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हाय री व्यवस्था! दस घंटे इंतजार के बाद मिला एंबुलेंस तो माैत भी धमक पड़ी

उपायुक्त के आदेश पर रात में साढ़े 10 बजे रेडक्रास सोसाइटी की एंबुलेंस दिलीप को लेकर रांची के लिए रवाना हुई लेकिन रास्ते में रामगढ़ के करीब ही उसकी मौत हो गई।

By Edited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 08:27 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 08:31 AM (IST)
हाय री व्यवस्था! दस घंटे इंतजार के बाद मिला एंबुलेंस तो माैत भी धमक पड़ी
हाय री व्यवस्था! दस घंटे इंतजार के बाद मिला एंबुलेंस तो माैत भी धमक पड़ी
बरवाअड्डा, जेएनएन। किडनी रोग से पीड़ित बरवाअड्डा के लोहार बरवा निवासी 45 वर्षीय दिलीप विश्वकर्मा की शनिवार देर रात समय पर चिकित्सा के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण मौत हो गई।
दिलीप विश्वकर्मा लंबे समय से किडनी रोग से पीडि़त थे लेकिन पैसे के अभाव में बेहतर इलाज नहीं करवा पा रहे थे। स्थिति बिगड़ने पर उन्हें शुक्रवार को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था लेकिन पानी की किल्लत के कारण वहां भी उनका डायलिसिस नहीं हो पाया। डॉक्टरों ने डायलिसिस की सुविधा नहीं होने की बात कहकर दिलीप को शनिवार दिन को रांची रिम्स रेफर कर दिया था। लेकिन उन्हें रांची ले जाने के लिए समय पर सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पाया। निजी एंबुलेंस के सहारे उन्हें रांची तक ले जाने के लिए भी परिजनों के पास पैसे नहीं थे। परिजनों ने निशुल्क एंबुलेंस सेवा 108 नंबर पर डायल कर कई बार एंबुलेंस उपलब्ध कराने का अनुरोध किया लेकिन बात नहीं बनी। कभी गाड़ी खराब होने तो कभी रांची में गाड़ी होने की बात कही जाती रही। ज्यादा जोर देने पर साफ कहा गया कि इतनी जल्दी है तो प्राइवेट एंबुलेंस से मरीज को ले जाए।
शनिवार को दिन के 12 बजे से रात के करीब 10 बजे परिजन 10 घंटे तक सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करते रहे लेकिन गाड़ी नहीं मिली। आखिरकार परिजनों ने उपायुक्त से मदद की गुहार लगाई। उपायुक्त के आदेश पर रात में साढ़े 10 बजे रेडक्रास सोसाइटी की एंबुलेंस दिलीप को लेकर रांची के लिए रवाना हुई लेकिन रास्ते में रामगढ़ के करीब ही उसकी मौत हो गई। गरीब दिलीप सरकारी तंत्र की लेटलतीफी और लापरवाही की मार सह नहीं सका और दुनिया से विदा हो गया। दिलीप के दो बच्चे हैं। पुत्र आशीष एवं पुत्री सपना। सपना जन्म से ही दिव्यांग है। घर की माली हालत काफ खस्ता है। दिलीप पहले घड़ी मरम्मत का काम करता था। लेकिन मोबाइल आ जाने के बाद उसका कारोबार ठप हो गया। फिर उसने लोन लेकर टेंपो निकाला। लेकिन समय पर किस्त नहीं देने के कारण गाड़ी भी जब्त हो गई थी। उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था। पत्‍‌नी कपड़ा सिलाई कर परिवार का भरणपोषण करने के साथ पति का इलाज भी करवा रही थी। दिलीप के निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग दिलीप विश्वकर्मा के रिश्तेदार और समाजसेवी संजय विश्वकर्मा ने बताया कि सिस्टम की लापरवाही से एक गरीब की जान चली गई। इस मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए वरीय अधिकारियों से शिकायत की जाएगी।

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