांव में बिजली पहुंचाने का दावा भी किया गया है पर जब शहर में ही बिजली नहीं रहती है तो गांव का क्या हाल होता होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है। केवल दावे करने से सरकार नहीं चलती है उन्हें जनता को सुविधा चाहिए और इसके लिए सरकार को प्लानिंग करनी चाहिए।"
- अभिमन्यु कुमार, छात्र नेता

"पिछले छह महीने से डीवीसी एलान कर झारखंड सरकार के पास बकाया बिल रहने के कारण बिजली काट रही थी और सरकार चुपचाप बैठी रही, जबकि बिजली विभाग का खुद का करोड़ों रुपये सरकारी विभागों के पास बकाया है बावजूद जेबीवीएनएल डीवीसी को पैसा देने में कोताही बरत रही थी। अगर सरकार विभाग के बकाया राशि ही वसूल कर सरकार डीवीसी को दे देती तो जनता को बिजली की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।"
- अमरनाथ कुमार, रियल स्टेट कारोबारी

"वर्तमान सरकार के पास बिजली सुधार को लेकर कोई प्लानिंग नहीं है। केवल जनता को गुमराह कर रही है। अभी हाल में ही बिजली तार बदलने तथा जहां तहां पोल लगाने को लेकर करोड़ों रुपये खर्च की थी फिर अचानक बिजली तार को अंदर ग्र्राउंड करने का टेंडर निकाला गया। अगर शहरी व ग्र्रामीण इलाके में अंडर ग्र्राउंड बिजली व्यवस्था होनी थी तो पहले ही यह व्यवस्था हो जानी चाहिए थी। फिर नई पोल लगाने तथा बिजली तार बदलने का क्या फंडा है यह समझ से परे है।"
- राजकुमार शर्मा, व्यवसायी

"बिजली विभाग को संसाधनों से लैस करना चाहिए, सभी सब स्टेशन में मेनडेज कर्मियों का अभाव है। रात में जब भी बिजली कटती है उसे ठीक करने के लिए कोई नहीं होता है। सब स्टेशन में फोन करने पर भी कोई फोन नहीं उठाता है। व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। सब स्टेशन के जुनियर इंजीनियर भी रात में मेनडेज कर्मी नहीं रहने का रोना रोते हैं।"
- शुभम सिंह, छात्र नेता

"बिजली विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। बिजली कनेक्शन के नाम पर हजारों रुपये मांगे जाते हैं। जनता भी जानकारी के अभाव में पैसे देने के लिए विवश हो जाते हैं इसलिए सरकार की और से अभियान चलवाना चाहिए ताकि लोग सिस्टम को समझे और जागरूक हो सके।"
- उमेश कुमार, व्यवसायी

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