India Lockdown: ये कुछ भी सुनने को तैयार नहीं, चूड़ा व सत्तू के सहारे नाप रहे सैकड़ों किमी की दूरियां
बिहार के गया जिला के डोभी व झारखंड के हजारीबाग से साइकिल से आ रहे लोगों का समूह मिला। पूछे जाने पर कहा कि रास्ते में कोई रोकटोक नहीं हुई।
मैथन [ संजीव सिन्हा]। बचपन में नानी-दादी से सुना जाता था कि पहले लोग कंधा पर चूड़ा व सत्तू की पोटली टांगकर सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय कर लेते थे। आज वहीं कहानियां सच्चाई बनकर आंखों के सामने दिख रही। सोमवार को तपती दोपहर में झारखंड-प. बंगाल की सीमा डिबुडीह चेकपोस्ट पर प. बंगाल पुलिस तैनात मिली। उपस्थित पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीमा पूरी तरह सील है, झारखंड की ओर से आने वालों को वापस कर दिया जा रहा। लेकिन आसनसोल की ओर करीब पांच किमी आगे ही साइकिल से बिहार के गया जिला के डोभी व झारखंड के हजारीबाग से साइकिल से आ रहे लोगों का समूह मिला। पूछे जाने पर कहा कि रास्ते में कोई रोकटोक नहीं हुई। इनमें कोई सोनपापड़ी विक्रेता तो कोई धुनिया का कार्य करता है।
डोभी से करीब 200 किमी की यात्रा पूरी कर चुके बासुदेव मंडल को कोलकाता के निकट सांतरागाछी अपने घर पहुंचने को अभी और 250 किमी का सफर तय करना बाकी है। देर रात ही डोभी से निकले बासुदेव रास्ते में खाने को चूड़ा व सत्तू की पोटली बांध रखी है। हजारीबाग से आ रहे शेख सिराजुद्दोला व उनके साथी भी चूड़ा व सत्तू के सहारे मुर्शिदाबाद तक का सफर तय करेंगे। कुछ आगे ही सिर व पीठ पर बैग व मोटरी लिये पैदल ही तेजी से कदम बढ़ाते झारखंड के पाकुड़ जा रहे मजदूरों का समूह मिला। वे लोग पुरुलिया की एक फैक्ट्री में कार्य करते थे। फैक्ट्री बंद होने के बाद खाने-पीने की मुश्किल को देखते हुए उनलोगों ने करीब 300 किमी दूर पाकुड़ जिला स्थित अपने गांव लौटना ही मुनासिब समझा। 23 मजदूरों के उक्त समूह के लोग भी रास्ते में खाने के लिए चूड़ा, सत्तू, गुड़ आदि रखे हुए है। सभी की एक ही चाह कि किसी तरह अपनों तक पहुंच जाये।