धनबाद में ट्रेन बेपटरी, बस बेबस और हवा में हवाईजहाज
देवघर, दुमका, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, गिरिडीह, डाल्टेनगंज, हजारीबाग, गुमला जैसे 11 जिलों में डिपो से कुल 173 बसें चलती थीं। इसमें केवल धनबाद बस डिपो से 58 बसों का परिचालन होता था।
धनबाद, जेएनएन। सुनकर भले ही अचरज हो पर है यह पूरे सौ फीसद सच। धनबाद में पटरी बिछी है पर ट्रेन नाममात्र है। हवाईपट्टी है पर प्लेन गायब है...। वर्ष 2000 में झारखंड के अस्तित्व में आने के बाद यूं तो कमाऊ पूत धनबाद को टे्रनें न के बराबर ही मिलीं। मिली भी तो उनमें से कुछ बंद हो गईं और कुछ दूसरे स्टेशन को स्थानांतरित हो गई। 2003 में धनबाद-झरिया रेललाइन बंद कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2017 में 15 जून को आए फैसले ने धनबाद की झोली ही खाली कर दी। यही हाल हवाई सेवा शुरू करने को लेकर भी रहा। हवाईजहाज नहीं उड़े पर इसकी योजना हवा में उड़ती रही।
राज्य अलग होने के बाद चली ट्रेनें
- धनबाद-रांची इंटरसिटी
- धनबाद-गया इंटरसिटी
- 22 फरवरी 2008 धनबाद-पटना इंटरसिटी
- 10 मार्च 2008 धनबाद-भुवनेश्वर गरीब रथ
- 23 दिसंबर 2009 धनबाद-कोल्हापुर दीक्षाभूमि एक्सप्रेस
- 18 मई 2011 धनबाद-झारग्राम मेमू
- 03 अक्टूबर 2011 धनबाद-हावड़ा डबलडेकर
- 5 अप्रैल 2012 धनबाद-बांकुड़ा मेमू अब विष्णुपुर तक
डीसी लाइन के बंद होने से प्रभावित हुईं ट्रेनें
- धनबाद-झारग्राम मेमू अब फुलवारटांड़ तक
- धनबाद-बांकुड़ा मेमू अब विष्णुपुर तक
बंद हुई ट्रेनें
- धनबाद -चंद्रपुरा पैसेंजर
- धनबाद-रांची पैसेंजर
- रांची-न्यूजलपाईगुड़ी इंटरसिटी
- रांची-भागलपुर एक्सप्रेस
- हावड़ा-भोपाल एक्सप्रेस
महुदा होकर चलने वाली ट्रेनें
- धनबाद-रांची इंटरसिटी
- रांची-भागलपुर वनांचल एक्सप्रेस
- हटिया-पटना पाटलीपुत्र एक्सप्रेस
- रांची-कामाख्या एक्सप्रेस
- रांची-हावड़ा इंटरसिटी
- मालदा टाउन-सूरत
- गोमो होकर चलनेवाली ट्रेनें
- दरभंगा-सिकंदराबाद
- रक्सौल-हैदराबाद
इन ट्रेनों के घटे फेरे
- धनबाद-रांची इंटरसिटी
- देवघर-रांची इंटरसिटी
- रांची-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस
- बोकारो से चलनेवाली ट्रेनें
- भुवनेश्वर गरीब रथ
- धनबाद-गोमो होकर चलनेवाली ट्रेनें
- हटिया-गोरखपुर मौर्य एक्सप्रेस
- हावड़ा-रांची शताब्दी एक्सप्रेस
- हावड़ा-जबलपुर शक्तिपुंज एक्स.
- धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस
- हावड़ा-अजमेर एक्सप्रेस
- कोलकाता-अहमदाबाद एक्सप्रेस
ऐसे प्रभावित हुआ आम आदमी
- धनबाद की ट्रेनों के आपातकालीन कोटे पर चली कैंची
- लुधियाना एक्सप्रेस: सेकेंड एसी में आठ था जो अब छह, थर्ड एसी में 10 से घटाकर छह और स्लीपर में 28 से घटाकर 16 कर दिया गया।
- गंगा-दामोदर एक्सप्रेस: थर्ड एसी में 14 कोटे को 12 कर दिया गया और स्लीपर के 30 को घटाकर 20 कर दिया गया।
- धनबाद-पटना इंटरसिटी: सेकेंड एसी में आठ से चार, थर्ड एसी में 14 से आठ कर दिया गया।
- अलेप्पी एक्सप्रेस: स्लीपर की 37 आपातकालीन कोटे को 24 कर दिया गया।
- दीक्षाभूमि एक्सप्रेस: थर्ड एसी में 10 कोटा था जो अब सिर्फ चार हैं। स्लीपर में 26 को घटाकर आठ कर दिया गया।
- लुधियाना एक्सप्रेस का सफर महंगा: धनबाद से खुलने वाली अतिमहत्वपूर्ण ट्रेन लुधियाना एक्सप्रेस में कम दूरी का सफर महंगा हो गया। धनबाद से कोडरमा, गया, सासाराम, भभुआ रोड, डेहरी ऑन सोन, मुगलसराय तक के लिए टिकटों की बुकिंग बंद कर वाराणसी तक का आरक्षण अनिवार्य कर दिया गया।
दक्षिणी छोर तक पहुंचने की सड़क लापता: धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर तक पहुंचने की सड़क अब भी फाइलों में ही कैद है। स्टेशन बिल्डिंग बन कर तैयार हो गया पर पहुंच पथ अब तक लापता है। रेलवे और नगर निगम ने इसे लेकर लंबी-चौड़ी प्लानिंग बना रखी है, पर योजना अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी।
क्या है योजना: शहर की बड़ी आबादी को टै्रफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए बैंक मोड़ से पुराना बाजार जानेवाले मार्ग पर स्थित बंद पड़ी झरिया रेललाइन के ऊपर से सड़क निर्माण प्रस्तावित है। डीएवी स्कूल से समीप से सड़क स्टेशन के दक्षिणी छोर तक बनेगी। बीच में डायमंड क्रॉसिंग के पास मौजूदा रेलवे लाइन के नीचे अंडर पास भी बनेगा। टू लेन अंडर पास से छोटे-बड़े सभी वाहन आसानी से स्टेशन तक पहुंच सकेंगे।
हवाई सेवा
बलियापुर में तलाशा जा रहा एयरपोर्ट के लिए विकल्प: शहर के बरवाअड्डा में हवाईपट्टी है मगर उसे एयरपोर्ट के रूप में विकसित नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि बलियापुर में एयरपोर्ट के लिए विकल्प तलाशा जा रहा है। वहां लगभग 400 एकड़ जमीन एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चिह्नित की गई है।
आज भी रांची, कोलकाता और गया के भरोसे ही हवाई सफर: देश को रोशन करनेवाले कोल सिटी की गिनती भले ही तेजी से विकसित होनेवाले शहरों में हो मगर परिवहन सेवाओं के लिए यह आज भी मोहताज है। आज भी हवाई सफर के लिए रांची, कोलकाता और गया की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखना पड़ता है।
बस परिवहन
बड़ोदरा की तर्ज पर बस टर्मिनल का नक्शा तैयार, फिर भी इंतजार: बरटांड़ में गुजरात के बड़ोदरा की तर्ज पर 400 करोड़ की लागत से इंटर स्टेट बस टर्मिनल बनाने की योजना बन चुकी है। नक्शा भी तैयार कर लिया गया है। मामला कहां फंसा है, यह कोई नहीं जानता।
जानकारों का कहना है कि बरटांड़ में इंटर स्टेट बस टर्मिनल बनाने का यह प्रस्ताव पांच-छह साल पुराना है। वर्ष 2013 में तत्कालीन नगर आयुक्त एके पांडेय ने इसकी योजना तैयार की थी। नगर आयुक्त की पहल पर तत्कालीन डीसी ने बरटांड़ का निरीक्षण भी किया था। हालांकि राज्य परिवहन विभाग ने एनओसी नहीं दी थी। नगर आयुक्त के तबादले के बाद टर्मिनल की फाइल बंद हो गई। बाद में सारी तैयारियों के बाद इसका टेंडर भी हुआ, पर टेंडर में किसी ने रुचि नहीं दिखाई और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। दूसरी ओर, बरवाअड्डा-गोविंदपुर के बीच पंडुकी में प्रस्तावित बस टर्मिनल की योजना अब तक फाइल से बाहर भी नहीं निकली है।
ऐसा होगा बस टर्मिनल: बरटांड़ में प्रस्तावित बस टर्मिनल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। बाहर से आनेवाले यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी टर्मिनल में उपलब्ध होगी। इमारत तीन मंजिला होगी। टर्मिनल में मल्टीप्लैक्स और पार्क भी बनाया जाएगा। रिटायरिंग रूम बनेंगे, जिसके हर कमरे में लॉकर की सुविधा रहेगी। बस पड़ाव के बाहर सड़क किनारे दोनों ओर स्थित करीब 100 दुकानों को टर्मिनल के अंदर लिया जाएगा।
इन सड़कों पर थम गए बसों के पहिये: देवघर, दुमका, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, गिरिडीह, डाल्टेनगंज, हजारीबाग, गुमला जैसे 11 जिलों में डिपो से कुल 173 बसें चलती थीं। इसमें केवल धनबाद बस डिपो से 58 बसों का परिचालन होता था। धीरे-धीरे इन बसों का परिचालन बंद हो गया।