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धनबाद रेलवे स्टेशन से गायब हुआ जनता मील, जिम्मेवार बोले- घाटे का सौदा है Dhanbad News

धनबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म की स्टॉलों से जनता मील (भोजन) गायब है। इससे स्टेशन आने वाले गरीब तबके के यात्रियों का भोजन नहीं मिलने के कारण भूखे सफर करना पड़ रहा है।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 11:26 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 11:26 AM (IST)
धनबाद रेलवे स्टेशन से गायब हुआ जनता मील, जिम्मेवार बोले- घाटे का सौदा है Dhanbad News
धनबाद रेलवे स्टेशन से गायब हुआ जनता मील, जिम्मेवार बोले- घाटे का सौदा है Dhanbad News

जागरण संवाददाता, धनबाद: धनबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म की स्टॉलों से जनता मील (भोजन) गायब है। इससे स्टेशन आने वाले गरीब तबके के यात्रियों का भोजन नहीं मिलने के कारण भूखे सफर करना पड़ रहा है। वहीं, जो खाना खरीद कर खा रहे हैं उन्हें मजबूरी में अधिक मूल्य में खरीदना पड़ रहा है।

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रेलवे बोर्ड ने नियम बनाते हुए हर स्टेशन में जनता मील अनिवार्य किया था। इसका उद्देश्य था कि स्टेशन में गरीब यात्रियों को भी सस्ती दर में भोजन मिल सके। इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी वाणिज्य विभाग को दी गई थी। स्टेशन में संचालित भोजनालय चाहे वह आईआरसीटीसी या फिर रेलवे का हो, वहां से जनता मील बनाकर हर स्टॉल में रखा जाना था, लेकिन धनबाद स्टेशन में रेलवे बोर्ड के इस नियम की वाणिज्य विभाग के अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। फलस्वरूप यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। धनबाद स्टेशन के सभी सात प्लेटफार्म में लगभग डेढ़ दर्जन स्टॉल है। दैनिक जागरण ने सभी स्टॉल में जनता मील की पड़ताल की, लेकिन किसी भी स्टॉल में जनता मील उपलब्ध नहीं मिला। स्टॉल वालों का तर्क था कि रेलवे द्वारा जनता मील की सप्लाई नहीं की जा रही है।

क्या है नियम

रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड का आदेश है कि हर स्टेशन खासकर भीड़-भाड़ वाले इलाके में जनता मील बेचना अनिवार्य है, लेकिन रेल मंडल के अधिकारियों को इस आदेश की कोई परवाह नहीं है। यहां ासत प्लेटफार्म है। इनमें से किसी में भी जनता मील उपलब्ध नहीं रहता। यात्री महंगे दाम पर भोजन खरीदने को मजबूर हैं। हर स्टॉल पर मनमाने रेट में खाद्य सामग्री बेचने की शिकायत सामने भी आती है। बावजूद अधिकारी ठेकेदारों पर मेहरबान हैं।

भोजन की गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं: रेट चार्ट में जनता भोजन का मूल्य बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है, लेकिन अफसोस यह केवल मूल्य चार्ट पर ही है। स्टॉल में जनता भोजन गरीबों को नहीं दिया जाता। 15 रुपए के जनता भोजन में 7 पूड़ी (175 ग्राम ), सूखी सब्जी 150 ग्राम व 15 ग्राम आचार दिया जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जब भी जनता मील परोसा जाता है, तब इसकी गुणवत्ता व क्वांटिटी भी काफी निम्न होती है।

यात्रियों की परेशानी पर अधिकारियों का नहीं है ध्यान: लोगों ने बताया कि जब जोनल या बोर्ड मुख्यलय से अधिकारियों का आगमन होता है, तभी जनता मील परोसा जाता है। अन्यथा आम यात्रियों की परेशानी से ठेकेदार व अधिकारियों को कोई मतलब नहीं रहता। जनता मील प्रचार-प्रसार तक ही सीमित है। रेट चार्ट के बावजूद मनमाने तरीके से पैसे लिए जाते हैं। स्टेशन की स्टॉल से लेकर कैंटिन तक नियमों का पूरा ख्याल रखा गया है, लेकिन यह केवल कागजों और होर्डिंग्स पर ही सीमित है। स्टॉल में जनता मील से लेकर बेची जाने वाली उस हर खाद्य पदार्थ का रेट उल्लेख है। उसके बावजूद मनमाने ढंग से चीजें बेची जाती हैं।

कई बार स्टॉल संचालकों को फाइन भी किया गया है, लेकिन बावजूद कोई सुधार नहीं। टेंडर नियम की शर्तों का अगर ख्याल रखा जाए तो 4 से 5 बार फाइन होने पर स्टॉल संचालकों का टेंडर रद्द किया जा सकता है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करने से पीछे हट जाते हैं, जिसका लाभ ठेकेदार को मिलता है। यही नहीं, स्टॉल में रहने वाले कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद है कि वे यात्रियों से भी दुर्व्यवहार करते हैं। अधिक रेट का विरोध करने पर दुर्व्यवहार के ज्यादातर मामले सामने आते हैं। 

"जनता मील ज्यादा दिन नहीं टिकता। इसलिए स्टॉल संचालकों को घाटा होता है। कोई भी घाटे का व्यापार नहीं करना चाहेगा।"

-आशीष कुमार, सीनियर डीसीएम, धनबाद रेल मंडल

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