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चरित्र निर्माण करने वाली हो प्रारंभिक शिक्षा, जो भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा पर जोर दे : पद्मश्री जगमोहन

प्रारंभिक शिक्षा ऐसा हो जो चरित्र निर्माण को बढ़ावा दें। ऐसे बालक का निर्माण किया जाए जो समाज निर्माण में रचनात्मक भूमिका अदा करें। -पद्मश्री जगमोहन सिंह राजपूत

By Sagar SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 09:23 PM (IST)
चरित्र निर्माण करने वाली हो प्रारंभिक शिक्षा, जो भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा पर जोर दे : पद्मश्री जगमोहन
चरित्र निर्माण करने वाली हो प्रारंभिक शिक्षा, जो भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा पर जोर दे : पद्मश्री जगमोहन

धनबाद, जेएनएन। वर्तमान में चरित्र निर्माण की हर संभावना की ओर ध्यान देने की जरूरत है। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार ज्ञान देने पर जोर दिया जाना चाहिए। ऐसे बालक का निर्माण किया जाए जो चारित्रिक मानव बनकर समाज निर्माण में रचनात्मक भूमिका अदा करें। प्रारंभिक शिक्षा का वातावरण ऐसा हो जो चरित्र निर्माण को बढ़ावा दें। यह बातें यूनेस्को कार्यकारी बोर्ड के भारतीय प्रतिनिधि पद्मश्री जगमोहन सिंह राजपूत ने बुधवार को आरएसपी कॉलेज झरिया द्वारा आयोजित चौथे ऑनलाइन व्याख्यानमाला को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए कही।

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उन्होंने अपने वक्तव्य में शिक्षा से चरित्र निर्माण के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया और बताया कि आज की शिक्षा पद्धति में चरित्र निर्माण को शामिल करना कितना आवश्यक है। आरएसपी कॉलेज झरिया के शिक्षा शास्त्र विभाग की ओर से आयोजित इस व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे। स्वागत संबोधन कॉलेज प्राचार्य डॉ. जेएन सिंह ने किया। संचालन डॉ. शुभा अजमानी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उपेंद्र कुमार ने दिया. व्याख्यानमाला में कॉलेज छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों समेत काफी लोग शामिल हुए।


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