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मास्क भी लगाते हैं, टीका भी लिया परिणाम कोरोना कोसों दूर

आज देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। महामारी शहर के बाद गांवों की ओर रूख कर चुकी है। कई गांव इसकी चपेट में आ गए हैं। इतना सब कुछ होने के बाद एक ऐसा गांव भी है जिसे कोरोना का संक्रमण छू भी नहीं सका है। हम बात कर रहे हैं टुंडी विधानसभा क्षेत्र के पहाड़पुर गांव की। यहां लोग शहरी कल्चर से अपने को अलग थलग रखे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 06:15 AM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 06:15 AM (IST)
मास्क भी लगाते हैं, टीका भी लिया परिणाम कोरोना कोसों दूर
मास्क भी लगाते हैं, टीका भी लिया परिणाम कोरोना कोसों दूर

शशिभूषण, धनबाद : आज देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। महामारी शहर के बाद गांवों की ओर रूख कर चुकी है। कई गांव इसकी चपेट में आ गए हैं। इतना सब कुछ होने के बाद एक ऐसा गांव भी है, जिसे कोरोना का संक्रमण छू भी नहीं सका है। हम बात कर रहे हैं टुंडी विधानसभा क्षेत्र के पहाड़पुर गांव की। यहां लोग शहरी कल्चर से अपने को अलग थलग रखे हुए हैं। पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव में विशुद्ध रूप से प्राकृतिक वातावरण में रहने के ये लोग अभ्यस्त हैं। गांव के लोग साफ-सफाई का अनुपालन सर्वाधिक करते हैं। इसका अंदाजा गांव में दाखिल होते ही हो गया। गांव को जाने वाले रास्ते और उसके दोनों ओर गंदगी का नामोनिशान भी नहीं दिखा। गांव में प्रवेश करते ही पहली मुलाकात गांव के मनोहर महतो से हुई। कहने लगे गांव के लोग कोरोना के प्रति जागरूक है। हम सब मास्क लगाते हैं। खेती बारी के अलावा बहुत जरूरी होने पर ही हम लोग घर से बाहर निकलते हैं। वैसे सरकार के गाइडलाइन को भी हम लोग मानते हैं। गांव में लगे कोरोना जांच शिविर में गांव के कई व्यस्क लोग जांच कराए। मगर कोई भी संक्रमित नहीं निकला। आगे ग्रामीण रौशन महतो मिले। कहने लगे ने कि कोरोना को साफ-सफाई और समुचित खान-पान से कोरोना को मात दिया जा सकता है। हम सब खेती बारी के कार्य में कठिन शारीरिक परिश्रम भी करते हैं। इससे हम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक रहती हैं। यह भी कहा कि बहुत जरूरी होने पर ही हमलोग शहर आते-जाते हैं। यही कारण है कि गांव के लोग संक्रमण से अब तक बचे हुए हैं। वहां के एक बुजुर्ग ग्रामीण जयनाथ महतो से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि गांव में काफी लोगों ने टीका लगवा लिया है। हमने भी लगाया है। पहले की तरह ही रहते हैं बस फर्क इतना है कि लोगों के यहां आना जाना कम हो गया है। पहले भी उनके गांव में अच्छी दिनचर्या के कारण संक्रमण जनित बीमारी नहीं फैली है। वहीं 80 साल की बुजुर्ग महिला पाबो देवी ने कहा आज तक कोई बीमारी इस गांव में नहीं आया, कोरोना भी नहीं आएगा।

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बाहरी लोगों की एंट्री पर रहती है नजर

इस गांव में अब तक एक भी संक्रमित नहीं मिला है। इसके लिए गांव वालों ने अथक प्रयास भी किया है। यहां आवाजाही करने वाले बाहरी लोगों की मनाही है। कौन है, कहां जा रहे है, किससे मिलना है आदि कई सवालों का जवाब बाहरी लोगों को देना पड़ता है। यदि सबकुछ सही रहा तो फिर इंट्री नहीं तो वहीं से वापस लौटना पड़ता है।

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दावत में नहीं शामिल होते हैं लोग

कोरोना काल में गांव में पार्टियों पर पाबंदी तो नहीं है। रौशन महतो ने बताया कि शादी-व्याह, मुंडन, भोज भी हो रहे हैं पर उसमें परिजनों के अलावा गांव का कोई शामिल नहीं होता है। सभी कार्य मंदिर में होते हैं। अभी कल ही एक भोज था उसमें गांव का कोई भी नहीं गया। जागरुकता और बचाव के कारण लोग नहीं जाते हैं।


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